शनिवार, 17 मई 2014

तीन दशक बाद टूटा खिचड़ी सरकार का तिलिस्म!

हरिभूमि ब्यूरो 
सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में भाजपा ने स्वयं बहुमत साबित करके पिछले तीस साल से चले आ रहे खिचड़ी सरकार के तिलिस्म को तोड़ दिया है। इससे पहले आठवीं लोकसभा के लिए 1984 में हुए चुनाव में आखिरी बार कांग्रेस पूर्ण बहुमत हासिल करने वाली पार्टी थी। लेकिन उसके बाद लगातार सात लोकसभा चुनाव में केंद्र में गठबंधन की सरकारें बनती आई हैं।
सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस विरोधी और मोदी लहर में भाजपा ने पहली बार 272 प्लस अभियान सफल रहा, जिसके अकेले दल की निर्वाचित सीटों का आंकड़ा बहुमत से ऊपर पहुंच रहा है। हालांकि भाजपा नेतृत्व वाले राजग में तेरह दलों से ज्यादा पार्टियां हैं जिन्हें मोदी मैजिक का सहारा मिला और राजग तीन सौ से ज्यादा सीटे लेकर केंद्र में सरकार बनाने की तैयारी में जुट गया है। इससे पहले आठवीं लोकसभा के लिए 1984 में लोकसभा चुनाव हुए, यह चुनाव तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरागांधी की हत्या के बाद हुए जिसमें कांग्रेस के लिए सहानुभूति की लहर चली और कांग्रेस 415 सीटें लेकर बहुमत से बहुत आगे थी और राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली। 1984 के चुनावों में 1984 के चुनावों में पहली बार बॉलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन को कांग्रेस ने इलाहाबाद से टिकट देकर राजनीति को ग्लैमर से जोड़ दिया, जिसके बाद यह ग्लैमर सियासत में सिर चढ़कर बोलने लगा,लेकिन सोलहवीं लोकसभा में फिल्मी हस्तियों का ग्लैमर कांगे्रस या उसके सहयोगी दलों के किसी काम न आ सका। 1984 का यह वही दौर था जब हेमवती बहुगुणा और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे दिग्गजों को हार का मुहं देखना पड़ा था। 1984 के चुनाव में ही सर्वाधिक 64 प्रतिशत मतदान ने पिछले रिकार्ड ध्वस्त हुए थे और सर्वाधिक 42 महिलाएं लोकसभा में दाखिल हुई थी, लेकिन महिलाओं के लोकसभा में आने का रिकार्ड तो 15 लोकसभा में ही टूट चुका है, जहां 62 महिलाएं निर्वाचित हुई थी। सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में तीन दशक पहले 1984 में बने 64 फीसदी मतदान प्रतिशत के रिकार्ड भी ध्वस्त हुआ है, जहां 66 प्रतिशत मतदान रिकार्ड किया गया।
पिछले सात चुनाव पर एक नजर
1984 के चुनाव के बाद सात लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिसमें कोई भी एक दल बहुमत के आंकड़े को नहीं छू सकी और गठबंधन की सरकारों को दौर नौवीं लोकसभा के चुनाव से ही शुरू हो गया था। 1989 में नौवीं लोकसभा में कांग्रेस को 197, जनता दल को 143 व भाजपा को 85 सीटें मिली थी। दसवीं लोकसभा के लिए 1991 में हुए चुनाव में कांग्रेस232, भाजपा को 141, जनता दल को 59 सीटों पर सब्र करना पड़ा था। ग्यारवीं लोकसभा के 1996 में हुए चुनाव में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी और उसे 161 सीटें मिली, जबकि कांग्रेस को 140 व जनता दल को 46 सीटे मिली। 1998 में भाजपा को 182, कांग्रेस को 141, सीपीआईएम को 32 सीटें प्राप्त हुई थी। तेरहवीं लोकसभा के लिए 1999 में भाजपा ने फिर 182, कांग्रेस ने 114 व वामदलों ने 33 सीटे हासिल की। जबकि 14वीं लोकसभा के 2004 के चुनाव में कांग्रेस ने 145, भाजपा ने 138, व वामदलों ने 43 सीटे जीती। 15वीं लोकसभा में कांग्रेस 206 भाजपा 116, सपा 23, बसपा 21, जदयू 20, टीएमसी 19 सीटों पर विजयी रही। तीन दशकों से सात चुनावों में किसी भी एक दल बहुमत तक नहीं पहुंच सका, जिसका तिलिस्म सोलवीं लोकसभा में भाजपा ने तोड़ा है।
17May-2014

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