रविवार, 15 फ़रवरी 2015

आप का राज्यसभा में दाखिल होने का रास्ता साफ !

तीन साल का इंतजार करना होगा
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
दिल्ली में प्रचंड बहुमत लेकर सत्ता में पहुंची आम आदमी पार्टी का अब लोकसभा के बाद राज्यसभा में दाखिल होने का भी रास्ता साफ हो गया है। हालांकि आप को अभी अपने प्रतिनिधियों को उच्च सदन में भेजने के लिए करीब तीन साल का इंतजार करना पड़ेगा।
दिल्ली विधानसभा के चुनाव में 70 में से 67 सीटे कब्जाकर आम आदमी पार्टी ने शनिवार को दिल्ली में अपनी सरकार बना ली है। इस प्रचंड बहुमत वाली आप सरकार को अब संसद के उच्च सदन में अपनी पार्टी का प्रतिनिधित्व करने का इंतजार रहेगा, जहां आप के तीन सदस्यों के पहुंचने का रास्ता साफ हो चुका है। राज्यसभा सदस्य के निर्वाचन की प्रक्रिया और नियमों के अनुसार तीन साल पहले 28 जनवरी 2012 को निर्वाचित होकर राज्यसभा सदस्य बने कांग्रेस पार्टी के डा. कर्ण सिंह, जनार्दन द्विवेदी व पुन: निर्वाचित परवेज हाशमी का उच्च सदन में 27 जनवरी 2018 तक का कार्यकाल है, जिसके पूरा होने के बाद ही आप के सदस्यों को राज्यसभा में प्रवेश मिल सकेगा। राज्यसभा में दिल्ली के कोटे में तीन सीटें निर्धारित हैं और छह साल का कार्यकाल पूरा होने या सदस्य के इस्तीफा देने अथवा अन्य नियम में उद्धित छह कारणों से ही उच्च सदन की कोई सीट रिक्त घोषित की जा सकती है। जनवरी 2012 में दिल्ली की तीनों सीटों के लिए हुए द्विवार्षिक चुनाव में कांग्रेस के उक्त तीन सदस्य निर्वाचित होकर उच्च सदन में पहुंचे थे। उस समय दिल्ली में कांग्रेस बहुमत की सरकार थी। दिल्ली में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बाद आप की ओर से उच्च सदन में भेजे जाने वालों की कतार कोई छोटी नहीं है, जिसमें लोकसभा चुनाव में भाजपा से पराजित आप के प्रो. आनंद कुमार, आशुतोष, आशीष खेतान के अलावा योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण, कुमार विश्वास, संजय सिंह, और मीरा सान्याल जैसे नेता शामिल है। आप इन्हीं नेताओं में से किन्ही तीन को राज्यसभा में भेज सकती है, लेकिन अभी तीन साल का इंतजार करना होगा।
क्या है राज्यसभा की प्रक्रिया
संसद की 250 सदस्यी राज्यसभा राज्यों की परिषद है, जिसके सदस्य राज्यों के लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनका चुनाव राज्य की विधानसभा के चुने हुए सदस्यों द्वारा होता है। राज्यसभा में स्थान भरने के लिए राष्ट्रपति, चुनाव आयोग द्वारा सुझाई गई तारीख के आधार अधिसूचना जारी की जाती है है। जिस तिथि को सेवानिवृत्त होने वाले सदस्यों की पदावधि समाप्त होनी हो उससे तीन मास से अधिक समय से पूर्व ऐसी अधिसूचना जारी नहीं की जाती। उच्च सदन में सदस्यों की संख्या का कोटा राज्य की आबादी के आधार पर होता है। दिल्ली की आबादी फिलहाल 2.1 करोड़ से ज्यादा है और दिल्ली विधानसभा में 70 सदस्य इस आबादी का प्रतिनिििधत्व करते हैं। विधानमंडल के सदस्य ही उच्च सदन के सदस्यों का निर्वाचन करते हैं, जहां आप के 67 विधायक है तो जाहिर सी बात है कि राज्यसभा के 2018 में होने वाले द्विवार्षिक चुनाव में आप के निर्विरोध सदस्य निर्वाचित हो जाएंगे। राज्य के राजपत्र में घोषणा के प्रकाशन से 14 दिनों के भीतर, त्यागपत्र नहीं दे देता तो, संसद का सदस्य नहीं रहता। यदि कोई सदस्य, सदन की अनुमति के बिना 60 दिन की अवधि तक सदन की किसी बैठक में उपस्थित नहीं होता तो वह सदन उसके स्थान को रिक्त घोषित कर सकता है। इसके अलावा लाभ के पद, दिवालिया घोषित होने, न्यायालय से अयोग्य घोषित होने, सदन में निष्कासन के प्रस्ताव पारित होने या सदस्य को राष्ट्रपति अथवा किसी राज्य का राज्यपाल चुने जाने वाले किसी भी सदस्य को सदन में अपना स्थान रिक्त करना पड़ता है।
15Feb-2015

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें