मंगलवार, 2 जून 2015

सड़क निर्माण में रिकार्ड बनाने को बेताब सरकार!

-सड़क निर्माण का लक्ष्य आगे जाने की उम्मीद
-अगले छह माह में 3.5 लाख करोड़ का होगा सड़क निर्माण
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
मोदी सरकार के विकास के एजेंडे को पंख लगाने के लिए देश में सड़कों का जाल बिछाने की परियोजनओं में तेजी लाने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय का दावा है कि वह देश में सड़क निर्माण में तेजी लाने में जिस प्रकार से सफल रहा है उससे उम्मीद है कि सरकार देश में प्रतिदिन 30 किमी प्रतिदिन सड़क निर्माण के लक्ष्य से भी आगे निकल जाएगी।
दरअसल केंद्र में मोदी सरकार का एक साल पूरा होने पर स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी सरकार की पीठ थप थपाकर कांग्रेस की आलोचनाओं का मुहंतोड़ जवाब देने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं विभिन्न मंत्रालय अपने अपने विभाग की उपलब्धियों का बखान करने में जुटे हुए हैं। जहां तक देश में सड़क परियोजनाओं को पूरा करने का सवाल है उसमें सरकार ने सत्ता संभालने के समय दो साल में 30 किमी सड़क का निर्माण प्रतिदिन 30 किमी सड़क निर्माण का लक्ष्य तय किया था, जिसमें मौजूदा माह में सरकार दो किमी से बढ़कर लक्ष्य के करीब आधे 14 किमी प्रतिदिन सड़क निर्माण कराने तक पहुंचने का दावा कर रही है। हाल ही में एक साल की उपब्धियों का बखान करते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने उम्मीद जताई है कि अगले साल तक रोजाना 30 किलोमीटर सड़क निर्माण के अपने लक्ष्य से भी आगे निकल जाएंगे। गडकरी का कहना है कि जिस तरह से सरकार सड़क निर्माण में आने वाली बाधाओं और विवादों से निपटने में कामयाब रही है उससे मोदी सरकार के विकास के एजेंडे पर खरा उतरने में सफल होंगे। मंत्रालय के अनुसार हाल ही में वित्त मंत्रालय ने अगले छह महीने में 3.5 लाख करोड़ रुपये की सड़क निर्माण परियोजनाओं के लिए वित्तीय बजट देने का जो भरोसा दिया है उससे निश्चित रूप से राजमार्ग निर्माण की गति बढ़ेगी और भूमि अधिग्रहण, नियामकीय मंजूरी और वित्त प्रबंधन जैसी समस्याएं दूर होने पर देश को सड़कों के जाल के जरिए एक कोने से दूसरे कोने तक जोड़ने का सपना भी साकार हो जाएगा।
ऐसे पटरी पर आई सड़क परियोजनाएं
दरअस सत्ता संभालने के बाद मोदी सरकार ने 18 जुलाई 2014 को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी के रूप में राष्ट्रीय राजमार्ग एवं ढांचागत विकास निगम का गठन किया था, जिसने खासकर पूर्वोत्तर क्षेत्र एवं देश के रणनीतिक क्षेत्रों में राष्ट्रीय राजमार्गों और आपस में जोड़ने वाली सड़कों समेत अन्य बुनियादी ढांचों के सर्वेक्षण, स्थापना, डिजाइन, निर्माण, परिचालन, रख-रखाव और उन्नयन की जिम्मेदारी निभाना शुरू किया। जिसके तहत क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ाने और उससे सीमा पार व्यापार एवं वाणिज्य को बढ़ावा देने के मद्देनजर भारत की अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं की हिफाजत करने का लक्ष्य भी सड़क निर्माण के जरिए बुनियादी ढांचा स्थापित करना था। सरकार की इस पहल से कहीं और ज्यादा एकीकृत व आर्थिक दृष्टि से समेकित दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्वी एशिया के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने में भी मदद मिलना शुरू हुआ है। मंत्रालय के अनुसार सरकार इस एनएचआईडीसीएल नामक इस कंपनी के जरिये विकास के लिए लगभग 10 हजार किलोमीटर की कुल लंबाई वाले रूट की पहचान कर पायी। पहले चरण में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 3586 किमी लम्बी सड़कों के निर्माण के लिए 34300 करोड़ रुपये की लागत के 60 निर्माण कार्य पहले ही कंपनी को सौंप चुकी है।
पीपीपी मॉडल के करीब 21 परियोजना
पांच परियोजनाओं में सार्वजनिक-निजी साझेदारी मॉडल पर बोली आ चुकी है और 17 अन्य आवंटन के आखिरी चरण से गुजर रही है। सरकार इस मॉडल के जरिए सड़क निर्माण की परियोजनाओं के लक्ष्य को हासिल करना चाहती है, ताकि देश में चौतरफा  राष्ट्रीय राजमार्ग पर आवागमन की सुलभता बढ़े और आर्थिक दृष्टि से भी देश को विकसित करने में मदद मिल सके। मंत्रालय के अनुसार देश की कुल सड़कों में राजमार्ग का अनुपात सिर्फ दो फीसदी है और 40 प्रतिशत वस्तुओं का परिवहन राजमार्गो से ही होकर एक दूसरे स्थान तक पहुंचता है।
02June-2015

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