शनिवार, 28 फ़रवरी 2015

बजट से लगे नमामि गंगे योजना को पंख!


दो गुणा से ज्यादा राशि का प्रावधान
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार के आम बजट में मोदी सरकार की महत्वकांक्षी एवं अध्यात्म की प्रतीक गंगा को स्वच्छ बनाने वाली नमामि गंगे योजना को बजट में किये गये 4176 करोड़ रुपये के प्रावधान ने नई दिशा दी है, जिससे अब तेजी के साथ सरकार इस अभियान को चलाएगी, जिसकी पहले ही सभी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है।
केंद्र सरकार की नमामि गंगे योजना के तहत गंगा के अविरल एवं निर्मल जल प्रवाह को सुनिश्चित करने का संकल्प लेकर सरकार एक समन्वित गंगा संरक्षण मिशन गठन पहले ही कर लिया है, जिसमें अपनी भूमिका निभाने वाले नामी संगठनों व स्वयंसेवी संगठनों ने जल संसाधन मंत्रालय को रूचि पत्र दे दिये हैं। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय की माने तो शनिवार को केंद्र सरकार के बजट में नमामि गंगे योजना में तेजी लाने के लिए किये गये 4176 करोड़ रुपये का प्रावधान पंख लगा देगा। इससे पहले मोदी सरकार के जुलाई 2014 में नमामि गंगे योजना के लिए 2,037 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था, जिसमें केदारनाथ,हरिद्वार, कानपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, पटना और दिल्ली में नदियों के किनारे घाटों के विकास और सौंदर्यीकरण के लिए चालू वित्त वर्ष में 100 करोड़ रुपए की राशि भी शामिल थी। इसी आवंटन से जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने इस योजना को एक जनांदोलन बनाकर सभी तैयारियों को अंजाम दिया है, जिसमें मंत्रालय को अब पहले से दो गुना राशि से भी ज्यादा मिल जाएगी और उम्मीद की जा रही है कि गंगा नमामि योजना पर तेजी से काम हो सकेगा। गंगा की अविरल एवं निर्मल जलधारा सुनिश्चित करने के लिए ‘नमामि गंगे’ योजना को अमलीजामा पहनाने की दिशा में उमा भारती पहले ही कह चुकी हैं कि इस योजना में सरकार ने प्रतिष्ठित संगठनों एवं एनजीओ की मदद ली है, ताकि त्योहारों के समय और सामान्य दिनों में गंगा में फूल, पत्ते, नारियल, प्लास्टिक एवं ऐसे ही अन्य अवशिष्ठों को बहाने को नियंत्रित किया जा सके। मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अंतर्गत ऐसे प्रतिष्ठित संगठनों एवं एनजीओ अपने अनुभवों से इस मिशन में योगदान दे रहे हैं।
जल्द गठित होगा मिशन
जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार सरकार को मिले रूचि पत्रों के आधार पर जल्द ही एक समन्वित गंगा संरक्षण मिशन गठित होगा। इस मिशन के तहत कई अन्य ऐसी पहल को आगे बढ़ाया जाएगा, जिसमें विभिन्न धार्मिक स्थलों एवं शहरों में गंगा में फूल, पत्ते, नारियल, प्लास्टिक एवं ऐसे ही अन्य अवशिष्ठों को बहाने को रोकना शामिल है। मंत्रालय इस मिशन में केदारनाथ, बद्रीनाथ, ऋषिकेश,हरिद्वार, गंगोत्री, यमुनोत्री, मथुरा, वृंदावन, गढ़मुक्तेश्वर, इलाहाबाद, वाराणसी, वैद्यनाथ धाम, गंगासागर जैसे प्रमुख शहरों एवं धार्मिक स्थलों पर योजना को चलाने पर विचार किया है।
ऐसी है योजना की शक्ल
नमामि गंगे योजना को सिरे चढ़ाने से पहले ही जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती यह भी ऐलान कर चुकी हैं कि गंगा नदी की सफाई की देखरेख के संबंध में गंगा कार्य बल के गठन किया जा रहा है। वहीं गंगा की सफाई की योजना के तहत वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून की ओर से गंगा.यमुना एवं अन्य सहायक नदियों के किनारे वनीकरण करने के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट भी मंत्रालय को मिल चुकी है और नमामि गंगे योजना को अंतिम रूप दिया जा चुका है, जिसे केवल शुरू होने का इंतजार है।गंगा संरक्षण मंत्रालय आयुष मंत्रालय के साथ औषधीय पौधों के रोपण एवं उनके उत्पादों के प्रसंस्करण के लिए पीपीआर आधारित माडल विकसित करने पर विचार किया जा रहा है।
प्रदूषित ईकाईयों पर सख्ती
मंत्रालय के अनुसार गंगा की निर्मलता सुनिश्चित करने के लिए पांच राज्यों में स्थित औद्योगिक इकाइयों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मदद से 31 मार्च 2015 तक गुणवत्ता निगरानी यंत्र लगाने के निर्देश देकर प्रदूषित ईकाइयों पर शिकंजा कसा जा रहा है। इसके लिए नेशनल गंगा मानिटरिंग सेंटर रूप में केंद्रीय जल विद्युत अनुसंधानशाला, खड्गवासला नई दिल्ली में एक इकाई स्थापित करने जा रहा है। वहीं प्रदूषित ईकाइयों पर केंद्रीय जल आयोग और उसकी 41 टीमों ने भी गंगा और यमुना के तटों पर स्थित शहरों में खुले नालों की स्थिति का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है, जिस पर सरकार योजना को अंजाम देने के मुहाने पर आ गई है।
01Mar-2015

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