रविवार, 7 जून 2015

भारत-बांग्लादेश के बीच टूटेगी बर्लिन की दीवार!

-चार दशक बाद मिलेगी सीमा के 51 हजार लोगों को पहचान
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
भारत-बांग्लादेश के बीच 41 साल पुराने सीमा विवाद के खत्म होने से सीमा पर रहते आ रहे 51 हजार से ज्यादा लोगों को भारतीय नागरिक के रूप में पहचान मिलने जा रही है। इसके लिए मोदी सरकार दोनों देशों के बीच भूमि विवाद समझौते को लागू करने के लिए एक माह पहले ही संसद में विधेयक को मंजूरी दे चुकी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बांग्लादेश दौरे पर दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण करार होने की उम्मीद है जिससे भारत और बांग्लादेश के रिश्ते और भी ज्यादा मजबूत होंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बांग्लादेश के दौरे पर हैं जहां 41 साल से अटके पड़े ऐतिहासिक भूमि सीमा समझौते पर भारत और बांग्लादेश के प्रधानमंत्री के बीच हस्ताक्षर होने जा रहे हैं। इस विवाद को सुलझाने की राह को मोदी सरकार ने एक माह पहले ही संसद में एक विधेयक को मंजूरी हासिल कर चुकी है। दोेनों देशों के बीच हालांकि ऊर्जा, बिजली, सामाजिक, सुरक्षा, आर्थिक-व्यापार और तीस्ता नदी जैसे महत्वूपर्ण क्षेत्रों के अलावा सड़क, रेल व जल मार्ग जैसे मुद्दों पर भी समझौते होने की संभावना है, लेकिन सीमा विवाद में अटकी भारतीय सीमा में रह रहे 51 हजार से ज्यादा नागरिकों को भारतीय नागरिक के रूप में मिलने वाली पहचान के लिए चार दशक पुराना सीमा विवाद खत्म करने का मामला अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले ही बर्लिन की दीवार गिराने जैसी घटना की संज्ञा दे चुके हैं। मोदी के बांग्लादेश दौरे से पहले ही गृह मंत्रालय ने भारत-बांग्लादेश की सीमा पर रहने वाले 51 हजार लोगों को भारतीय नागरिक की पहचान देने की योजना को अंतिम रूप दे दिया है। गौरतलब है कि 1947 से ही सरहद के दोनों तरफ ऐसी 111 भारतीय बस्तियां और 51 बांग्लादेशी बस्तियां हैं, जो गलत तरफ पड़ गई हैं। इनमें भारतीय सीमा में 51 हजार से ज्यादा लोग रहते आ रहे हैं। इस सीमा समझौते के बाद ये एन्क्लेव उन देशों का हिस्सा हो जाएंगे, जहां उनका वास्तरिक दायरा है और यहां रहने वाले लोगों को भारतीय या बांग्लादेशी नागरिकता चुनने का मौका मिल सकेगा। विदेश मामलों के विशेषज्ञ तो सीमा समझौते को लागू करने के फैसले को सीमा पर बसे लोगों की आजादी करार दे रहे हैं, जिन्हें एक देश की नागरिकता मिलने से उन्हें नई पहचान मिलने जा रही है। भूमि सीमा समझौते के अनुसार बांग्लादेश मे 17,160 एकड़ में करीब 111 भारतीय एनक्लेव हैं, जो बांग्लादेश को दिये जाएंगे, जबकि 7,110 एकड़ में मौजूद 51 बांग्लादेशी एनक्लेव भारत को मिलने जा रहे हैं।
सहमति से मिलेगी नागरिकता
गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार पहले नागरिकता के लिए आवेदन करने वालों को 12 साल का निवास साबित करना होता है, लेकिन अब भूमि सीमा समझौते के मद्देनजर एनक्लेव का नियंत्रण लिए जाने के बाद सरकार की योजना सामूहिक आधार पर नागरिकता देने की है। सूत्रों के अनुसार इसके लिए हर शख्स की सहमति ली जाएगी और नागरिकता दिए जाने से पहले उन्हें भारत में रहने या बांग्लादेश जाने का विकल्प दिया जाएगा। भारतीय नागरिकता कानून, 1955 के प्रावधानों के मुताबिक किसी खास इलाके में रहने वाले सभी लोगों को सरकार नागरिक घोषित कर सकती है और इन लोगों के लिए विशेष अभियान चलाने या फॉर्म भरने की जरूरत नहीं होगी, जिससे पहले के ठिकाने के वेरिफिकेशन के झंझट से बचा जा सकेगा।
07June-2015

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