रविवार, 28 जून 2015

राग दरबार: आडवाणी और आपातकाल

आडवाणी का मर्म 
देश के लिए चार दशक पहले आपातकाल कि बुरे दौर के गवाह बने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के हालिया बयान पर काफी हु-हल्ला हुआ, जिसमें छिपी सच्चाई को खासकर कांग्रेस पचा नहीं पाई या फिर समझ नहीं पाई, बल्कि उनकी केंद्र में सत्तासीन भाजपा भी गफलत में नजर आई। सही मायने में आडवाणी के आपातकाल से जुड़े हालिया बयान में मर्म की कुछ सच्चाई तो थी, जिन्होंने मौजूदा देश की राजनीतिक व्यवस्था में फैल रही अराजकता पर सवाल खड़े करते हुए ऐसा एक अंदेशा ही तो जताया। इसका कारण समस्त राजनीतिक दलों को नसीहत भी देना था, क्योंकि आडवाणी स्वयं आपातकाल के उस काले दौर का हिस्सा रहे हैं, तो उन्होंने इस बयान में केवल अपना एक अनुभव बांटा और बहुत ही सरल शब्दों में आपातकाल को परिभाषित करते हुए उन तथाकथित सेक्युलर नेताओं को भी दलील दी, जो चार दशक पहले लोकतंत्र और लोकशाही का गला घोटने के प्रयास में इंदिरागांधी ने देश को आपातकाल के अंधकार में धकेला था। मसलन वामपंथी और तमाम सेक्युलर सूरमा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सामने दुम हिलाते नजर आए थे। केवल इंदिरा के तानाशाही वाले शासन के खिलाफ लोकनायक जयप्रकाश नारायण के साथ-साथ आपातकाल का प्रतिरोध जनसंघ और अकाली दल ने किया था। ऐसा विश्लेषण संघी या भाजपा ने नहीं बल्कि दक्षिणपंथ के धुर विरोधी लेखकर कुलदीप नैयर का है।
उल्टा पड़ा कांग्रेस का दांव
कहते हैं कि उसूलों के विपरीत राजनीति कभी कभी दर्द दे जाती है। ललित मोदी प्रकरण में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ जहर उगल रही कांग्रेस भी अब सांसत में फंस गई, जबकि ललित मोदी ने खुलासा किया कि गांधी परिवार के बेहतर रिश्तों के चलते लंदन आई प्रियंका गांधी और राबर्ट वाड्रा से भी उनकी मुलाकात हुई थी। इस प्रकरण में उलटे पड़ते दांव से विवाद में फंसती कांग्रेस को लेकर भाजपा नेता सुब्ह्मण्यम स्वामी के इस सनसनीखेज खुलासे ने तो आग में घी डालने का काम कर दिया, जिन्होंने दावा किया है कि कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी और राहुल गांधी फिलहाल ललित विवाद से खुद को बचाने के लिए ललित मोदी से मिलने लंदन गये हुए हैं। भाजपा और कांगे्रस के बीच ये सब दावे सोशल मीडिया पर वायरल होने से भाजपा के साथ अब कांग्रेस भी ललित मोदी विवाद के ईर्दगिर्द दर्द देता नजर आ रहा है। अब भाजपा की साख खराब करने सडकों पर उतरी कांग्रेस को भी अपनी पार्टी और शीर्ष नेताओं की साख बचाने की चुनौती सामने है।
तो जल्द मिलेगा मंत्री जी को बड़ा कमरा
एक ओर केंद्र सरकार देश को विश्वस्तरीय मानकों के अनुरूप विकसित बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। वहीं दूसरी ओर सरकार के मंत्री अपने रोजमर्रा के कामकाज निपटाने के लिए परमानेंट व्यवस्था किए जाने की आस लगाए बैठे हैं। यहां बात सरकार के एक बड़े मंत्रालय के राज्य मंत्री की हो रही है जो बीते एक वर्ष से अधिक समय से अपने मंत्रालय में एक छोटे से कमरे से अपना दैनिक कामकाज निपटाने को मजबूर हैं। क्योंकि उनके पास मंत्री स्तरीय बैठने की व्यवस्था नहीं थी। इस व्यवस्था को देखते हुए मंत्री जी ने कुछ दिनों तक मंत्रालय में आना बंद करके अपने सरकारी आवास से ही काम करना शुरू कर दिया था। लेकिन अब मंत्रालय में उनके लिए एक भव्य कमरे का निर्माण कराया जा रहा है। इससे अब यह तय है कि मंत्री जी जल्द ही बड़ा कमरा मिल जाएगा।
