सोमवार, 2 फ़रवरी 2015

जनता परिवार की एकजुटता को झटका!

क्षेत्रीय दलों से गठबंधन पर वामदलों का बदला रुख
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
वामदलो के बदलते रूख से जनता परिवार को एकजुट करके एक संयुक्त दल बनाने की कवायद करने वाले दलों को झटका माना जा सकता है, जिसमें सपा, जदयू, राजद समेत छह दलों ने केंद्र में मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के मकसद से बिछड़े जनता परिवार को एकजुट करने की कवायद की थी।
लोकसभा चुनाव में तीसरे विकल्प की डोर बीच में ही टूट जाने के बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव की पहल पर छह नवंबर 2014 को जदयू, राजग, जद-एस, इनेलो व समाजवादी जनता पार्टी जैसे दलों की बैठक करके केंद्र की सत्ता में आई राजग की मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए महामोर्चा बनाने का ऐलान किया गया था। इस दौरान गैर भाजपाई और गैर कांग्रेसी दलों ने दावा किया था कि संसद के शीत कालीन सत्र के दौरान यह महामोर्चो एक सशक्त विपक्ष की भूमिका में मोदी सरकार को घेरने का काम करेगा, लेकिन इस संसद सत्र में तो क्या अब 23 फरवरी से संसद का बजट सत्र शुरू होने वाला है, लेकिन जनता रिवार की एकजुटता बनने से पहले बिखरती नजर आ रही है। मसलन इन दलों के नेताओं ने दावा किया था कि उनके साथ वामदल र अन्य क्षेत्रीय दल भी इस महामोर्चा का हिस्सा होंगे। हालांकि अभी तक जनता परिवार की एकजुटता की दुहाई देते आ रहे इन लों की न तो एक संयुक्त राष्टÑीय दल के गठन और न ही एक संयुक्त नेता के चयन पर सहमति बन पाई है, बल्कि हाल ही में वामदलों के क्षेत्रीय दलों के साथ जाने के रूख में यूटर्न के आए संकेतों ने जनता परिवार की एकता के सामने बड़ी मुश्किलों का पहाड़ खड़ा कर दिया है। तीसरे विकल्प के रूप में एकजुटता होने से पहले टूटने का इतिहास तो भारतीय राजनीति में पुराना है, लेकिन इस बाद सपा, राजद, जदयू जैसे दलों ने जनता परिवार को एकजुट करने का विकल्प तलाशकर नई पहल करने पर जोर दिया था, लेकिन इन दलों के साथ काई क्षेत्रीय दल भी आने को राजी नहीं है, बल्कि वामदलों ने इस पहल का समर्थन किया था। अब जा सियासी समीकरण में माकपा क्षेत्रीय दलों के साथ राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन करने जैसे अपने पुराने रूख बदलने के संकेत देकर नता परिवार की एकजुटता की तस्वीर को और धुंधला कर दिया है? वामदल अब अपनी ताकत बढ़ाने के लिए देश भर में वाम एकता को मजबूत करने की कवायद में जुटने जा रहे हैं। ऐसे संकेत माकपा की राजनीतिक कार्यनीति पर जारी समीक्षा रिपोर्ट में सामने आए हैं।
क्या हैं वामदलों की कार्यनीति
माकपा क्षेत्रीय दलों के साथ राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन करने जैसे अपने पुराने रूख बदलने के संकेत देकर सकती है और वामदल अब अपनी ताकत बढ़ाने के लिए देश भर में वाम एकता को मजबूत करने की कवायद में जुटने जा रहे हैं। ऐसे संकेत माकपा की राजनीतिक कार्यनीति पर जारी समीक्षा रिपोर्ट में सामने आए हैं। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नये दलों के साथ आने के कारण राजनीतिक दलों में बदलाव जैसे हालात से निपटने के लिए लचीला तरीका हो और वामदलों की एकीकृत कदम के तहत खास राजनीतिक या जन मुद्दों पर संयुक्त मंच बनाने की जरूरत पड़ सकती है। मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, केरल और त्रिपुरा के अलावा तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों में बड़े पैमाने पर और पार्टी की स्वतंत्र ताकत के तौर पर कोई बदलाव करने का भी रिपोर्ट में जिक्र किया गया है, ताकि पार्टी की स्वतंत्र भूमिका बढ़ाने को प्राथमिकता मिले और अपनी ताकत और जनाधार बढ़ाया जा सके। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक वाम और लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) तैयार होना चाहिए, जिसके तहत वाम एकता को मजबूत करने और इसे विस्तारित करने के लिए कदम उठाना चाहिए। चुनावी रणनीति में एलडीएफ निर्माण की अहमियत पर ध्यान देने पर भी बल दिया गया है।
02Feb-2015

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