मंगलवार, 23 जून 2015

विमानन व रेल क्षेत्र में नजदीक आएंगे भारत व रूस!

जल्द ही दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने पर होंगे करार
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
मोदी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ मिशन के जरिए विदेशी निवेश की बढ़ती संभावनाओं को पंख लगने शुरू हो गये हैं, जिसमेें कई देश भारत में निवेश करने के लिए उत्सुकता जाहिर कर रहे हैं। ऐसे में भारत के अरसो पुराने दोस्त रहे रूस ने अपने आपसी रिश्तों को और नजदीक लाने के लिए भारत के साथ खासकर विमानन और रेल के क्षेत्र में आपसी सहयोग आधुनिकीकरण की दहलीज पर और मजबूत करने का निर्णय लिया है।
नागर विमानन मंत्रालय के सूत्रों की माने तो विमानन और रेल क्षेत्र में दोनों देशों के बीच पहले से द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौता है, जिसमें दोनों देश और सुधार करने की तैयारी में हैं। भारत की दोनों देशों के बीच रिश्तों को और भी बेहतर बनाने की पहल पर रूस भी कारोबारी संबन्धों समेत विमानन व रेल क्षेत्र में सहयोग को बढाने के प्रति आश्वस्त हैं और दोनों देश लंबी अवधि के दोस्त और भागीदार के रूप में दोनों देश एक दूसरे देश को मदद करने को तैयार हैं। सूत्रों के अनुसार रूस सरकार निवेश को प्रोत्साहित करने और उसके परस्पर संरक्षण के लिए अंतर सरकारी समझौते के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में आगे बढ़ चुकी है। मसलन रूस एंड इंडिया रिपोर्ट (आरआईआर) ने रूस के आर्थिक विकास मंत्री एलेक्सी उलयुकाएव के साथ इस दिशा में आगे बढ़ने के इरादे से भारत-रूस व्यापारिक संबंधों में अन्य कई मुद्दों पर विचार विमर्श किया है, जिसमें दोनों देशोें के बीच द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौते में सुधार करना भी शामिल हैं।
भारत में बढ़ रही है रूसी उत्पादों की मांग
नागर विमानन मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार ‘मेक इन इंडिया’ को प्रोत्साहित करने के लिए भारत ने रूस के साथ पुरानी दोस्ती के तहत बेहतर संबन्ध बनाने के लिए विमानन और रेल क्षेत्र में अहम समझौते करने पर भी विचार विमर्श किया है। रूस पहले से ही भारत के साथ इन दोनों क्षेत्रों में ‘मेक इन इंडिया’ को प्रोत्साहित करने के लिए निवेश करने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार पहले से ही भारतीय बाजार में रूस के वाहन, उपकरण, परिवहन, रासायनिक उत्पाद और उर्वरक, तेल एवं गैस, अर्ध कीमती और कीमती धातु, कोक और थर्मल कोक, खुदरा हीरे, सेम एवं सूरजमुखी तेल आदि क्षेत्रों में मांग है। जहां तक विमानन क्षेत्र में सहयोग को नया आयाम देने की बात है उसमें क्षेत्रीय और मध्यम श्रेणी के विमानों एवं असैन्य हेलीकॉप्टरों की मांग के मद्देनजर भारत में नागर विमान क्षेत्र काफी प्रगतिशील क्षेत्र है। इसलिए रूस के साथ होने वाले समझौतें के तहत भारतीय बाजार में 100 सुखोई सुपरजेट यात्री विमानों की आपूर्ति के साथ एमसी-21 और हेलीकॉप्टरों एमआई-172, का-226 की आपूर्ति की भी संभावनाएं भी बढ़ेगी।
इसलिए घटा निर्यात
सूत्रों के अनुसार पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर पाबंदियां लगाने के बाद रूस-भारत व्यापार प्रभावित हुआ, जिसके कारण भारतीय साझेदारों के साथ बातचीत करना रूस के लिए अधिक जटिल बना हुआ था। हालांकि दोनों देश इन पाबंदियों से भारत-रूस के कारोबारी रिश्तों में किसी प्रभाव से इंकार करते हैं। जबकि एक आंकड़े के अनुसार दोनों देशों भारत-रूस के बीच पिछले कुछ सालों में व्यापार औसतन 10 अरब डॉलर के ईर्दगिर्द रहा है, जो वर्ष 2014 में गिरकर 9.5 अरब डॉलर जा पहुंचा, इसमें रूस से भारत को किया गया निर्यात लगभग 6.3 अरब डॉलर और भारत से किया गया आयात 3.2 अरब डॉलर आंका गया। यदि वर्ष 2015 के पहले चार महीनों में द्विपक्षीय व्यापार पर नजर डाली जाए तो यह 2.5 अरब डॉलर था, जिसमें वर्ष 2014 के पहले चार माह की तुलना में 17.1 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। रूस-भारत व्यापार को प्रभावित करने वाले नकारात्मक कारक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रूबल की अस्थिर विनिमय दर रही। इसके साथ ही रूस व्यापार में रूस की आपूर्ति से जुडी अनियमितताएं और रूस के घरेलू बाजार में मांग में कमी भी इसके प्रमुख कारकों में से एक है।

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