सोमवार, 9 फ़रवरी 2015

सनसनी सेक्युलरिज्म की

राग दरबार
सनसनी सेक्युलरिज्म की

सूत न कपास, जुलाहों में लठ्ठिम-ला.. जैसी कहावत का जिक्र ऐसे में किया जा सकता है जब भारतीय गणतंत्र के विज्ञापन में धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद को जगह न मिलने पर उन राजनीतिक दलों व लोगों को चोट पहुंची, जिनकी सेक्युलर शब्द से ही रोजी-रोटी चल रही है। वहीं भारतीय संविधान से छेड़छाड़ के मुद्दे पर पूरे देश में ऐसी बहस चली कि सोशल मीडिया पर सेक्युलरिज्म की जैसे सनसनी बन गई हो। मसलन संविधान में सेक्युलर शब्द हटाने बनाम छेड़छाड़ न करने को लेकर मोर्चाबंदी का दौर ही शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर कुछ बुद्धिजीवियों ने सेक्युलरिज्म के ठेकेदारों को यह कहकर आश्वस्त करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी कि हिंदू जब तक बहुसंख्यक है, तब तक देश के सेक्युलर चरित्र पर कोई आंच नहीं आने वाली। चाहे संविधान में इसे लिखा रखने दे या हटा दें। जिस दिन और जिस हिस्से में हिंदू अल्पमत होगा वहां-वहां सेक्युलरिज्म कोमा में चला जाएगा। सोशल मीडिया पर अनेक मत पढ़ने को मिलते रहे जिनमें एक मत हिंदुओं को दूसरों से श्रेष्ठ साबित करने के लिए नहीं, अपितु उनके स्वभाव की बानगी देने के को आतुर दिखे। कुछ का तो यह भी मत रहा कि हिंदू स्वभाव से सभी धर्मों का आदर करने वाला होता है, खासतौर पर सनातन धर्म उसे ऐसा करने की इजाजत भी देता है। जब कोई हिंदू कट्टरता की बात करता है, तो समझ लो वह हिंदुत्व की मूलअवधारणा से भटक रहा है। हिंदुओं में बहुसंख्यक सर्वधर्मसदभावी हैं।
अजीब खेल कांग्रेस का
मोदी सरकार ने सीबीआई प्रमुख को फोन पर एक पूर्व केंद्रीय मंत्री के पक्ष में फोन करने का खामियाजा गृह सचिव अनिल गोस्वामी को बर्खास्त करके दिया है। इस पर भी कांग्रेस राजनीतिक खेल का दांव गंवाने में पीछे नहीं रही और केंद्र सरकार की नौकरशाह के खिलाफ हुई कार्यवाही को तानाशाही करार दिया। ऐसे में कांग्रेस के सरकार पर इन आरोपों पर चर्चा आम है कि यदि सरकार गृह सचिव के खिलाफ कार्रवाही न करती तो कांग्रेस सबसे पहले इसे मुद्दा बनाकर सरकार को यह कहकर कठघरे में खड़ा करने में कतई नहीं चूकती कि सीबीआई का दुरुपयोग हो रहा है और इस दांव को कांग्रेस भाजपा पर उलटने में पीछे नहीं रहती, क्योंकि ऐसा आरोप विपक्षी दल के रूप में भाजपा यूपीए सरकार पर लगाती रही है। मोदी सरकार की गृह सचिव के खिलाफ उनका पक्ष सुनने के बाद की गई कार्यवाही को लेकर हालांकि कांग्रेस के अलावा अन्य दलों की चुप्पी ने कांग्रेस के मोदी सरकार के लिए राहत और कांग्रेस के आरोप को नजरअंदाज करती नजर आ रही है। वहीं केंद्र सरकार की कार्यवाही ने समूची नौकरशाही को एक सकारात्म संदेश भी दे दिया है कि पद का दुरुपयोग को मोदी सरकार कतई बर्दाश्त करने वाली नहीं है।
पर्दे में रहने दो
दिल्ली विधानसभा के चुनाव जिस उतार चढ़ाव के दौर पर है उसके नतीजों पर मतदान के बाद मात्र कयासों को छोड़कर कोई भी सटीक भविष्यवाणी करने को तैयार नहीं है। दरअसल दिल्ली विधानसभा चुनाव का प्रचार इस बार असल मुद्दों से भटकता नजर आया, जिसमें करो या मरो की स्थिति में ताकत झोंकने में भाजपा ने सीएम के लिए प्रतिद्वंद्वी खेमे में सक्रिय रही किरन बेदी को लाने में अहम भूमिका निभाने वाले एक वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री ने जोखिम लिया है। यह भी तय है कि यदि दिल्ली में भाजपा सत्ता हासिल करने में कामयाब रही तो उसका सेहरा अभी तक पर्दे में छिपे केंद्रीय मंत्री को ही जाएगा, लेकिन यदि कोई चूक हो गई तो उसका ठींकरा दो अन्य केंद्रीय मंत्रियों के सिर मंढ दिया जाएगा। ऐसी चर्चा भाजपा के भीतर खुलेआम सुनने को मिल रही है, जिन्होंने किरन बेदी को नामित करने का चुनावी हल्कों में प्रचार के दौरान विरोध झेला है, लेकिन उनकी पार्टी हाईकमान ने कोई नहीं सुनी और एक जोखिम भरा दांव खेलकर किरन को आगे करने वाले को अभी तक पर्दे में ही रखा हुआ है।
08Feb-2015

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