गुरुवार, 1 मई 2014

दबंगई की चाशनी में तारी है बुंदेलखंड की सियासत

स्टेट रिपोर्ट:
बांदा-चित्रकूट संसदीय सीट पर डकैतों के गैंगों का जमावड़ा
ओ.पी. पाल. बांदा (उ.प्र)।

उत्तर प्रदेश की सियासत में बुंदेलखंड के सात जिलों में पकती रही दबंगई की चाशनी में इस बार बांदा-चित्रकूट लोकसभा सीट की सियासत पर डकैतों के गैंगों का बोलबाला नजर आ रहा है, जहां नामी डकैत ददुआ के भाई को सपा और डकैतों को संरक्षण देने का आरोपों से घिरे रहने वाले आरके सिंह पटेल को बसपा ने सियासत के मैदान में उतारकर दबंगई की सियासत पर भरोसा किया है। सातवें चरण के चुनाव में कल हो रहे मतदान में हालांकि बुंदेलखंड की झांसी, हमीरपुर व जालौन सीट पर दबंगई को चुनौती देने को मतदाता कमर सकने का दावा कर रहे हैं।
बुंदेलखंड की इन चार लोकसभा सीटों को इलाके के सात जिलों बांदा, चित्रकूट, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, जालौन, मोहवा की विधानसभाओं को मिलाकर तैयार किया है। इन चारों सीटों पर राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी जमीन तैयार की है, लेकिन डकैतों के गढ़ में दबंगई के बिना कोई राजनीतिक दल सियासत कर जाए यह तो हो ही नहीं सकता। सोलहवीं लोकसभा के लिए यूपी की जिन 14 सीटों के लिए बुधवार को मतदान होना है उसमें बुंदेलखंड की चार लोकसभा सीट भी शामिल है जिनमें झांसी, हमीरपुर, जालौन व बांदा संसदीय सीटें जो बुनियादी सुविधाओं से हाशिए पर ही रही हैं। बुंदेलखंड की सियासत पर इलाके की दबंगई हमेशा ही हावी रही है और इस बार भी सियासत पर दबंगई हावी है, जिसमें बांदा-चित्रकूट लोकसभा सीट में सपा और बसपा के समर्थन में डकैतों के दो गैंगों के बीच अन्य प्रत्याशियों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। बांदा-चित्रकूट लोकसभा सीट पर सपा ने दबंगई के रूख को पहचानते हुए नामी डकैत ददुआ डकैत के भाई भाई बाल कुमार पटेल को सियासत के मैदान में उतारकर दबंगई की परंपरा को अपनाया है। इस कारण बांदा-चित्रकूट सीट पर गांव-गांव में डकैतों ने बाल कुमार पटेल के पक्ष में वोट देने का फरमान जेल में बंद डकैतों की ओर से भी जारी किए जा रहे हैं। चुनावी मौसम में डकैतों के गांव-गांव में मौजूदगी के आतंक से सियासी जमीन को हिलते देख भाजपा के भैरो प्रसाद मिश्र व कांग्रेस के विवेक सिंह समेत कई प्रत्याशियों ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर इस आंतक से अवगत ही नहीं कराया, बल्कि लोकसभा चुनावों सुरक्षा के भारी भरकम इंतजाम को और पुख्ता करने की मांग की है। बांदा-चित्रकूट सीट पर बीहड़ों के डकैतों को संरक्षण देने के आरोप झेलते रहे सपा नेता आर.के. सिंह पटेल को बसपा ने सियासत की जंग में उतारा है। बुंदेलखंड के इस इलाके के सबसे सक्रिय डकैत संतोष बलखडिय़ा के गैंग का समर्थन बसपा प्रत्याशी को है जिसके कारण इस गैंग का कहर मतदाताओं पर टूटता थम भी नहीं रहा है। सूत्रों के अनुसार हाल के दिनों में दो दर्जन से ज्यादा गांवों में बलखडिय़ा गैंग के सदस्यों ने ग्रामीणों को मार-पीट कर बसपा प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने का दबाव बनाया है। जबकि दूसरी ओर दूसरी ओर ददुआ के भाई बालकुमार के पक्ष में जेल में बंद डकैतों की ओर से फरमान जारी किए जा रहे हैं।
ज्यादा भयभीत हैं विवेक सिंह
बांदा संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी विवेक सिंह ने चुनाव आयोग से डकैतों के गैंग की सक्रियता की शिकायत करते हुए क्षेत्र में सुरक्षा बलों की तैनाती की मांग की है। सिंह ने अपने शिकायती पत्र में यहां तक आरोप लगाया है कि मानिकपुर, मारकुंडी और धारकुंडी क्षेत्र के 40 गांवों में हर रोज डकैतों का गैंग ग्रामीणों को डरा धमका कर मार पीट कर रहा है। उनका कहना है कि सपा और बसपा दोनो प्रत्याशियों के पक्ष में डकैतों के गैंग सक्रिय रुप से उतर चुके हैं और लोगों को धमका रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी सिंह की माने तो चुनाव का ऐलान होने के बाद से डकैतों ने मार पीट और अपहरण की दर्जनों घटनाओं को अंजाम दिया है। इसी क्षेत्र से सटे सोनभद्र लोकसभा सीट से नक्सल कमांडर लालव्रत कोल चुनाव मैदान में है। कोल को मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल ने टिकट दिया है। सोनभद्र लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे अन्य दलों के प्रत्याशियों का आरोप है कि लालव्रत कोल के सर्मथन में नक्सली जंगल से सटे इलाकों में रोज मीटिंग कर रहे हैं। नक्सलियों के डर से सोनभद्र के जंगली इलाकों में अन्य दलों के प्रत्याशी चुनाव प्रचार तक नहीं कर पा रहे हैं।
कांग्रेस की सियासत ज्यादा चली
पिछले दो दशक से राजनीति पर नजर डाली जाए तो कांग्रेस का बुंदेलखंड में सबसे ज्यादा रुतबा रहा। बुंदेलखंड की चारों सीटों पर लोकसभा के पिछले 15 चुनावों में कांग्रेस ने 24 बार अपना परचम लहराया। वर्तमान में भी संसद में कांग्रेस के एक सांसद बुंदेलखंड का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। भाजपा को जहां 12 सीटें जीतने का गौरव हासिल है वहीं बसपा से छह और सपा के पांच सांसद बने हैं। 1952 से पिछले 2009 तक बुंदेलखंड के सात जनपदों के चार संसदीय क्षेत्रों को दो-दो जिलो को शामिल कर एक संसदीय सीट गठित की गई है। हालांकि 1977 में आपातकाल के बाद हुए लोकसभा चुनाव में बुंदेलखंड में भी कांग्रेस का वही हश्र हुआ जो पूरे प्रदेश में हुआ। मसलन चारों सीटों पर कांग्रेस का सफाया हो गया। लेकिन 1980 व 1984 में एक बार फिर कांग्रेस की बयार बही। बांदा, हमीरपुर, जालौन व झांसी लोकसभा सीटों पर कांग्रेस ने वापसी की। इसके बाद 1989, 1991, 1996, 1998, 1999,2004 और 2009 के चुनावों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया, केवल अपवाद के रूप में झांसी सीट पर ही पिछले चुनाव 2009 में कांग्रेस के प्रदीप जैन आदित्य जीत कर सामने आए, जबकि बांदा व जालौन में सपा के आरके सिंह पटेल व घनश्याम अनुरागी तथा हमीरपुर सीट पर बसपा के विजय बहादुर सिंह ने परचम लहराया था।
01May-2014

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