रविवार, 7 जून 2015

विकास की राह पर चल आदिवासियों से जुड़ रही सरकार

साक्षात्कार
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार आदिवासियों व गरीबों के साथ जुड़ने के लिए विकास की राह पर चल रही है। आदिवासी मामलों के केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम ने हरिभूमि से बातचीत में साफ कहा कि बुनियादी सुविधाओं के साथ नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विश्वास पैदा करना सुनिश्चित किया जा रहा है।
आदिवासी कल्याण के लिए आपकी क्या योजनाएं हैं?
एजेंडा साफ है..देश में समान और संपूर्ण विकास की दृष्टि से सभी राज्यों में आदिवासी और अत्यंत पिछड़े व कमजोर वर्ग के लिए 21 योजनाओं पर कार्यान्वयन हो रहा है।
नक्सली इलाकों में आदिवासियों तक सरकारी योजनाएं ठीक से लागू नहीं हो पा रही, इसे सुनिश्चित करने की क्या योजना है?
यह बिल्कुल सच है कि ऐसे इलाकों के दूर-दराज के गांवों में पहले से ही कठिनाई रही है, हम कोशिश कर रहे हैं कि ऐसे इलाकों के आदिवासियों को केंद्रीय योजनाओं में शामिल करके जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएं। इसके लिए केंद्र से सभी राज्यों को दिशानिर्देश जारी किये गये हैं कि विकास संबंधी योजनाओं का प्रचार-प्रसार करके उनकी विचारधारा बदलें।
सबका साथ-सबका विकास की बात हो रही है, तो नक्सलग्रस्त इलाकों में दिल्ली से विकास किस तरह पहुंचाएंगे?
दिल्ली से तो केवल दिशानिर्देश और मार्गदर्शन दिया जाता है। मोदी सरकार के इस नारे का मतलब साफ है कि राजनीति से परे हटकर देश के विकास के लिए सभी का साथ लेंगे, तो विकास की राह आसान होगी। जहां तक नक्सली क्षेत्रों के विकास का सवाल है उसके लिए राज्य शासन व प्रशासन को लोगों में बुनियादी सुविधाओं के जरिए विश्वास पैदा करके विकास को बढ़ावा देना चाहिए।
वन भूमि पर पर्यावरण मंत्रालय से क्लियरेंस को लेकर क्या विवाद है और इसे कैसे दूर करने के प्रयास हो रहे हैं?
वन अधिकार अधिनियम के तहत वनों में रहने वाले सबसे गरीब और परंपरागत लोगों को भी सशर्त भूमि पट्टा देने की प्रक्रिया अपनायी जा रही है। यह बिल्कुल साफ है कि ऐसा कोई विवाद मौजूदा सरकार में नहीं है।
क्या योजनाओं में प्रासंगिकता प्रावधानों को कमजोर करने के लिए दबाव है?
नहीं, यह सब कांग्रेस की साजिश है, जिसने अपने कार्यकाल में अधिनियमों की धज्जियां उड़ाते हुए वनों मेंं रहने वाले कमजोर वर्गो और आदिवासियों की 25-27 योजनाओं को रोक दिया था। जिन्हें समीक्षा के बाद मेरा मंत्रालय शुरू करने जा रहा है।
भूमि अधिग्रहण का आदिवासी इलाकों में कितना महत्व है?
आदिवासी क्षेत्रों के विकास में इस विधेयक के प्रावधानों का सबसे अधिक लाभ होने वाला है। अगर देश का विकास देखना है तो विरोध करने वालों को सरकार के साथ सहयोग करना चाहिए। सरकार के दिशा निर्देशों में जमीन लेने के लिए सीधे किसानों से संवाद और मुआवजा देने का प्रावधान क्या बुरा है।
मोदी सरकार की जनधन जैसी योजनाओं का आदिवासी क्षेत्रों में क्या प्रभाव है?
असली प्रभाव तो सकारात्मक रूप से आदिवासी क्षेत्रों में ही हो रहा है, जहां सबसे गरीब लोगों को भी बैंक खाते मिल गये हैं। सबसे बड़ा लाभ सरकारी योजनाओं में गरीबों को मिलने वाली आर्थिक सहायता का पैसा सीधे हर गरीब के खाते में पहुंचेगी। यही नहीं गरीबों के हितों की रक्षा करने वाली प्रधानमंत्री जीवन सुरक्षा योय्जना और अटल पेंशन योजना आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले गरीबों के उत्थान का सबब बनेगी।
आदिवासी इलाकों के लोगों को आपराधिक गतिविधियों से बाहर लाने की कोई योजना?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नक्सलवाद से प्रभावित बस्तर का दौरा ऐसे आदिवासियों के लिए सकारात्मक संदेश है जो मजबूरन नक्सलियों का समर्थन करने को बाध्य रहते हैं। ऐसे लोगों में विश्वास पैदा करने के लिए आदिवासी इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने के साथ विकास कार्यो को प्रोत्साहन दिया जा रहा है ताकि भटके हुए गरीब व कमजोर आदिवासियों को समाज की मुख्यधारा में शामिल किया जा सके।
07June-2015

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