सोमवार, 9 फ़रवरी 2015

दिल्ली चुनाव: नोटा भी बिगाड़ेगा धुरंधरों का खेल!


चुनाव संपन्न होते ही हार-जीत के कयासों का दौर शुरू
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए शनिवार को डाले गये वोट के बाद चुनावी दंगल में कूदे सभी 673 उम्मीदवारों के भाग्य इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन में कैद हो गये हैं। ईवीएम में मतदाताओं के लिए किसी के पक्ष में वोट न देने के विकल्प ‘नोटा’ की भूमिका भी चुनावी आंकड़ों में धुरंधरों का खेल बिगाड़ने की अहमियत रखता है। इसके बावजूद चुनाव के बाद भले ही एक्जिट पोल की बौछार हो गई हो, लेकिन खासकर भाजपा व आप ने हार-जीत को लेकर गणितिय जोड-घटा करके कयासों के दौर को आगे बढ़ा दिया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए वैसे तो सभी राजनीतिक दलो ने अपनी पूरी ताकत झोंकते हुए सत्ता तक पहुंचने की रणनीति से चुनावी दंगल में हिस्सा लिया। वर्ष 2013 कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में ईवीएम में ‘नोटा’ का विकल्प का प्रयोग किया गया था और बड़ी मात्रा में वोटरों ने इस विकल्प को चुना था, जिसके कारण जीतने की दहलीज पर पहुंचे उम्मीदवारों को भी पराजय का मुहं देखना पड़ा था। यही स्थिति शनिवार को हुए मतदान के दौरान भी सामने आई है जिसमें लोगों ने जमकर ‘नोटा’ का बटन भी दबाया है। नोटा का यह ऐसा विकल्प है जो कि किसी भी राजनीतिक पार्टी का गणित बिगाड़ सकती है और किसी की जीत को हार में तब्दील कर सकती है। नोटा ने पिछले दिल्ली विधानसभा चुनावों में एक-दो नहीं बल्कि कई सीटों पर अहम भूमिका निभाई थी। वहीं कई नेताओं की जीत को लाल झंडी दिखा दी थी। हालांकि अभी तक निर्वाचन आयोग ने नोटा के विकल्प का प्रयोग करने वाले मतदाताओं की संख्या के आंकड़े जारी नहीं किये हैँ, लेकिन जिस तरह का चुनाव प्रचार के दौरान हरेक दलों ने मुद्दों से हटकर नाकारात्म बयानबाजी से वोटरों को लुभाने का प्रयास किया था उसका गुस्सा कहीं ज्यादा नोटा के जरिए निकालना बताया जा रहा है। मतदान समाप्त होते ही चुनावी नतीजो और मुख्यमंत्री पद के लिए सर्वे करने वाली सक्रिय एजेंसियों ने एक्जिट पोल का खुलासा किया है, जिसमें आम आदमी पार्टी के पक्ष को मजबूत दिखाया गया है। इसके बावजूद भी अन्य राजनीतिक दलों ने मतदान के बाद दस तारीख को आने वाले नतीजों को लेकर हार-जीत के कयास लगाने शुरू कर दिये हैं। हालांकि असली तस्वीर दस फरवरी को मतगणना के बाद नतीजों के बाद ही सामने आएगी।
ऐसे मुसीबत बन चुका है नोटा
वर्ष 2013 के चुनाव में विकासपुरी विधानसभा क्षेत्र ऐसा था जहां हार-जीत का अंतर नोटा के मुकाबले एक तिहाई से भी कम था। इस सीट पर भाजपा के कृष्णा गहलोत की पराजय महज 405 वोटों से हारी थी। जबकि नोटा वोटों की संख्या 1426 थी। आम आदमी पार्टी के टिकट पर मुख्यत: सरकारी कर्मचारियों के क्षेत्र रामाकृष्णा पुरम से मैदान में उतरीं शाजिया इल्मी चुनाव में सबसे कम मतों से हारने वाली उम्मीदवार थीं। उन्हें भाजपा के अनिल कुमार शर्मा से महज 326 मतों से परास्त किया, जबकि नोटा के खाते में 528 मत पड़े। इसी प्रकार से दिल्ली कैंट से भाजपा करण सिंह तंवर भी मामूली 355 मतों अंतर से हारने वाले उम्मीदवारों में थे। जबकि इस सीट पर नोटा के 478 वोट पड़े थे। इसी नोटा ने पिछले चुनाव में सुरक्षित सीट सुल्तानपुर माजरा कांग्रेस के जयकिशन और संगम विहार से शिव चरण लाल गुप्ता को जीत की दहलीज से पहले ही रोक दिया था।
08Feb-2015

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