मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015

ब्रह्मपुत्र के जल को बचाने की कवायद !

ब्रह्मपुत्र-बराक प्रबंधन बोर्ड का हो सकता है पुनर्गठन ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने भारत-चीन सीमा पर ब्रह्मपुत्र नदी के जल को लेकर अंतर्राष्ट्रीय विवाद के कारण पूर्वोत्तर राज्यों में जल संकट से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। खाततौर पर ब्रह्मपुत्र के जल को बचाने और पूर्वोत्तर में नदियों को जोड़ने की योजना को अंजाम देने के लिए केंद्र सरकार ने ब्रह्मपुत्र-बराक प्रबंधन बोर्ड के पुनर्गठन व नवीनीकरण करने का प्रस्ताव भी किया किया है।
भारत की प्रमुख नदियों में शामिल ब्रह्मपुत्र नदी पर विवाद खड़े करने वाले चीन की गतिविधियों के कारण उसके जल का लाभ सीमा पर बसे भारतीय आबादी क्षेत्र को नहीं मिल पा रहा है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के सूत्रों की माने तो मोदी सरकार ने नदियो को जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी योजना को पूर्वोत्तर में तेजी के साथ शुरू करने का निर्णय लिया है, जिसमें ब्रह्मपुत्र नदी का मसला भी शामिल है। केंद्र सरकार चाहती है कि पूर्वोत्तर में जल संकट से निपटने के लिए समन्वित योजनाओं को शुरू करके जल संरक्षण और जल प्रबन्धन को पूरे देश में एक समान रूप दिया जाए। इसी दिशा में सरकार ने ब्रह्मपुत्र नदी के जल को अपने हक में सुरक्षित करने की दिशा में ब्रह्मपुत्र-बराक प्रबंधन बोर्ड के पुनर्गठन और नवीकरण करने का प्रस्ताव किया है, जिसके लिए केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती ने गंभीरता से योजनाओं का खाका तैयार करने के लिए पूर्वोत्तर के सभी राज्यों की सरकार को विश्वास में लेने की रणनीति अपनाई है और वह पिछले हफ्ते से पूर्वात्तर के दौरे पर हैं। सूत्रों ने बताया कि पूर्वोत्तर राज्यों के दौरे के दौरान सबसे पहले सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग और असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई से मुलाकात कर चुकी हैं। सोमवार को उन्होंने ईटानगर में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री नबाम टुकी और जल संसाधन मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की, जबकि कल मंगलवार फिर से उमा भारती गुवाहाटी पहुंचकर असम के मुख्यमंत्री तरूण गोगोई और जल संसाधन सचिव, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के सचिव से मुलाकात करेंगी। इन मुलाकातों का मकसद पूर्वोत्तर के जल संबन्धित मुद्दों पर चर्चा करके उनके समाधान के लिए योजनाओं का खाका बनाना है।
शिलांग में होगी कल बैठक
केंद्रीय जल संसाधन मंत्राल के प्रवक्ता ने बताया कि पूर्वोत्तर में जल संबन्धी मुद्दों और उनके समाधान के लिए मेघालय के शिलांग में 11 फरवरी बुधवार को ब्रह्मपुत्र-बराक प्रबंधन बोर्ड यानि 7वीं उच्चाधिकार प्राप्त समीक्षा बी एंड बी बोर्ड की बैठक आयोजित की गई है। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इस बैठक में मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, असम, सिक्किम तथा पश्चिम बंगाल समेत सात पूर्वोत्तर राज्यों के जल संसाधन मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी भी हिस्सा लेेंगे। इस बैठक के एजेंडे में प्रमुख रूप से ब्रह्मपुत्र-बराक प्रबंधन बोर्ड के पुनर्गठन और नवीनीकरण कि अलावा पूर्वोत्तर क्षेत्र में नदियों द्वारा तटबंधों के कटने, ब्रह्मपुत्र के बहाव के कारण होने वाले मृदा कटाव और बाढ़ प्रबंधन के महत्व, नदी जोड़ने और पूर्वोत्तर में सभी जल संसाधन मंत्रालयों के शीघ्र कार्यान्वयन पर चर्चा की जायेगी। वहीं जोरहाट के पास माजुली को ‘जल विरासत द्वीप’ घोषित करने और इसे एक समन्वित तरीके से विकसित करने की मांग पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।
10Feb-2015

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