बुधवार, 11 फ़रवरी 2015

निर्दलीय उम्मीदवारों पर भारी पड़ा ‘नोटा’

दिल्ली की हर सीट पर नोटा का शतकीय प्रहार
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों की मतगणना के बाद आए नतीजों के बाद आम आदमी पार्टी के प्रचंड बहुमत के बाद इस बार ईवीएम में मतदाताओं के लिए किसी के पक्ष में वोट न देने के विकल्प ‘नोटा’ को किसी उम्मीदवार का खेल बिगाड़ने का तो काम नहीं किया, लेकिन सभी विधानसभा सीटों पर नोटा निर्दलीय उम्मीदवारों को मिली वोटों से कहीं ज्यादा मत बटोरने में कामयाब रहा है।
ईवीएम में किसी प्रत्याशी को नापसंद करने के विकल्प के रूप में ‘नोटा’ का हरेक सीट पर जमकर बटन दबाया गया। इस बार कुल मतदान में से 35,919 यानि 0.4 प्रतिशत मतदान ‘नोटा’ के पक्ष में हुआ। दिल्ली की एक भी ऐसी सीट नहीं रही, जहां नोटा का शतकीय प्रहार न हुआ हो। यह बात भी दिगर रही कि किसी सीट पर नोटा फिसड्डी नहीं रहा, भले ही निर्दलीय प्रत्याशियों को मिले मतों का सैकड़ा न पड़ा हो। इस बार भी पिछले चुनाव की तरह सबसे कम नोटा का उपयोग मटिया महल विधानसभा सीट पर हुआ, जहां 203 वोट के लिए नोटा का बटन दबाया गया। जबकि सर्वाधिक 1102 नोटा के वोट मटियाला विधानसभा सीट पर पड़े। वर्ष 2013 के चुनाव में सर्वाधिक 1426 वोट के लिए विकासपुरी विधानसभा सीट पर बटन दबाया गया था। वर्ष 2013 के चुनाव में पहली बार नोटा का उपयोग होने पर कुल 49774 यानि 0.63 प्रतिशत वोट सामने आए थे और कई प्रत्याशियों को जीत की दहलीज पर जाने रोककर उनका सियासी खेल बिगाड़ दिया था। मसलन कई ऐसी सीट थी, जहां जीत के अंतर से ज्यादा नोटा के पक्ष में वोट डाले गये थे। हालांकि इस बार हर सीट पर विशाल अंतर से हार-जीत में नोटा किसी प्रत्याशी का खेल तो नहीं बिगाड़ सका, लेकिन निर्दलीयों से ज्यादा वोट लेकर उनसे आगे नजर आया। मटियाला विधानसभा सीट पर नोटा के पक्ष में सर्वाधिक 1102 वोट गये,जिसके बाद करावलनगर सीट पर 888, बवाना में 870, किराडी में 840, विकासपुरी सीट पर 790, नरेला सीट पर 767, बादली में 713, रिठाला में 705, मॉडल टाउन में 690, उत्तमनगर में 672, राजौरी गार्डन में 649, शालीमार बाग में 627, मादीपुर में 601 वोट नोटा के पक्ष पड़े। बाकी सीटों पर नोटा को 600 से कम वोट मिले और नोटा की न्यूनतम 203 वोट रही, जो मटिया महल सीट पर देखने को मिली। मसलन इस बार नजफगढ़ सीट पर आप के प्रत्याशी सबसे कम 1,555 से जीते, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि पिछले चुनाव की तरह नोटा ने इस बार किसी प्रत्याशी की हार-जीत पर असर डाला है।
वीआईपी सीटों पर नोटा
वीआईपी सीट माने जाने वाली विधानसभा सीटों पर ‘नोटा’ के पक्ष में पड़े वोटों की बात करें तो नई दिल्ली विधानसभा सीट, जहां से मुख्यमंत्री के दावेदार एवं आप के अरविंद केजरीवाल ने बड़ी जीत हासिल की है पर 465 लोगों ने नोटा का बटन दबाया, जबकि इस सीट पर न्यूनतम 30 मत गरीब आदमी पार्टी के अजीत को मिले। इस सीट पर पांच अन्य निर्दलयों को मिले वोट तीन अंक तक नहीं पहुंच सका। इसी प्रकार भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री की दावेदार किरन बेदी कृष्णानगर विधानसभा सीट पर हार गई है, जहां नोटा के पक्ष में 358 वोट पड़े। यहां राजलोक पार्टी के जगबीर सिंह को न्यूनतम 32 वोट मिले, इसके बाद यहां तीन निर्दलीय प्रत्याशी सैकड़ा नहीं छू सके। इसके अलावा कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री के दावेदार माने जाने वाले अजय माकन की सदन बाजार विधानसभा सीट पर नोटा के लिए 412 मतदाताओं ने बटन दबाया, जहां चार निर्दलीय प्रत्याशी सैकड़ा का अंक नहीं छू पाये।
सबसे बड़ी जीत
चुनाव आयोग के जारी आंकड़ो के मुताबिक दिल्ली चुनाव में सबसे ज्यादा अंतर से जीत हासिल करने वाले प्रत्याशी आप के महेंद्र यादव रहे जिन्होंने विकासपुरी सीट से भाजपा के संजय सिंह को 77,665 वोटों से हराया है। इसके बाद आप के संजीव झा ने बुराड़ी सीट 67,950 वोटों, ओखला सीट से आप के अमानतुल्लाह खान ने 64,532 वोटों, सुल्तानपुर माजरा सीट से आप के संदीप कुमार ने 64,439 वोटों तथा देवली सीट से आप के ही प्रत्याशी प्रकाश ने 63,937 वोटों के अंतर से जीत दर्ज कर भाजपा को पछाड़ा है।
किस्मत का खेल
दिल्ली विधानसभा चुनाव में नजफगढ़ से आप प्रत्याशी कैलाश गहलोत ने मात्र 1,555 वोट से जीत दर्ज की है। जबकि इसके बाद कृष्णानगर सीट से आप के प्रत्याशी एसके बग्गा ने भाजपा की सीएम कैंडिडेट किरन बेदी को करीब 2,277 वोटों से हराया। इसके बाद शकूर बस्ती से आप की प्रत्याशी बंदना कुमारी ने 3,133 वोट, लक्ष्मी नगर से आम आदमी पार्टी नितिन त्यागी ने 4,846 तथा रोहिणी से भाजपा के विजेंद्र कुमार गुप्ता ने 5,367 वोट के अंतर जीत हासिल की।
11Feb-2015

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