बुधवार, 17 जून 2015

जजों की नियुक्ति प्रणाली पर असमंजस में सरकार!


एनजेएसी पर केंद्र व सुप्रीम कोर्ट आमने-सामने 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट और राज्यों के उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति करने के लिए दो दशक से ज्यादा समय से चली आ रही कॉलोजियम व्यवस्था को खत्म करने एवं राष्ट्रीय न्यायिक आयोग के गठन की अधिसूचना जारी करने के बावजूद मोदी सरकार असमंजस की स्थिति में है। इस मामले को लेकर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट आमने सामने नजर आ रहे हैं। 
दरअसल न्यायाधीश कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करने का विरोध करते आ रहे थे। केंद्र सरकार ने पहले संवधिान के 121वें संशोधन विधेयक और बाद में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक पर संसद की मंजूरी ली तो जजो ने आयोग पर आपत्तियां उठानी शुरू कर दी और वकीलों की कुछ संस्थाओं ने आयोग असंवैधानिक घोषित कर निरस्त करने की अपील करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर कर चुनौती दी। इन याचिकाओं को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में पाचं जजों की संविधान पीठ बनाई गई। याचिका में कहा गया है कि न्यायिक नियुक्ति आयोग कानून और 121वां संविधान संशोधन कानून निरस्त किया जाए, क्योंकि इससे सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति में कार्यपालिका का हस्तक्षेप बढ़ता है, जो न सिर्फ न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बाधित करता है बल्कि संविधान के मूल ढांचे को भी प्रभावित करता है जिसमें स्वतंत्र न्यायपालिका की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट की संविधानपीठ की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट में आयोग के गठन को सही ठहराते हुए कॉलोजियम व्यवस्था की खामियों को भी उजागर किया। उधर इसी प्रकार सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए बने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग की वैधता पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार पर कई सवाल दागे। कोर्ट ने दलील दी कि पहले सरकार यह साबित करे कि आयोग कॉलोजियम प्रणाली से बेहतर है और इससे न्यायपालिका की आजादी में कोई खलल नहीं पड़ेगा। इससे पहले सरकार कॉलोजियम व्यवस्था को खत्म करके राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के गठन की गत 13 अप्रैल को अधिसूचना भी जारी कर चुकी है, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। इसके बावजूद इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के सामने केंद्र सरकार आयोग के गठन की प्रक्रिया को शुरू करने में असमंजस की स्थिति में फंसी हुई है।
चुनौती से निपटने की तैयारी में सरकार
केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के एनजेएसी पर फैसला अपने पक्ष में आने की उम्मीद कम है। इसका कारण है कि आयोग के गठन में भारत के मुख्य न्यायाधीश को अध्यक्ष बनाने का प्रावधान है, लेकिन जजो की नियुक्ति के लिए बनाए गये इस आयोग में शामिल होने से मुख्य न्यायाधीश पहले ही इंकार कर चुके हैं। जब सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति को लिए बने आयोग पर सुनवाई अंतिम दौर में है तो केंद्र सरकार ने संकेत दिये हैं कि यदि सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को निरस्त करता है तो भी जजो की नियुक्ति की प्रक्रिया को निष्पक्ष और कारगर बनाने के लिए सरकार फिर से नया कानून लेकर आएगी। उधर विधि विशेषज्ञ एवं सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता कमलेश जैन का कहना है कि आयोग के गठन से न्यायपालिका में पारदर्शिता बढ़ेगी और कॉलोजियम प्रणाली में चले आ रहे अंकल सिंड्रोम की परंपरा भी खत्म हो सकेगी।
17June-2015

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