बुधवार, 24 जून 2015

चुनाव खर्च देने में भाजपा व कांग्रेस में भी झोल!

जदयू ने नहीं दिया सबसे ज्यादा 15 चुनावों के खर्च का ब्यौरा
सभी राष्‍ट्रीय दलों समेत 35 दलों ने किया नियमों का उल्लंघन
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने पिछले सप्ताह ही पीए संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी की मान्यता इसलिए निलंबित कर दी थी, कि वह लोकसभा चुनाव के खर्च का ब्यौरा नहीं दे पाई थी। चुनावी खर्च का ब्यौरा न देकर चुनावी नियमों का उल्लंघन करने वाली एनपीपी ही अकेली पार्टी नहीं थी, बल्कि भाजपा व कांग्रेस जैसे पांचों राष्‍ट्रीय दलों समेत 35 राजनीतिक दल चुनावी खर्च का ब्यौरा न देने के दोषी पाये गये हैं।
देश में चुनाव सुधारों के लिए कार्य करने वाली गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने पिछले पांच साल के दौरान विभिन्न राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में चुनाव खर्च का विश्लेषण किया। इस अध्ययन में चुनावों में हिस्सा लेने वाले तमाम राजनीतिक दलों के चुनावी खर्च के ब्यौरे को खंगालने के बाद जो तथ्य सामने आए हैं उसमें भाजपा, कांग्रेस, रांकापा, सीपीआई, सीपीआईएम जैसे सभी राष्‍ट्रीय दलों के अलावा 30 मान्यता प्राप्त क्षेत्री राजनीतिजक दल भी चुनाव आयोग के नियमों का उल्लंघन करते नजर आए हैं। भाजपा व कांग्रेस ने वर्ष 2011 से 2015 तक राज्यों में हुए पांच-पांच विधानसभा चुनावों में हुए खर्च का ब्यौरा चुनाव आयोग को देने में विफल रही है, जबकि राकांपा दो, सीपीआई चार तथा सीपीआईएम एक चुनाव के खर्च का ब्यौरा पेश नहीं कर सकी। चुनावी खर्च का ब्यौरा देने वाले नियमों का उल्लंघन करने वाले दलों में जद-यू सबसे आगे है, जिसने इन पांच सालों में 15 चुनावों का खर्च आयोग को नोटिस जारी करने के बावजूद पेश नहीं किया। इसके बाद राम विलास पासवान की लोजपा ने 11 चुनावों, शिवसेना व आरएसपी 10-10, लालू यादव की राजद, मुलायमसिंह यादव की समाजवादी पार्टी तथा एचडी देवगौडा की जदएस ने नौ-नौ चुनावों के खर्चो को ब्यौरा चुनाव आयोग को आज तक पेश नहीं किया है। इसके बाद ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस भी आठ चुनावों का चुनावी खर्च न देकर नियमों का उल्लंघन करने की दोषी है। जम्मू की जेकेएनपीपी भी आठ चुनावों के खर्चो का ब्यौरा न देने पर तृणमूल के साथ संयुक्त रूप से चौथे पायदान पर है। इसके अलावा चुनावी खर्च का ब्यौरा पेश न करने वाले क्षेत्रीय दलों में जय ललिता की अन्नाद्रमुक, करूनानिधि की द्रमुक, केजरीवाल की आप, ओमप्रकाश चौटाला की इनेलो, शिबूसोरेन की झामुमो, चौधरी अजित सिंह की रालोद, ओवैसी की मुस्लिम लीग के साथ जेवीएम, एनपीपी, यूकेडी, यूडीपी, एमपीसी, एनपीएफ, पीएमके जैसे दल भी शामिल हैं।
इस साल चुनाव में कौन दोषी
दिल्ली विधानसभा के इस साल हुए चुनाव में राष्‍ट्रीय दलों व क्षेत्रीय कुल 16 राजनीतिक दलों ने हिस्सा लिया। इनमें से आठ दलों ने अपना चुनावी खर्च पेश नहीं किया, जिसमें इनेलो ने चुनाव आयोग से चुनाव खर्च के लिए कुछ समय मांगा है। दिल्ली चुनावों में हिस्सा लेने वाले राष्‍ट्रीय दलों में भाजपा व कांग्रेस ही ऐसे दल रहे जिन्होंने चुनावी खर्च का ब्यौरा नहीं दिया है। जबकि क्षेत्रीय दलों में जदयू, राजद, शिवसेना, रालोद, इनेलो, व जेकेएनपीपी चुनावी खर्च का ब्यौरा देने में विफल रहे हैं। इससे पहले वर्ष 2014 में हरियाणा विधानसभा चुनाव में राष्‍ट्रीय दलों में भाजपा व कांग्रेस तथा तीन अन्य क्षेत्रीय दल चुनावी खर्च का ब्यौरा पेश करने मे विफल रहे। इसके अलावा महाराष्ट, झारखंड व जम्मू-कश्मीर के चुनाव में भी भाजपा व कांग्रेस चुनाव आयोग में चुनावी खर्च का ब्यौरा नहीं दे पायी।
क्या है नियम
केंद्रीय चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार राजनीतिक दलों की वित्तीय पारदर्शिता के लिए निर्धारित समयावधि में चुनावी खर्च के ब्यौरे को सार्वजनिक करते हुए चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत करना होता है। इसके लिए लोकसभा चुनावी खर्च को 90 दिन और विधानसभा के चुनावी खर्च को 75 दिनों में प्रस्तुत करना जरूरी है। चुनाव आयोग की ओर से इन सभी दलों को चुनाव खर्च का ब्यौरा देने के लिए नोटिस भी जारी हैं, लेकिन एनपीपी ही नहीं उसके समेत सभी राष्‍ट्रीय दलों समेत 35 दल इस नियम का उल्लंघन करने के दोषी है। विशेषज्ञों के अनुसार यदि एनपीपी की तरह इन सभी दलों की मान्यता को निलंबित कर दिया जाए तो इन दलों को मुμत एयरटाइम और बंगलों जैसी अन्य सभी प्रकार की सुविधाएं लेने का भी अधिकार नहीं होगा।

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