रविवार, 28 जून 2015

मुद्दों की राजनीति ने बिगाड़ा उसूलों स्वाद!

केंद्र सरकार से जो मांगा, वही मिला:दुष्यन्त
 नई दिल्ली
भारतीय संसद के इतिहास पहली बार सबसे कम उम्र में इनेलो नेता दुष्यन्त चौटाला 16वीं लोकसभा में सांसद बनकर लिम्का बुक आॅफ रिकार्ड में अपना नाम दर्ज कराकर चर्चाओं में हैं। दुष्यंत चौटाला हरियाणा की राजनीति में लंबे समय से तक झंडा बुलंद करने वाले ताऊ चौधरी देवीलाल परिवार की राजनीतिक विरासत को अब चौथी पीढ़ी में झंडा बरदार बनकर पुनर्जीवित करने को तैयार है। संसद में देश व हरियाणा राज्य के तमाम बड़े मुद्दों, समायिक विषयों, केंद्र की मोदी सरकार के एक साल के प्रदर्शन तथा राजनीति के बदलते स्वरूप को लेकर लोकसभा में अपने संसदीय क्षेत्र और सूबे के मुद्दे उठाने में रिकार्ड पर आए इनेलो सांसद दुष्यंत चौटाला से हरिभूमि के वरिष्ठ संवाददाता ओ.पी. पाल ने विस्तृत बातचीत की, जिसके अंश इस प्रकार हैं:-

