गुरुवार, 12 फ़रवरी 2015

युवाओं का दबदबा, दागियों का भी निकला दम!


दिल्ली विधानसभा में कम हुए करोडपति विधायक
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा में इस बार विधानसभा में कई रिकार्ड बने हैं और युवा वर्ग के विधायक बहुमत में निर्वाचित होकर दाखिल हुए हैं। दिल्ली विधानसभा में इस बार कुछ नकारात्मक मिथक भी टूटते नजर आए हैं। मसलन दिल्ली विधानसभा में दिल्ली की जनता ने दागियों और करोड़पति प्रत्याशियों को आइना दिखाकर उनके वर्चस्व को कम करने का कहीं हद तक प्रयास किया है। यहीं कारण है कि इस बार विधानसभा में दागियों और करोड़पति विधायकों की संख्या घटी है।
आम आदमी पार्टी की दिल्ली विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी सुर्खियां बनी हैं। वहीं आजाद भारत में दिल्ली की विधानसभा के चुनाव में जनता ने अपराधिक छवि के नेताओं को दरकिनार करने का प्रयास किया है। यानि 70 में से 46 विधायक एकदम स्वच्छ छवि वाले निर्वाचित हुए हैं। इसका विश्लेषण करने वाली गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफोर्म्स यानि एडीआर की जारी रिपोर्ट में तथ्य सामने आए हैं। सत्तर सीटों के लिए हुए चुनाव में 70 दलों समेत कुल 673 प्रत्याशियों में 74 संगीन मामलों वाले समेत 115 आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों अपनी किस्मत आजमाई, जिसमें आम आदमी पार्टी के 23 प्रत्याशी भी शामिल थे और सभी विधानसभा में दाखिल हुए हैं। भाजपा के निर्वाचित तीन विधायकों में रोहिणी से निर्वाचित मात्र बिजेन्द्र गुप्ता के खिलाफ दो मामले लंबित हैं। आप के निर्वाचित 23 दागी विधायकों में 14 के खिलाफ तो हत्या का प्रयास, अपहरण, धोखाधड़ी, मारपीट व अन्य संगीन धाराओं में मामले लंबित हैं। दिलचस्प पहलू यह है कि इन दागियों में सरकार बनाने जा रही आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल दागियों की सूची में पहले पायदान पर हैं, जिनके खिलाफ चार संगीन मामलों समेत सर्वाधिक दस मामले लंबित हैं। नई दिल्ली से निर्वाचित हुए अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री की शपथ लेने वाले हैं। यूं भी कहा जा सकता है कि विधानसभा में भले ही दागियों की संख्या घटी हो, लेकिन सरकार का नेतृत्व ही दागदार कहलाएगा। केजरीवाल के बाद उनके बेहद नजदीकी माने जाने वाले पडपडगंज से विजयी हुए मनीष सिसौदिया के खिलाफ तीन संगीन मामलों समेत छह आपराधिक मामले लंबित चल रहे हैं। दिल्ली की जनता ने इस बार 91 दागियों को आइना दिखाया है, जिनमें 60 प्रत्याशी ऐसे थे, जिनके खिलाफ हत्या, महिला के खिलाफ अपराध, हत्या का प्रयास जैसे संगीन मामले थे। यदि पिछली तीन विधानसभाओं पर नजर डाले तो वर्ष 2008 में 29 तथा 2013 के चुनाव में 25 दागी विधानसभा में दाखिल हुए थे।
सवा छह करोड़ का एक विधायक
दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार 230 कुबेरों ने अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन निर्वाचित होने वाले करोड़पति विधायकों की संख्या 44 पर जाकर थमी है, जो 2013 के चुनाव में 51 थी और औसतन एक विधायक की संपत्ति 10.83 करोड़ रुपये आंकी गई थी। इस बार औसतन संपत्ति का आकलन घटकर 6.29 करोड़ रुपये तक पहुंचा है। हालांकि 2008 के चुनाव में विधानसभा में 47 करोड़पति ही निर्वाचित होकर दाखिल हुए थे। कुबेर विधायकों की सूची में आरके पुरम से निर्वाचित प्रमिला टोकस 12 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ पहले पायदान पर है, जबकि छत्तरपुर सीट से आप के ही करतार सिंह तंवर नौ करोड़ रुपये के साथ दूसरे और नजफगढ़ के विधायक कैलाश गहलौत आठ करोड़ से ज्यादा की संपत्ति के साथ तीसरे पायदान के कुबेर विधायकों में शामिल हैं। सबसे कम संपत्ति वाले विधायकों में मंगोलपुरी से दूसरी बार निर्वाचित आप की राखी बिडलान की संपत्ति मात्र 18 हजार कुछ ज्यादा की है। इसके बाद जो लखपति विधायक नहीं हैं उनमें किराडी के विधायक रितुराज के पास 37 हजार से ज्यादा तथा देवली से विधायक बने प्रकाश 46 हजार रुपये की संपत्ति वाले विधायक हैं।
युवाओं का बहुमत
दिल्ली विधानसभा में इस बार 25 से 50 साल के बीच की आयु वाले 49 विधायकों ने अपना वर्चस्व कायम किया है, जिसमें 25 से 30 साल के बीच छह, 31 से 40 साल की आयु वाले 22 तथा 41 से 50 साल की आयु वाले 21 विधायक निर्वाचित हुए हैं। कहा जा सकता है कि विधानमंडल में युवाओं का बहुमत है। 51 से60 साल के बीच 16 तथा 61 से 70 साल की आयु से कम वाले चार विधायक निर्वाचित हुए हैं। 70 में से आप के 25 से 35 साल की आयु वाले 13, 36 से 45 साल की आयु वाले 28, 46 से 55 साल की आयु वाले 20, 56 से 65 साल वाले तीन तथा इससे अधिक आयु के दो विधायक शामिल हैं। जबकि भाजपा के तीन विधायकों में एक 46 से 55 साल और दो 56 से 65 साल की आयु की श्रेणी में हैं।
12Feb-2015

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