शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2015

ब्रह्मपुत्र-बराक प्रबंधन बोर्ड को मिलेगा नया नाम!

पूर्वात्तर के लोगों को लाभ देना सरकार का मकसद
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
आखिर केंद्र सरकार ने भारत-चीन सीमा पर ब्रह्मपुत्र नदी के अंतर्राष्ट्रीय विवाद और पूर्वोत्तर राज्यों में जल संकट से निपटने की कवायद में ब्रह्मपुत्र-बराक प्रबंधन बोर्ड का पुनर्गठन करने का निर्णय करते हुए इसका नाम बदलने का प्रस्ताव कर लिया है।
 केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के सूत्रों ने शिलांग में आयोजित बोर्ड की 7वीं उच्चाधिकार प्राप्त समीक्षा बैठक में ब्रह्मपुत्र-बराक प्रबंधन बोर्ड के पुनर्गठन और नवीनीकरण के प्रस्ताव पर केंद्रीय मंत्रियों और पूर्वोत्तर के सात राज्यों के साथ मैराथन मंथन के बाद निर्णय में बदलने का फैसला कर लिया है। सूत्रों के अनुसार केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरुद्धार मंत्री सुश्री उमा भारती बैठक में बनी सहमति के बाद ऐलान कर दिया कि कि ब्रह्मपुत्र-बराक प्रबंधन बोर्ड को नए सिरे से पुनर्गठित करके एक नया बोर्ड बनाया जाएगा। सरकार के इस कदम से ब्रह्मपुत्र नदी के जल को अपने हक में सुरक्षित करने में मदद मिल सकेगी। सरकार का यह निर्णय ठीक उसी तरह का है जिस तरह योजना आयोग को खत्म करके नीति आयोग का गठन किया गया है। उसी तर्ज पर केन्द्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती ने नए बोर्ड को पुनर्गठित करने के लिए सातों पूर्वोत्तर राज्यों से विचार और सुझाव तथा उनकी सहमति आने के बाद इस बोर्ड को अधिक अधिकारों से संपूर्ण और प्रभावी तंत्र का दर्जा दिया जाएगा। इस बोर्ड के पुनर्गठन करने का मेघालय के मुख्यमंत्री ने महत्वपूर्ण कदम करार दिया औश्र कहा कि ब्रह्मपुत्र नदी क्षेत्र के लोगों को बहुत से लाभ प्रदान कर सकती है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियां भी लोगों की आर्थिक व्यवस्था को प्रभावित करती हैं और इनके कारण आने वाली बाढ़ के चलते लोगों को दूसरे क्षेत्रों में विस्थापित होना पड़ता है।
समिति का गठन
उमा भारती ने ब्रह्मपुत्र नदी को एक अग्रज भ्राता बताते हुए कहा कि मंत्रालय का गंगा नदी की तरह ही ब्रह्मपुत्र नदी पर भी समान अस्तित्व है। इसलिए नए बोर्ड के गठन हेतु एक समिति के गठित की जाएगी। यह समिति बोर्ड को पुनर्गठित करने के लिए आवश्यक कदमों और उपायों के सुझाव देगी। उनका यह भी तर्क है कि मौजूदा बोर्ड असम में संचालित नहीं है, इसलिए बोर्ड को और अधिक सक्षम और संसाधनयुक्त बनाने के लिए एक निर्णय लिया जा चुका है।
इसलिए होगा बोर्ड का पुनर्गठन
केंद्र सरकार ने ब्रह्मपुत्र-बराक प्रबंनधन बोर्ड का पुनर्गठन करने का इसलिए भी निर्णय लिया है कि देश की प्रमुख नदियों में शामिल ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन की गतिविधियों के कारण खड़े किये जा रहे विवाद के कारण इस नदी के जल का लाभ सीमा पर बसे भारतीय आबादी क्षेत्र को नहीं मिल पाता। मंत्रालय के सूत्रों ने इस बोर्ड को खत्म करके नया बोर्ड गठित करके उसके तहत नदियो को जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी योजना को पूर्वोत्तर में भी लागू करने का खाका खींचा है, ताकि सिक्किम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, असम तथा पश्चिम बंगाल आदि पूवोत्तर राज्यों के क्षेत्र में नदियों द्वारा तटबंधों के कटने, ब्रह्मपुत्र के बहाव के कारण होने वाले मृदा कटाव और बाढ़ प्रबंधन के महत्व, नदी जोड़ने और पूर्वोत्तर में जल संबन्धी चुनौतियों से निपटने में मदद मिल सकेगी।
पूवोत्तर का विकास प्राथमिकता
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती पहले ही कह चुकी है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र का विकास त्वरित गति पर शुरू किया जा रहा है। जिसके तहत पूर्वोत्तर क्षेत्र और केन्द्र सरकार के बीच कोषों की सहभागिता 70:30 के अनुपात पर न होकर 90:10 के अनुपात करने का प्रस्ताव किया गया है। केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू भी बैठक में उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर एक जल बाहुल्य क्षेत्र है और इस क्षेत्र में जल का प्रबंधन किए जाने की आवश्यकता है। 

13Feb-2015

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