मंत्रीजी का दांत दर्द
केंद्र सरकार में एक जूनियर मंत्री इन दिनों एक ऐसे रोग से पीड़ित हैं कि न कुछ खा पा रहे और न ही ज्यादा बोल पा रहे हैें। हालांकि, वह किसी खतरनाक रोग की चपेट में नही हैं, लेकिन रोग तो रोग ही है। आलम यह है कि उनको कार्यालय से पहले और कार्यालय से निकलने के बाद सीधे डॉक्टर का चक्कर लगाना पड़ रहा है। दरअसल, महाराष्ट्र से आने वाले ये मंत्रीजी दांतों के दर्द से परेशान हैं। जब कोई मिलने जा रहा ता सबसे पहले उनके दांत के दर्द के बारे में पूछ रहा है। इतना ही नही, मंत्रीजी के चुनाव के कुछ खासमखास लोग तो इसकी भनक लगते ही दिल्ली आकर मंत्रीजी की कुशलक्षेम पूछ रहे हैं। अब क्षेत्र की जनता से तो मिलना मजबूरी है, पर उसके अलावा भी मिलने वाले दांत दर्द के बारे में ही पूछ रहे हैं।अब मंत्रीजी को इससे झुंझलाहट हो रही है। यही कारण है कि अपने स्टाफ को उन्होंने हिदायत दे दी है कि जो भी आए उससे काम के बारे में पहले पूछ ले..अगर कोई काम नही है तो बोेल दे कि, मंत्रीजी से मिल कर दांत के दर्द के बारे में न पूछे। भई.. अब मंत्रीजी को कौन याद दिलाए कि इन्हीं छोटी-छोटी औपचारिकताओं से बड़े-बड़े नाते बन जाते हैं।
राजनीति इसी को कहते हैं
सुषमा स्वराज और ललित मोदी का मामला सामने आने के बाद से कांग्रेस नेताओं की खुशी छुपाये नहीं छुप रही। पिछले कई दिनों से कांग्रेस प्रवक्ताओं को फुर्सत के पल नहीं मिल पा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पर आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी को मदद पहुंचाने के तमाम आरोप जड़ने के बाद जब वसुंधरा राजे का नाम भी उछला तो कांग्रेस के रणनीतिकारों ने नई दिल्ली में प्रेस कॉफ्रेस बुलाकर राजस्थान की मुख्यमंत्री को कठघरे में खड़ा करने के लिए पूरा जोर लगा दिया। मामला राजस्थान का था तो रणदीप सिंह सुरजेवाला के साथ सचिन पायलट और गुरूदास कामत भी पत्रकारों से रूबरू होने आ पहुंचे। पायलट राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और कामत प्रदेश प्रभारी महासचिव। सवाल-जवाबों के बीच तमाम आरोप कांग्रेस नेताओं ने जड़े। सुरजेवाला बोले ‘वसुधंरा राजे जब पिछली बार राजस्थान की मुख्यमंत्री थी तो ललित मोदी पर्दे के पीछे से सरकार चलाते थे।’ उनका आशय था कि उस दौरान ललित मोदी ने तमाम घपले किये और जमकर माल कूटा। इसी बीच एक पत्रकार ने पूछ लिया फिर जब अशोक गहलोत सरकार बनी तो ललित मोदी के घपलों-घाटालों की जांच कांग्रेस ने क्यों नहीं कराई? सवाल तो वाजिब था। भई अगर प्रदेश में आपकी सरकार बनी तो ललित को क्यों छोड़ दिया गया। कांग्रेस नेता से कोई ठोस उत्तर नहीं मिला। मतलब ये है कि विपक्ष में होंगे तो खूब शोर-शराबा करेंगे और जब सत्ता में कुर्सी पर बैठे होंगे तो घोटालेबाजों को भूल जायेंगे। राजनीति इसी को कहते हैं जनाब।
-ओ.पी. पाल, कविता जोशी,अजीत पाठक, आनंद राणा
28June-2015

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