शनिवार, 6 जून 2015

एक साल में ज्यादा खर्चीले साबित हुए भाजपा सांसद!

-यूपीए के दस साल के खर्च पर भारी राजग का एक साल
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश और जनता के लिए अच्छे दिन लाने के वादे पर विपक्षी दलों से घिरी मोदी सरकार एक साल की उपलब्धियों के सहारे विपक्ष को मुहंतोड़ जवाब देने का प्रयास कर रही है। इसके विपरीत मोदी सरकार एक साल में केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा सांसदों पर हुए खर्च को लेकर विपक्ष के निशाने पर भी आती नजर आ रही है। मसलन भाजपा सांसदों पर जितना खर्च एक साल में हुआ है उतना यूपीए के दस साल के शासन में भी मनमोहन सरकार के मंत्रियों और सांसदों पर नहीं हुआ था।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली राजग सरकार के मंत्रियों और भाजपा सांसदों पर एक साल में खर्च को लेकर जो रिपोर्ट सामने आई है, वह मोदी सरकार के लिए इस कारण मुश्किलें खड़ी कर सकती है, क्योंकि मोदी सरकार अच्छे दिनों के वादे पर पहले से ही विपक्षी दलों के निशाने पर है और अब विपक्ष एक साल में केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों पर हुए खर्च के रिकार्ड को मुद्दा बनाने से नहीं चूकेंगे। लोकसभा सचिवालय के सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार के मंत्रियों और भाजपा सांसदों पर एक साल में 25 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च हुई है, जबकि इससे पहले यूपीए सरकार के कार्यकाल में मंत्रियों व सांसदों का दस साल में कुल खर्च 19.77 करोड़ था। यह खर्च उस स्थिति के बावजूद रिकार्ड बनता नजर आ रहा है जब पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी टीम के मंत्रियों और सांसदों को पांच सितारा होटलों में प्रेस कांफ्रेंस और प्रथम श्रेणी की यात्रा न करने का फरमान जारी किया हुआ है। संसदीय नियमों के अनुसार सांसदों को शपथ लेने के दिन से ही उनके रहने हेतु आवास उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होती है। सरकार आवास मिलने तक सांसदों के ठहरने के लिए राज्य अतिथि गृहों या सरकारी होटलों में उनके ठहरने की व्यवस्था करती है, जिसका खर्च लोकसभा सचिवालय वहन करता है।
इसलिए बढ़ा खर्च
एक साल में केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों के इतने बड़े खर्च के बारे में भाजपा सांसद और आवास समिति के अध्यक्ष अर्जुन मेघवाल का तर्क है कि 16वीं लोकसभा में पहली बार 330 सांसद निर्वाचित होकर आए हैं, जिनका दिल्ली में कोई आवास नहीं है। वहीं अनेक पूर्व मंत्रियों एवं पूर्व सांसदों ने सरकारी आवास भी खाली नहीं किये हैं। इसलिए नए सांसदों को होटलों में रहना पड़ रहा है, तो होटलों का खर्च बढ़ना स्वाभाविक है। सूत्रों के अनुसार लोकसभा में चुनकर आए नए सांसदों में से ज्यादातर जैसे जैसे आवास खाली हो रहे है उनमें अपना घर बनाते जा रहे हैं, लेकिन फिलहाल 141 सांसदों का बसेरा अभी होटलों में बना हुआ है, जिन्हें अभी सरकारी आवास मिलने का इंतजार करना पड़ रहा है। सूत्रों का यह भी कहना है कि सरकारी आवास उपलब्ध कराने में देरी हो रही है, जिसकी वजह कई पूर्व मंत्रियों और सांसदों द्वारा नोटिस जारी होने के बावजूद सरकारी आवास खाली न करना भी है। दिल्ली में सरकाकरी नियंत्रण वाले पांच सितारा अशोका जैसे होटल के कमरों का किराया सब्सिडी के बावजूद महंगा है जिसमें ज्यादातर सांसद सरकारी आवास मिलने तक ठहरने के लिए तरजीह देते हैं।
06June-2015

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