शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2015

नमामि गंगे योजना शुरु करने की तैयारी!

सरकार ने एनजीओ से मांगे रुचि पत्र
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार की नमामि गंगे योजना को शुरू करने की तैयारी को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है, जिसमें गंगा के अविरल एवं निर्मल जल प्रवाह को सुनिश्चित करने का संकल्प लेकर सरकार एक समन्वित गंगा संरक्षण मिशन गठन करेगी। इसके लिए सरकार ने इस क्षेत्र के लिए काम करने वाले नामी संगठनों व स्वयंसेवी संगठनों से रूचि पत्र मांगे हैं।
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय के अनुसार गंगा की अविरल एवं निर्मल जलधारा सुनिश्चित करने के लिए ‘नमामि गंगे’ योजना को अमलीजामा पहनाने के तहत सरकार ने प्रतिष्ठित संगठनों एवं एनजीओ से रुचि पत्र आमंत्रित किए हैं ताकि त्योहारों के समय और सामान्य दिनों में गंगा में फूल, पत्ते, नारियल, प्लास्टिक एवं ऐसे ही अन्य अवशिष्ठों को बहाने को नियंत्रित किया जा सके। मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के अंतर्गत ऐसे प्रतिष्ठित संगठनों एवं एनजीओ से 23 फरवरी तक रुचि पत्र यानि एक्सप्रेशन आॅफ इंट्रेस्ट मांगे हैं, जिन्हें अवशिष्ठ प्रबंधन का अनुभव हो और वे इस क्षेत्र में काम करते आ रहें हैं। इसलिए एनजीओ से इस संबंध में रूचि पत्र में सम्पूर्ण दस्तावेजों को भेजने का अनुरोध किया है।
मिशन गठित करने का प्रस्ताव सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय रूचि पत्रों के आधार पर जल्द ही एक समन्वित गंगा संरक्षण मिशन गठित करेगा, जिसके प्रस्ताव में नमामि गंगे नाम दिया जाएगा। वहीं इस मिशन के तहत कई अन्य ऐसी पहल को आगे बढ़ाया जाएगा, जिसमें विभिन्न धार्मिक स्थलों एवं शहरों में गंगा में फूल, पत्ते, नारियल, प्लास्टिक एवं ऐसे ही अन्य अवशिष्ठों को बहाने को रोकना शामिल है। मंत्रालय जिन प्रमुख शहरों एवं धार्मिक स्थलों पर विचार कर रहा है, उनमें केदारनाथ, बद्रीनाथ, रिषिकेश, हरिद्वार, गंगोत्री, यमुनोत्री, मथुरा, वृंदावन, गढ़मुक्तेश्वर,इलाहाबाद, वाराणसी, वैद्यनाथ धाम, गंगासागर शामिल हैं।
जल्द बनेगा गंगा कार्य बल
जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार गंगा नदी की सफाई की देखरेख के संबंध में गंगा कार्य बल के गठन का निर्णय किया गया है। इसके लिए जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती पहले से ही घोषणा कर चुकी हैं। गंगा की सफाई की योजना के तहत वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून की ओर से गंगा.यमुना एवं अन्य सहायक नदियों के किनारे वनीकरण करने के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने के कार्य से संबंधित योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है। गंगा संरक्षण मंत्रालय आयुष मंत्रालय के साथ औषधीय पौधों के रोपण एवं उनके उत्पादों के प्रसंस्करण के लिए पीपीआर आधारित माडल विकसित करने पर विचार किया जा रहा है।
औद्योगिक प्रदूषण पर शिकंजा
केंद्र सरकार प्रदूषणकारी इकाईयों के नदियों में जाने वाले प्रदूषित पानी पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है। मंत्रालय के अनुसार गंगा की निर्मलता सुनिश्चित करने के लिए पांच राज्यों में स्थित औद्योगिक इकाइयों के साथ विचार विमर्श किया जा चुका है। इसमें सरकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मदद से सभी प्रदूषणकारी इकाइयों को 31 मार्च 2015 तक गुणवत्ता निगरानी यंत्र लगाने के दिशा निर्देश जारी कर चुकी है। नेशनल गंगा मानिटरिंग सेंटर की स्थापना के लिए केंद्रीय जल विद्युत अनुसंधानशाला, खड्गवासला द्वारा दिल्ली में एक इकाई स्थापित की जायेगी। उधर केंद्रीय जल आयोग और उसकी 41 टीमों ने गंगा और यमुना के तटों पर स्थित शहरों में खुले नालों की स्थिति का निरीक्षण कर एक रिपोर्ट जारी कर दी है।
06Feb-2015

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