बुधवार, 25 फ़रवरी 2015

इसलिए है भूमि अधिग्रहण बिल का विरोध!

सरकार गले की फांस निकालने की राह पर
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलो की लामबंदी ने मोदी सरकार के खिलाफ जिस प्रकार मोर्चा खोला है उससे राजग सरकार की मुश्किलें बढ़ तो रही है, लेकिन मोदी सरकार भी इन मुश्किलों से बाहर निकलने के माकूल जवाब के साथ इस विवादित विधेयक को संसद में पारित कराने के लिए मुहरे बिछा चुकी है। मसलन जिन वजहों से इस विधेयक का विरोध हो रहा है उन पर सरकार की रणनीति शायद चर्चा के दौरान आने वाले संशोधनों को स्वीकार करके भूमि अधिग्रहण कानून को पास कराने की है।
संसद के बजट सत्र के शुरूआती दौर यानि मंगलवार का दिन भूमि अधिग्रहण विधेयक पर संसद के अंदर और संसद के बाहर हंगामा और विरोध प्रदर्शन के रूप में सामने आया, जहां संसद के दोनों सदनों में एकजुट विपक्ष ने भूमि अधिग्रहण विधेयक के विरोध में हंगामा किया, वहीं टीएमसी सांसदों ने संसद परिसर में धरना प्रदर्शन किया। जबकि जंतर-मंतर पर समाजसेवी अन्ना हजारे के धरना स्थल पर भूमि अधिग्रहण विधेयक के विरोध में किसान संगठन भी समर्थन देते और गरजते नजर आए। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस विधेयक के प्रावधानों को लेकर केंद्र सरकार का नेतृत्व कर रही पार्टी और उसके अनुसांगिक संगठनों में भी अप्रत्यक्ष रूप से विरोधी स्वर भी मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ाते नजर आ रहे हैं, जबकि विपक्ष का तो मकसद ही मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले रखना है। लोकसभा में मंगलवार को विपक्ष के विरोध और वाकआउट के बावजूद पेश किये गये भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक पर चर्चा होगी तो उस दौरान विभिन्न दलों की ओर से आने वाले संशोधनों को स्वीकार करने की संभावना है, ताकि सरकार विपक्ष की लामबंदी को तोड़ते हुए इसे राज्यसभा में पारित कराने के रास्ते को प्रशस्त कर सके। हालांकि सरकार इस विधेयक के प्रावधानों में सुधार करने का भरोसा विपक्ष को पहले ही दे चुकी है, लेकिन विपक्ष का मकसद मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए मुद्दे पैदा करने की नीयत के रूप में भी देखा जा रहा है। हालांकि सरकार भी भूमि अधिग्रहण विधेयक के विरोध की वजहों से वाकिफ हो चुका है, जिनका समाधान करने के लिए सरकार और पार्टी स्तर पर भी निरंतर मंथन हुआ है। इसलिए सरकार इस विधेयक को पारित कराने हेतु गले की फांस को निकालने के लिए कूटनीतिक रणनीतियों के रास्ते पर है।
इन प्रावधानों ने बढ़ाया विरोध
लोकसभा में पेश किये गये भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिक और पारदर्शिता अधिकार (संशोधन) विधेयक-2015 के प्रावधानों का अध्ययन किया जाए तो पता चलता है कि सरकार ने यूपीए शासनकाल के विधेयक के किन-किन प्रावधानों में संशोधन किये हैं जिनके कारण सरकार के सामने विपक्षी वार बढ़ा है। अब सरकार इस विधेयक के प्रावधानों पर विपक्षी दलों के साथ विचार-विमर्श करके तार्किक सुधार करने के मूड में हैं, लेकिन सरकार चाहती है कि सदन में विधायी कार्यो को अंजाम देने में विपक्षी दल सरकार का सहयोग व समर्थन करें। केंद्र सरकार द्वारा लाये गये अध्यादेश में जहां तक विधेयक में सरकार की मुश्किलें बढ़ाने वाले प्रावधान हैं उनमें अधिग्रहित भूमि पर पांच साल के भीतर काम शुरू करने की शर्त हटाना, मुकदमेबाजी के वक्त को पांच साल की मियाद से बाहर करने, मुआवजे के प्रावधान में रेट्रोस्पेक्टिव क्लॉज के तहत मुआवजे की परिभाषा बदलने, कानूनों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही के प्रावधान में ढील देने जैसे प्रावधान का विरोध हो रहा है। खासतौर पर अध्यादेश में बिना सहमति के किसान की जमीन के अधिग्रहण की अनिवार्यता यानि भू-स्वामी को उसकी भूमि से बेदखल करने वाले निर्णयों ने विपक्षी दलों को इस विधेयक के खिलाफ मोर्चा खोलने का मौका दिया है।
25Feb-2015

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें