विरोध करने वाले राज्यों को मनाने की कवायद तेज
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
अटल सरकार की महत्वाकांक्षी नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजनाओं को लेकर मोदी सरकार गंभीर है, जिसके लिए सरकार ने 30 नदियों को आपस में जोड़ने वाली परियोजनाओं का खाका तैयार किया है। इसके लिए सरकार राज्यों के समन्वय से डीपीआर यानि डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट्स तैयार कराने में जुटी हुई है।

पटरी पर केन-बेतवा व दमनगंगा-पिंजाल
पूर्ववर्ती अटल सरकार में नदी जोड़ने की पहली परियोजना के रूप में केन-बेतवा को आपस में जोड़ने के लिए परियोजनाओं को शुरू करने के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। इस परियोयजना के पूरा होने से उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के सूखाग्रस्त बुंदेलखंड क्षेत्र के कई जिलों में 6.35 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता में इजाफा होगा। मंत्रालय के अनुसार महाराष्टÑ और गुजरात की राज्य सरकारों ने दमनगंगा-पिंजाल नदियों को जोड़ने की परियोजनाओं को हरी झंडी देदी है, जिसकी डीपीआर भी तैयार कर ली गई है। इस परियोजना से जहां मुंबई जैसे महानगर में पेयजल की जरूरत को पूरा करने के लिए 579 एमसीएम जल की उपलब्धता बढ़ेगी, वहीं आने वाले साढ़े पांच दशक तक जल सुरक्षा सुनिश्चित हो जाएगी। इसी प्रकार गुजरात के कच्छ क्षेत्र के अनेक जिलों में 1.88 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता उपलब्ध कराने वाली पार-तापी नर्मदा परियोजना की डीपीआर भी इसी साल पूरी हो जाएगी। इसके अलावा सरकार के रोडमैप में अंतर्राज्यीय लिंक परियोजना के तहत बिहार की बूढ़ी गंडक-नून-बया-गंगा लिंक तथा कोसी-मेची लिंक परियोजना है जिनकी डीपीआर भी तैयार हो गई है।
महानदी-गोदावरी व ब्रह्मपुत्र-कावेरी महत्वपूर्ण
सरकार महानदी-गोदावरी व ब्रह्मपुत्र-कावेरी को आपस में जोड़ने को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मान रही है, लेकिन इसका विरोध करते ओडिसा, पश्चिम बंगाल व केरल को मनाने के लिए जल संसाधन मंत्रालय के विशेषज्ञ अधिकारियों ने ओडिसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और संबन्धित अधिकारियों के साथ चर्चा शुरू कर दी है। मंत्रालय के अनुसार इन परियोजनाओं से ओडिसा में 5 से छह लाख एकड़ भूमि सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता बढ़ जाएगी।
08June-2015
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