शनिवार, 14 फ़रवरी 2015

रामलीलाल मैदान में जुड़ेगा इतिहास का एक और पन्ना!

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल आज लेंगे शपथ
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
दिल्ली का ऐतिहासिक रामलीला मैदान एक और नए आयाम खड़े करने की गवाही में एक और ऐतिहासिक पन्ना जोड़ने जा रहा है।
इसी ऐतिहासिक मैदान में शनिवार को आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की दूसरी बार शपथ लेंगे। इससे पहले भी यह मैदान अनेक ऐतिहासिक पलो का गवाह बन चुका है। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ से लेकर दिल्ली विधानसभा चुनाव की रैलियों तक देश व सियासी करवटे बदलने तथा नए रास्ते तय करने में ऐतिहासिक रामलीला मैदान की गवाही में शनिवार को आप के प्रमुख अरविंद केजरीवाल के शपथ ग्रहण के साथ एक और पन्ना जोड़ लेगा। यह भी दिगर है कि जनलोकपाल के मुद्दे पर सरकार छोड़ने से पहले भी अरविंद केजरीवाल ने इसी मैदान को मुख्यमंत्री की शपथ का गवाह बनाया था। खट्टे-मिठ्ठे और उतार-चढ़ाव के पलों को समेटे यह ऐतिहासिक रामलीला मैदान एक नहीं कई नई शुरूआत और नए रास्ते का गवाह भी बना है, जहां से निकले नए रास्तों और समय ने भी करवटे बदलने का आयाम तय किया है। इसी मैदान से 2011 में अन्ना आंदोलन शुरू हुआ था और उसी आंदोलन की परिणति के रूप में आम आदमी पार्टी का उदय हुआ। यही वह मैदान है जो आज अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक सफर का रास्ता तय करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री तक कुर्सी तक जाने की गवाही दे रहा है। वर्ष 2011 में चार जून की उस काली रात की गवाही भी इसी मैदान ने दी, जब योगगुरू बाबा रामदेव व उनके समर्थकों पर पुलिसिया अत्याचार ने जमकर कहर बरसाया गया।
छलकें आंसू बनाम आपातकाल
इतिहासकारों की माने तो इस मैदान के छतरीनुमा मंच पर 1961 में जब ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ आई थी, तो कुछ सालों के बाद रामलीलाओं के मंचन के बाद यह राजनीतिक और अन्य संगठनों तथा धार्मिक आयोजनों का मैदान बन गया, जो कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह बना हुआ है। वर्ष 1963 में ततकालीन प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की मौजूदगी में इसी मैदान पर प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर ने देश भक्ति और देश के लिये प्राणो को न्यौछावर कर देने वाले वीर सैनिको को याद करते हुए 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत गाया था। इस गीत पर उस दौरान मौजूद जन समूह के साथ पंडित नेहरू के छलके आंसुओं का भी यह मैदान गवाह है। जबकि वर्ष 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इसी मैदान से 'जय जवान जय किसान' का नारा दिया, तो वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारत की विजय एवं बांग्लादेश के उदय का जश्न मनाने के लिए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में विजय रैली' की गवाही का पृष्ठ भी जुड़ गया था। आपातकाल मेें इसी मैदान से जयप्रकाश नारायण ने 25 जून 1975 इंदिरा गांधी के शासन के खिलाफ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की प्रसिद्ध 'कविता सिंहासन खाली करो, कि जनता आती है' का गुणगान करते हुए लोकतंत्र को बचाने के लिए आंदोलन का बिगुल बजाया था। जयप्रकाश नारायण ने यहीं से इसी दिन सशस्त्र बलों से इंदिरा गांधी के आदेशों को न मानने की अपील की और उसी रात को देश में आपातकाल लागू कर दिया गया।
14Feb-2015

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