रविवार, 11 मई 2014

लोकसभा चुनाव: दागियों ने ध्वस्त किए सभी रिकार्ड !

लोकसभा सीट 543 और दागी उम्मीदवारों की संख्या 1398
2009 के  चुनाव में 1158 दागियों में जीते थे 162
ओ.पी.पाल

महात्मा गांधी द्वारा बताये गये हिंसा के बुनियादी कारणों में एक कारण सिद्धांतहीन राजनीति भी है, लेकिन इस सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत की चुनावी राजनीति पर नजर डाली जाए तो तेजी के साथ देश की सियासत अब सिद्धांतहीन और उससे उपजी हिंसा ही इस राजनीति का मूल आधार बन गया है। यही कारण है कि इस बदलती सियासत के दौर में सभी राजनीतिक दल गांधी जी के सिद्धांतों को धत्ता बताकर आपराधीकरण की राजनीति पर उतर आए हैं। मसलन सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में 543 सीटों के लिए 1398 दागी उम्मीदवारों की सियासत दांव पर लगाई गई है। इन दागियों में अभी तक 502 सीटों के लिए हुए चुनाव में 1279 की किस्मत तो ईवीएम में कैद भी हो चुकी है।
राजनीति को अपराधों से दूर रखने की दुहाई देने वाले बड़े-छोटे दलों ने दागियों पर सियासी दांव खेलने में कोई परहेज नहीं किया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट भी दागियों पर अपने निर्णय देकर राजनीतिक दलों को नसीहत दे चुकी हैं। चुनाव आयोग की कवायद में सहयोग करने वाली गैर सरकारी संस्था नेशनल इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने सोलहवीं लोकसभा के लिए 543 सीटों के लिए चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने उतरे सभी 8230 उम्मीदवारों के शपथपत्रों को खंगालकर जो तथ्य उजागर किये हैं वह किसी चिंता से कम नहीं है। मसलन इन उम्मीदवारों में से दागी उम्मीदवारों की संख्या 1398 हैं, जिनमें 889 के खिलाफ तो हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, अपहरण, बलात्कार और सांप्रदायिक अशांति जैसे संगीन मामले लंबित हैं। इन संगीन मामलों में हत्यारोपी के 57, हत्या का प्रयास के 173, महिलाओं के खिलाफ अपराध के 58, लूट व डकैती के 57, अपहरण के 40 तथा सांप्रदायिक अशांति फैलाने के मामले 54 उम्मीदवारों के खिलाफ लंबित हैं। 15वीं लोकसभा के चुनाव में इन सीटों के लिए सामने आए 8163 उम्मीदवारों में 1158 दागियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी, जिनमें से 162 जीतकर लोकसभा में दाखिल हुए थे। इनमें 608 के खिलाफ संगीन मामले दर्ज थे।
लोकतंत्र पर शतकीय प्रहार
लोकसभा चुनाव में रिकार्ड आंकड़े को छूने वाले 1398 दागी उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा भाजपा के 426 में 140, कांग्रेस के 462 में 128, बसपा के 501 में 114 प्रत्याशी सियासी मैदान में हैं। जबकि आम आदमी पार्टी ने 427 में से 65 दागियों को टिकट दिया है, तो सपा ने 59, सीपीआई(माले)ने 37, जदयू व सीपीआई(एम) ने 33-33, शिवसेना ने 23, राजद व सीपीआई ने 19-19, तृणमूल कांग्रेस व राकांपा ने 18-18, वाईएसआर कांग्रेस ने 13, जद-एस व तेदेपा ने 10-10 दागियों पर दांव लगाया हुआ है। इनमें गंभीर मामलों वाले उम्मीदवारों में भाजपा के 89, बसपा के 75, कांग्रेस के 61, सपा के 46, आप के 42, सीपीआई माले के 31, जदयू के 23, राकांपा के 14, तृणमूल, राजद व शिवसेना के 13-13, वाईएसआर के 10 प्रत्याशी शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश अव्वल
दागियों को चुनावी मैदान में उतारने में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है, जहां 80 सीटों पर 1262 उम्मीदवारों में सर्वाधिक 235 उम्मीदवार दागियों की फेहरिस्त में हैं। इसके बाद बिहार में 40 सीटों पर 606 उम्मीदवारों में से 187 दागियों के साथ दूसरे पायदान पर है, जबकि महाराष्ट्र में 48 सीटों 883 में से 175 प्रत्याशियों पर आपराधिक दाग सामने आया है। आंध्र प्रदेश की 42 सीटों पर 506 उम्मीदवारों में से 106, तमिलनाडु में 39 सीटों पर 844 में से 103,केरला में 20 सीटों पर 257 में से 74, पश्चिम बंगाल में 42 सीटों पर 472 में से 70, मध्य प्रदेश में 29 सीटों पर 370 में से 65, गुजरात की 26 सीटों पर 332 में से 65, झारखंड में 14 सीटों पर 236 में से 62, कर्नाटक में 28 सीटों पर 432 में 55, ओडिसा में 21 सीटों पर 195 में से 39, पंजाब में 13 सीटों पर 253 तथा दिल्ली की सात सीटों पर 150 में से 23-23 प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। राजस्थान में 25 सीटों पर 319 में से 22,छत्तीसगढ़ की 11 सीटों पर 208 में से 19, हरियाणा में 11 सीटो पर 229 में से 15 दागी प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। इनके अलावा दागियों के दांव से अन्य कोई राज्य या केंद्र शासित प्रदेश अछूता नहीं रहा है, भले ही अरूणाचल प्रदेश में ऐसा एक ही प्रत्याशी क्यों न हो।
रेड अलर्ट ने भी बनाया रिकार्ड
सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में ऐसी सीट को रेड अलर्ट माना गया है, जहां तीन या उससे ज्यादा दागी प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा है। 543 सीटों में इन सीटों में 245 सीटें सामने आई हैं, जहां बिहार की वैशाली व महाराष्टÑ की रावेड सीट पर दस-दस दागियों ने चुनावी दांव खेला है, जबकि महाराष्ट्र की बीड व झारखंड की धनबाद सीट पर नौ-नौ दागी, तो बिहार की जहानाबाद सीट पर आठ दागियों में मुकाबला हुआ है। इनके अलावा 12 सीट पर सात-सात,21 सीटों पर छह-छह, 56 सीटों पर पांच-पांच, 67 सीटों पर चार-चार तथा अन्य बची शेष सीटों पर तीन-तीन दागी उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई है। वर्ष 2009 के चुनाव में ऐसी 196 सीटे थी।
अंतिम चरण में 119 दागी
सोमवार 12 मई को अंतिम चरण में तीन राज्यों की 41 सीटों पर हो रहे चुनाव में 606 प्रत्याशियों का फैसला होना है, जिनमें 119 प्रत्याशी दागियों की सूची में शामिल हैं, इनमें सर्वाधिक 63 दागी यूपी की 18 सीटों पर उतरे 328 उम्मीदवारों में शामिल हैं। जबकि बिहार की छह सीटों पर 90 प्रत्याशियों में 30 तथा पश्चिम बंगाल की 17 सीटों में 188 उम्मीदवारों में 26 प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। इनमें 92 उम्मीदवारों के खिलाफ संगीन अपराध वाले मामले भी शामिल हैं।
11May-2014

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