शनिवार, 6 अप्रैल 2019

लोकसभा चुनाव: पश्चिम उत्तर प्रदेश: दूसरे चरण में दावं पर होगी दिग्गजों की प्रतिष्ठा

18 अप्रैल को होगा मतदान, भाजपा के सामने सभी सीटें बचाने की चुनौती
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
उत्तर प्रदेश में दूसरे चरण की 8 लोकसभा सीटों आगरा, फतेहपुर सीकरी, मथुरा, हाथरस, अलीगढ़, बुलंदशहर, अमरोहा और नगीना पर 18 अप्रैल को चुनाव होना है। इन सीटों पर भाजपा के खिलाफ बने सपा-बसपा-रालोद गठबंधन ने छह सीटों पर बसपा और एक-एक सीट पर सपा व रालोद के प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इन सीटों पर जातीय समीकरण के आधार पर उतरे सियासी योद्धाओं में दिलचस्प मुकाबला होने की संभावना है, जहां भाजपा के दिग्गजों को अपनी सीटें बचाने की चुनौती होगी, जबकि सियासी जमीन की वापसी के लिए कांग्रेस और गठबंधन ने भी कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा को दांव पर लगाया है। दूसरे चरण की इन आठ सीटों में चार सीटें सुरक्षित हैं, जिनमें नगीना सीट छोड़कर बाकी तीन सुरक्षित सीटों पर कांग्रेस ने ऐसा प्रत्याशी नहीं उतारा है, जिससे चुनाव त्रिकोणीय संघर्ष में हो। जबकि फतेहपुर सीकरी के त्रिकोणीय मुकाबले को छोड़कर बाकी सामान्य लोकसभा सीटों पर भाजपा का सीधे गठबंधन से मुकाबला होता नजर आ रहा है।
आगरा:
प्रो. एसपी सिंह बघेल(भाजपा)
प्रीता हरित(कांग्रेस)
मनोज कुमार सोनी(बसपा)
विश्वप्रसिद्ध ताजनगरी के रूप में पहचाने जाने वाले शहर की आगरा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने इस बार पूर्व मंत्री रामशंकर कठेरिया के स्थान पर यूपी में योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल को प्रत्याशी बनाया है। जबकि पिछले 39 साल से जीत का स्वाद चखने को कांग्रेस ने मूल रूप से हरियाणा की बेटी एवं आईआरएस अधिकारी प्रीता हरित के रूप में एक दलित चेहरा चुनाव मैदान में उतारा है। जबकि गठबंधन की ओर से बसपा के मनोज कुमार सोनी प्रत्याशी बनाए गये हैं। आगरा सीट के मौजूदा समीकरण को देखते हुए भाजपा और गठबंधन के बीच ही सीधा मुकाबला होने की संभावनाएं ज्यादा हैं, हालांकि कांग्रेस इस सियासी संग्राम को त्रिकोणीय मुकाबले में बदलने की रणनीति पर चुनाव मैदान में है। 1991 व 1998 के बाद पिछले दो बार से लगातार यह भाजपा के कब्जे में हैं।
फतेहपुर सीकरी:
राजकुमार चाहर (भाजपा)
राज बब्बर (कांग्रेस)
श्रीभगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित(बसपा)
नए परिसीमन के बाद लोकसभा बनने के बाद से ही फतेहपुर सीकरी सीट चर्चा में रही है, जहां 2009 में राज बब्बर यहां ग्लैमर लेकर आए थे, वहीं 2014 में अमर सिंह, लेकिन यहां के लोगों ने दोनों बार ग्लैमर को नकार दिया। भाजपा ने इस सीट पर मौजूदा सांसद बाबू लाल के बजाए इस सीट पर राजकुमार चाहर को टिकट दिया है। जबकि गठबंधन की ओर से बसपा ने बाहुबली नेता श्रीभगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने इस सीट पर पिछले चुनाव में हारने के बावजूद फिर से सिने स्टार रहे कांग्रेस के यूपी अध्यक्ष राजबब्बर को चुनाव मैदान में उतारा है। इस कारण यहां त्रिकोणीय हाईप्रोफाइल मुकाबले का माहौल बना हुआ है।  
मथुरा:
हेमा मालिनी (भाजपा)
महेश पाठक (कांग्रेस)
नरेन्द्र सिंह (रालोद)
कृष्णनगरी मथुरा की हाईप्रोफाइल लोकसभा सीट पर भी रोमांचक मुकाबला होगा, जहां एक बार फिर से पिछले चुनाव में भाजपा का परचम लहराने वाले सिने तारिका हेमा मालिनी चुनाव मैदान में हैं। सपा-बसपा-रालोद गठबंधन में यह सीट रालोद के हिस्से में आई है, जहां हेमा मालिनी से पिछले चुनाव में मात खा चुके जयंत चौधरी इस बार खुद बागपत सीट से चुनाव लड़ रहे हैं और यहां रालोद ने नरेन्द्र सिंह पर दांव खेला है। इस सीट को लेकर कहा जाता है कि यदि जाट-मुस्लिम समीकरण सटीक निशाने पर लगे तो वह किसी को भी परास्त कर सकता है, लेकिन पिछले चुनाव में मोदी लहर के साथ धर्मेन्द्र दयोल के सामने यह समीकरण धाराशायी हो गया था। जहां तक कांग्रेस का सवाल है उसके प्रत्याशी महेश पाठक मुकाबले को प्रयास के बावजूद त्रिकोणीय बनाने से कोसो दूर नजर आ रहे हैं।
