सोमवार, 23 फ़रवरी 2015

भूमि अधिग्रहण: नरम नहीं पड़े विपक्ष के तेवर!

सरकार के सुधार करने के बावजूद एकजुट विपक्षी दल
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार के भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन के लिए सुधार करने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व सरकार के संसद के बजट सत्र में विधायी कार्यो को देश व जनहित में अंजाम तक पहुंचाने के लिए की गई सहयोग व समर्थन की अपील पर विपक्षी दलों के तेवर नरम पड़ते नजर नहीं आ रहे हैं।
सोमवार से शुरू होने वाले बजट सत्र में मोदी सरकार द्वारा लाए गये अध्यादेशों में खासकर भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को लेकर विपक्षी दल पहले से ही खफा हैं। अब सरकार के लिए संसद के बजट सत्र में इन अध्यादेशों को विधेयकों के रूप में बदलने के लिए संसद में पेश करके उन्हें पारित कराने की चुनौती है। संसद में इन विधेयकों के अलावा अन्य महत्वपूर्ण विधेयकों के लिए सरकार भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन करने से बिफरे विपक्षी दलों के प्रति नरम रवैया अपनाते हुए सरकार ने इस कानून में सुधार करने के लिए पुनर्विचार करने का शनिवार को ही ऐलान कर दिया था, लेकिन सरकार का यह फैसला भी विपक्षी दलों को रास नहीं आ रहा है। सरकार के खिलाफ भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की संसद में सरकार को घेरने की तैयारी में की जा रही लामबंदी को रोकने के लिए रविवार को संसदीय कार्यमंत्री एम. वेंकैया नायडू ने कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी से भी इस कानून समेत अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। वहीं सर्वदलीय बैठक में नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपील व विपक्ष को साथ लेकर चलने की रणनीति भी विपक्षी दलों को रास आती नजर नहीं आ रही है। कांग्रेस, जदयू, टीएमसी, राजद और वामदल जैसे विपक्षी दलों को भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर समूचा विपक्ष एकजुट नजर आ रहा है। कांग्रेस, जदयू, इनेलो व आप जैसे विपक्षी दलों का आरोप है कि ये अध्यादेश किसान और गरीब विरोधी हैं। सरकार के इस अध्यादेश पर सभी विपक्षी दल ऐसे लामबंद होते नजर आ रहे हैं कि कृषि और किसान हितैषी करार देते हुए विपक्षी दलों ने चेतावनी दे दी है कि यदि देश के कृषि उद्योग के खिलाफ सरकार कुछ भी करती है तो वे संसद से लेकर सड़क तक प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।
किसानों की सहमति लेगी सरकार
केंद्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण विधेयक में सबसे विवादास्पद मुद्दों पर बजट सत्र शुरू होने से पहले ही ऐलान कर दिया है कि औद्योगिक कारीडोर के लिए किये जाने वाले भूमि अधिग्रहण से पहले किसानों की सहमति ली जाएगी। वहीं इस विधेयक में सामाजिक प्रभावों से जुड़े प्रावधानों में बदलाव करने पर भी सरकार ने विचार और सहमति हासिल करने की बात कही है। वहीं सत्तारूढ़ दल भाजपा का कहना है कि भूमि अधिग्रहण विधेयक एक व्यापक अध्यादेश है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों के लिए किसानों को चार गुणा मुआवजा देने का प्रावधान है और यह कानून किसानों और गरीबों के हितों की पूरी तरह से रक्षा करता है।
कांग्रेस की रणनीति
बजट सत्र में कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ दोनों सदनों के लिए अलग-अलग रणनीति तैयार की है। सूत्रों के अनुसार लोकसभा में कम संख्या के मद्देनजर अन्य दलों के सहयोग के साथ अपनी बात कहने के लिए हंगामा और संसद ठप करने की रणनीति पर चलेगी, तो वहीं कांग्रेस ने राज्यसभा में संख्याबल में बहुमत के आधार पर सरकार को असहयोग के जरिए पंगु करने का खाका तैयार किया है। राज्यसभा ही नहीं इन अध्यादेशों पर सरकार को लोकसभा में भी विपक्ष की मजबूत रणनीति का सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि वह भूमि अधिग्रहण विधेयक पर कोई लचीला रूख नहीं अपनाएगी और अध्यादेश में भूमि अधिग्रहण कानून में किए गए बडे बदलावों का विरोध करेगी।
23Feb-2015

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