पहली बार लोकसभा में कैसा अनुभव रहा?
हिसार से सांसद चुने गए दुष्यंत चौटाला का नाम लिम्का बुक आफ रिकार्ड्स में दर्ज किया गया है। भारतीय लोकतंत्र की 16वीं लोकसभा में सबसे कम उम्र का सांसद बनने के लिए दुष्यंत चौटाला का नाम लिम्का बुका आफ रिकार्ड में शामिल हुआ है। उनके नाम को हाल ही में 21 जनवरी को जयपुर में जारी लिम्का बुक आफ रिकार्डस के नवीनतम संस्करण में जगह दी गई है। बुक के अनुसार 16वीं लोकसभा में चुने गए सांसदों में दुष्यंत चौटाला सबसे कम उम्र में केवल 26 वर्ष एक माह में लोकसभा के सदस्य चुने गए। एक साल में उन्होंने लोकसभा में दमदार उपस्थिति दर्ज कराते हुए हरियाणा की जनता के हित में अपनी जिम्मेदारी निभाने का प्रयास किया, जहां हरियाणा के दस सांसदों में सबसे ज्यादा 56 वाद-विवाद और 229 प्रश्न सरकार से पूछे हैं, तो वहीं इनेलो की ओर से ज्यादातर विधेयकों पर चर्चा में हिस्सा लिया।
केंद्र सरकार के आम बजट को लेकर आपकी क्या राय है?
देखिए सरकार के अच्छे निर्णयों को नजर अंदाज करना न्यायोचित नहीं होगा। मोदी सरकार द्वारा भारी कटौती करके प्रत्येक राज्यों के बजट में दस प्रतिशत बढ़ोतरी करने का इनेलो स्वागत करती है, जिसमें केंद्र ने राज्यों पर भरोसा जताया है। मगर राज्यों की जवाबदेही भी तय होनी चाहिए कि केंद्र के बजट को राज्य किस सेक्टर में किस प्राथमिकता से उसका खर्च करेंगी। मेरे राजनीतिक जीवन में केंद्र के बजट पर चर्चा में उन्हें भी बोलने का मौका मिला, जो उनके लिए बेहद अनुभव का दौर रहा।
मोदी सरकार के एक साल के कार्यकाल पर कोई प्रतिक्रिया?
इनलो का राजनीतिक दृष्टिकोण अन्य सभी दलों से अलग है और उनकी पार्टी कमेरो, किसानों और आम जनता के मुद्दों पर उसूलों की राजनीति करने की पक्षधर रही है। संसद में अपने संसदीय क्षेत्र और राज्य के हित में जितने भी मुद्दे उन्होंने सरकार के सामने रखे हैं उन्हें सरकार ने प्राथमिकता के साथ माना है और राज्य में उनके कार्यान्वयन की प्रक्रिया भी जारी है। कहने का तात्पर्य है कि उन्होंने सूबे की जनता के लिए जो मांगा है सरकार ने राज्य व उनके क्षेत्र की जनता के हितों को पूरा करने का वादा ही नहीं किया, बल्कि कई कार्यो को शुरू भी करा दिया गया है। ऐसे में सरकार के कामकाज पर सवाल खड़े करने का औचित्य ही पैदा नहीं होना चाहिए। मोदी सरकार के कार्यकाल पर यही कहा जा सकता है कि भले ही अभी देश की व्यवस्था पटरी पर आने में समय लगे, लेकिन विदेशों से संबन्ध बेहतर हुए हैं।
कुछ प्रमुख मुद्दे बताएंगे, जिन्हें केंद्र ने माना है?
जी क्यों नहीं.. वैसे तो एक साल में उन्होंने केंद्र सरकार से ज्यादातर मांगों को पूरा करया है जिनकी लंबी फेहरिस्त है, लेकिन कुछ प्रमुख कामों में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से हिसार क्षेत्र में ड्राई पोर्ट बनाने की सहमति, रेलमंत्री से हांसी-जींद व उकलाना-नरवाना रेलवे लाइन के अलावा सूर्य नगर फाटक पर अंडरपास की मंजूरी दिलवाई। कई स्टेशनों पर यात्रियों की सुविधाओं को पूरा भी कराया। वहीं हिसार के साई सेंटर बंद करने के मुद्दे को टलवाया, तो केंद्र के हस्तक्षेप से ही हिसार जिले के चार गांव बीड़-बबरान,झिड़ी, पीरांवाली पर लटकी तलवार हटवाकर लाल डोरा बनवाया। तोशाम पहाड़, हरियाणा में खनन तथा यमुना नदी में रेत का खनन का मुद्दे, बिजली, पानी, सड़क, रेलवे लाइन के विस्तार, जनता से जुड़ी सामाजिक, शिक्षा, स्वास्थ्य व आर्थिक मुद्दों पर केंद्र सरकार ने सकारात्मक कार्रवाही की है। इसके अलावा सांसद निधि से लोगों की जरूरतों के अनुसार विकास को बढ़ावा देकर वे जनता की अपेक्षाओं का पूरा करने का प्रयास करते रहेंगे।
आपको इचीवर आॅफ द ईयर चुना गया, श्रेय किसे देंगे?
इसमें काई दो राय नहीं है इसकी असली हकदार तो असली हिसार की वह जनता है जिन्होंने अपनी आवाज बनाकर उन्हें लोकसभा तक पहुंचाया। वहीं वह पार्टी कार्यकतार्ओं और सहयोगियों को भी शामिल करना चाहेंगे, जिनके मार्गदर्शन ने उन्हें राजनीति में संसद में बोलने का हौंसला दिया। इसी हौंसले से एक साल के लर्निंग टाइम में वे लोकसभा के टेÑक रिकार्ड पर आ सके, जिसकी वजह से उन्हें अचीवर आॅफ द ईयर-2014 हरियाणा भी चुना गया।
केंद्र सरकार से आपकी क्या अपेक्षाएं हैं?
इनेलो हमेशा जनता की अपेक्षाएं पूरी करने के लिए राजनीति करता है, जिन्होंने उन्हें लोकसभा में भेजा है। जनता के हित में ही तो संसद में उन्होंने राष्टÑ और राज्य के विकास और जनहित की रक्षा के लिए जनता की आवाज को बुलंद करने का प्रयास किया है। लोकसभा में उन्होंने हरियाणा के लोगों की सुविधा के लिए ही तो हमे जनता की पूरी करने की गुड़गांव में उच्च न्यायालय की अलग बैंच स्थापित करने के लिए निजी विधेयक ‘द हाईकोर्ट आफ पंजाब-हरियाणा (इस्टेबलिशमेंट आफ ए सैपरेट बैंच एट गुड़गांव) बिल-2015 पेश किया है। उन्होंने संसद में सिरसा, पलवल, फरीदाबाद में रसायुक्त पानी, कुरूक्षेत्र को धार्मिक पर्यटन नगरी के रूप विकसित करने, बहादुरगढ़ में 15 करोड़ की लागत से आयुष अस्पताल समेत राज्य के हरेक क्षेत्र से संबंधित मुद्दों का उजागर किया है।
भूमि अधिग्रहण विधेयक पर आपका नजरिया?
सरकार को भूमि अधिग्रहण विधेयक में यदि सुधार ही करने हैं तो उसके लिए विपक्षी दलों की उन चिंताओं को दूर करना होगा, ताकि उद्योगपतियों के हितैषी की लगी मुहर हट सके और किसानों के हितो की रक्षा हो सके। इस कृषि प्रधान देश में किसानों की जमीन को जबरन नहीं छीना जा सकता इसके लिए किसानों की सहमति जरूरी होनी चाहिए। वहीं सरकार को सोशल इम्पेक्ट के मुद्दे पर समझौता करने की जरूरत है। यदि सचमुच मोदी सरकार किसानों की हितैषी है तो उसे जल्द से जल्द स्वामीनाथन समिति की रिपोर्टलागू करना चाहिए। यदि सरकार ऐसा नहीं करती तो जिस तरह से कांग्रेस ने हरियाणा में जमीन को कोडी के भाव गांधी परिवार को दिया है और उसे उसका खामियाजा भुगतना भी पड़ा है वाली नौबत आने में देर नहीं लगेगी।
जनता परिवार के विलय के बारे में कोई भ्रम है?
इसमें कोई भ्रम नहीं है, भाजपा और कांग्रेस एक सिक्के के दो पहलू हैं जिसके कारण देश की जनता अपने आपको काफी ठगा महसूस कर रही है। पूरा देश जानता है कि जब कांग्रेस सत्ता में थी तब वह खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश का समर्थन कर रही थी और भारतीय जनता पार्टी इसके विरोध में थी। अब सत्ता बदल गई है तो इन लोगों का परस्पर रूख भी बदल गया है। ऐसे में देश व जनता के हितों की रक्षा के लिए गैर कांगे्रस व गैर भाजपाई दलों ने विकल्प के रूप में जनता परिवार एकजुट करना समय की मांग भी है। जहां तक एकीकृत दल के नाम व झंडे का सवाल है उसमें कोई मतभेद नहीं है और जल्द ही इस भ्रम को दूर कर लिया जाएगा। जनता परिवार को विलय करने का कारण यह भी है कि जब कांग्रेस सत्ता में थी तब वह खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश का समर्थन कर रही थी और भारतीय जनता पार्टी इसके विरोध में थी। अब सत्ता बदल गई है तो इन लोगों का परस्पर रूख भी बदल गया है।
28June-2015

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