हाथरस:
राजबीर सिंह दिलेर (भाजपा)
त्रिलोकीराम दिवाकर (कांग्रेस)
रामजीलाल सुमन (सपा)
हाथरस लोकसभा सीट पर 2009 के लोकसभा चुनाव को छोड़ 1991 के बाद से भाजपा की परंपरागत सीट के रूप में जानी जाती है। इस बार भाजपा ने सांसद राजेश कुमार दिवाकर का टिकट काटकर राजवीर सिंह दिलेर पर दांव चलाया है। इस सीट पर गठबंधन की ओर से सपा के वरिष्ठ नेता रामजी लाल सुमन के सामने भाजपा की चुनौती आसान नहीं होगी। जबकि कांग्रेस ने त्रिलोकी राम दिवाकर को चुनाव मैदान में उतारा है। जहां तक इस सीट के चुनावी समीकरण का सवाल है तो यहां भी कांग्रेस भाजपा व गठबंधन के मुकाबले में आती नजर नहीं आती। 
अलीगढ़:
सतीश कुमार गौतम (भाजपा)
चौधरी बीरेन्द्र सिंह (कांग्रेस)
अजीत बालियान (बसपा)
भाजपा ने एक बार फिर से अलगीढ़ सीट पर सांसद सतीश कुमार गौतम को मैदान में उतारा है, जिनका सीधा मुकाबला गठबंधन की ओर से बसपा प्रत्याशी अजीत बालियान से होता नजर आ रह है। इस बार भाजपा के लिए यह चिंता का कारण बना हुआ है कि सतीश गौतम और कल्याण सिंह परिवार के बीच रिश्ते बिगड़े हुए हैं, जिसके कारण लोधी वोट बैंक में बिखराव की संभावना और जाट वोट बैंक में सेंधमारी की गरज से गठबंधन ने अजीत बालियान पर दावं आजमाया है। गठबंधन के प्रत्याशी के बोटबैंक में सेंध लगाने की रणनीति के तहत कांग्रेस ने भी जाट प्रत्याशी और पूर्व सांसद विजेन्द्र सिंह को टिकट देकर समीकरण बिगाड़ने का प्रयास किया है, जिसका फायदा भाजपा को मिलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
बुलंदशहर:
भोला सिंह (भाजपा)
बंसीलाल पहाड़िया (कांग्रेस)
योगेश वर्मा (बसपा)
बुलंदशहर लोकसभा सीट पर भी भाजपा प्रत्याशी सांसद भोला सिंह और गठबंधन के बसपा प्रत्याशी योगेश वर्मा के बीच होने की संभावना है, जहां कांग्रेस प्रत्याशी वंशी लाल पहाड़िया चुनावी जंग को चाहते हुए भी त्रिकोणीय बनाने से काफी दूर हैं। यह सीट भी अलीगढ़ की तरह कल्याण सिंह के प्रभाव वाली मानी जाती है। पिछले दिनों बुलंदशहर में एक पुलिस अधिकारी की हत्या के बाद सुर्खियों में रहा मामला भी यहां वोट बैंक के ध्रुवीकरण का कारण बन सकता है, जिसका लाभ गठबंधन और भाजपा को हो सकता है।
अमरोहा:
कंवर सिंह तंवर (भाजपा)
सचिन चौधरी (कांग्रेस)
कुंवर दानिश अली (बसपा)
अमरोहा लोकसभा सीट पर भाजपा ने फिर से सांसद कंवर सिंह तंवर पर दांव आजमाया है, जिनका सीधा मुकाबला गठबंधन के गठबंधन के बसपा प्रतयाशी कुंवर दानिश अली के बीच होने की संभावना है, इसका कारण यह भी है कि कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी राशिद अल्वी के चुनाव मैदान छोड़ने के कारण दानिश की राह आसान हुई है, जिसके बाद कांग्रेस के बदले गये प्रत्याशी के रूप में सचिन चौधरी इसी के राजनीति समीकरण से इतने वाकिफ नहीं है, जो इस मुकाबले को त्रिकोणात्मक बना सके। नगीना:
डा. यशवंत सिंह (भाजपा)
ओमवती (कांग्रेस)
गिरीश चन्द्र (बसपा)
पश्चिमी यूपी की नगीना लोकसभा सीट (सुरक्षित) पर त्रिकोणीय सियासी संघर्ष साफतौर से नजर आ रहा है, जहां मुस्लिम बाहुल्य सीट पर पिछले चुनाव में मोदी लहर के कारण यह सीट भाजपा के खाते में गई थी। इस बार फिर से भाजपा प्रत्याशी के रूप में डा. यशवंत सिंह चुनाव मैदान में है, लेकिन कांग्रेस ने भी इस सीट पर पूर्व सांसद रही ओमवती को चुनाव मैदान में उतारा है, जहां दलित वोट बैंक पर गठबंधन प्रत्याशी गिरीश चन्द्र के मुकाबले ओमवती ज्यादा प्रभावशाली है। इसलिए यह भी माना जा रहा है कि कांग्रेस के मजबूत प्रत्याशी के सामने इस सीट पर इस बार भाजपा की भी राहें आसान नहीं हैं।
06Apr-2019

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें