सोमवार, 29 जून 2015

लिंगानुपात सुधारने में सबक ले हरियाणा!

राजस्थान की पंचायतों से हुई सुधार की पहल
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देश में खासकर हरियाणा के घटते लिंगानुपात पर चिंता जताते हुए हरियाणावासियों को नसीहत भी दी है। विशेषज्ञों की माने तो हरियाणा को लिंगानुपात में बदलाव के लिए राजस्थान की पंचायतों द्वारा पेश की गई मिसाल से सबक लेने की जरूरत है।
दरअसल देश में हरियाणा की तस्वीर आज खेती, शिक्षा,औद्योगिक विकास और आर्थिक रूप से संपन्न समाज जैसे मुद्दों के एक प्रगतिशील, विकसित राज्य के रूप में होती है, लेकिन लड़कियां इस सूबे में शायद बोझ मानी जाती है। राज्य की दूसरी तस्वीर वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ो लिंगानुपान के मामले में सबसे फिसड्डी राज्य के रूप में पेश की थी। मसलन 2011 की जनगणना के समय देश में सबसे कम लिंगानुपात वाले हरियाणा के दस जिलों को चिन्हित किया गया। सूबे में 1000 पुरुषों की तुलना में 879 महिलाओं का अनुपात निराशाजनक आंकड़ा सामने था, जिसमें सबसे बदतर स्थिति झज्जर जिले की थी, जहां 2001 के लिंगानुपात 801 की तुलना में 2011 की जनगणना में घटकर 774 रह गयी थी। इसी तरह रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ व फरीदाबाद भी इस फेहरिस्त में शािमल रहे। शायद यही कारण था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत 12 जून को ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान की शुरूआत हरियाणा के पानीपत से की थी। हालांकि इस आंकड़े में सरकार की ओर से सुधार के दावे किये जा रहे हैं, लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक यह हकीकत भी छुपाई नहीं जा सकती कि वर्ष 2014 में महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, झज्जर, भिवानी, सोनीपत, गुड़गांव, रोहतक, पलवल, फतेहाबाद, कैथल कुछ ऐसे जिले हैं, जहां सैकड़ों गांवों में वर्ष 2014 में एक भी बेटी ने जन्म नहीं लिया है। शायद यही कारण था कि रविवार को मन की बात में देश के 100 जिलों में घटते लिंगानुपात पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खासकर हरियाणा का जिक्र करना पड़ा।
मिट सकता है अभिशाप
देश के विभिन्न राज्यों में लिंगानुपात में सुधार को लेकर काम कर रही गैर सरकारी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च यानि सीएफएआर ने जेआरडी टाटा ट्रस्ट के सहयोग से इस जनगणना के बाद वर्ष 2012 में तीन साल का एक परियोजना राजस्थान के दो डिविजनों-जयपुर और जोधपुर के छह जिलों में शुरू की। इस संस्था की हाल में पेश की गई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वर्ष लिंगानुपात के लिए गंभीर खतरे के संकेत बने 2011 की जनगणना के आंकड़ो में यह मुहिम बदलाव का सबब बनी। रिपोर्ट के अनुसार इस परियोजना को मुहिम के रूप में चलाने का प्रभाव साफ नजर आया, जिसमें दावा किया गया है कि अप्रैल 2014 से मार्च 2015 के बीच 30 ग्राम पंचायतों के मुख्यालय में 1460 लड़कों की तुलना में 1620 लड़कियों का जन्म हुआ है, जो बिगड़ते लिंगानुपात में सुधार की मिसाल है। इस संस्था से जुड़ी राखी बधवार का कहना है कि यदि इसी प्रकार की परियोजना यदि हरियाणा जैसे लिंगानुपात में पिछडे राज्यों में भी चलाई जाए तो इस अभियाशाप को मिटाया जा सकता है। इंस्टीच्यूट आॅफ डेवलपमेंट स्टडीज की एसोसिएट प्रोफेसर शोबिता राजगोपालन का कहना है कि हरियाणा को राजस्थान की पंचायतों की इस मुहिम से सबक लेना चाहिए, जहां बिगड़ा लिंगानुपात सामाजिक अभिशाप बना हुआ है और उसका खामियाजा ‘दुल्हन’ की किल्लत के रूप में हरियाणा को भुगतना पड़ रहा है।
29June-2015

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