शुक्रवार, 2 मई 2014

हॉट सीट: सुल्तानपुर- कांग्रेसी गढ़ में कमल खिलाएंगे वरुण गांधी?

सोलह साल का सूखा खत्म करने की जुगत में भाजपा
ओ.पी. पाल
आपातकाल के बाद गांधी परिवार के लिए अभेद दुर्ग की तरह रही अमेठी व रायबरेली की लोकसभा सीट यूं तो हर चुनाव में चर्चा का केंद्र बनती आ रही है, किंतु इन दोनों वीवीआईपी सीटों से सटी सुल्तानपुर लोकसभा सीट भी अबकी बार खासा महत्वपूर्ण और सुर्खियों में आ गई है। भाजपा के रणनीतिकारों ने बड़ी ही चाणक्य नीति से गांधी परिवार के गढ़ में पैठ बनाने से पहले उसकी बाहरी दीवार यानि सुल्तानपुर सीट से वरुण गांधी को उम्मीदवार बनाकर कांग्रेसी गांधी परिवार को भाजपाई गांधी परिवार से चुनौती दिलाई है। भाजपा की यह रणनीति कामयाब भी होती नजर आ रही है। इस सियासी जंग में हालात भी कुछ ऐसे ही सामने हैं, जहां अमेठी में कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी इस बार मशक्कत करते दिख रहे हैं, उसके उलट सुल्तानपुर सीट पर वरुण गांधी केवल जीत के अंतराल को बढ़ाने के लिए पसीना बहा रहे हैं।
सुल्तानपुर संसदीय क्षेत्र से वरुण गांधी के लिए 16वीं लोकसभा का चुनाव बेहद रोचक होने की संभावना बनी हुई है। इसका कारण यही है कि सुल्तानपुर और अमेठी संसदीय सीट एक-दूसरे से सटी हुई हैं। यह पहला मौका है जब जब देश के प्रमुख गांधी-नेहरू घराने के दो उत्तराधिकारी अगल-बगल की सीटों पर सियासत की जंग में हैं। अमेठी राज परिवार के डा.संजय सिंह कांग्रेस के टिकट पर पिछले चुनाव में सुल्तानपुर सीट से निर्वाचित हुए थे, लेकिन इस बार अपने दोस्त संजय गांधी के बेट वरुण गांधी के खिलाफ चुनाव मैदान में न आने के बजाए उनके भाजपा में आने की अटकले बढ़ी तो कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया और संजय सिंह की धर्मपत्नी श्रीमती अमिता सिंह ‘रानी साहिबा’ को सुल्तानपुर से अपना प्रत्याशी बनाकर कांग्रेसी गढ़ को बचाने की रणनीति अपनाई। बसपा ने शिवसेना के पूर्व विधायक रह चुके पवन पांडे पर भरोसा जताया है, जो बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले के आरोपी होने के साथ कम से कम 30 आपराधिक मुकदमें झेल रहे हैं। वहीं सपा ने स्थानीय व्यापारी शकील अहमद पर दांव लगाया। अभी तक हुए 15 लोकसभा चुनावों में इस सीट पर आठ बार कांग्रेस का ही कब्जा रहा है, लेकिन इस कांग्रेसी गढ़ में जिस तरह से पडोसी सीट अमेठी में राहुल गांधी को जनता का स्नेह मिलता रहा है उसी प्रकार इससे सटी सुल्तानपुर सीट पर उनके चचेरे भाई वरुण गांधी के लिए पलक पावड़े बिछा दिये गये हैं। हालांकि सपा और अन्य दल वरुण गांधी,अमृता सिंह व बसपा के पवन पांडे को बाहरी बताकर मतदाताओं में अपनी पैठ बनाने का प्रयास कर रहे हैं। राजनीतिक जानकारों पर यकीन करें तो इस सियासी दांव में विकास के नाम पर कम, जातियों के आधार पर ज्यादा खेलने का प्रयास किया जा रहा है।
आपातकाल ने बिगाड़ा कांग्रेस का खेल
आजाद भारत में पहली लोकसभा के चुनाव में सुल्तानपुर सीट पर कांग्रेस ने विजयी पताका फहराने की शुरूआत की थी, जो 1971 तक हुए पांच चुनाव तक जारी रही। आपातकाल के बाद कांग्रेस विरोधी लहर में कांग्रेस का तिलिस्म टूटा और 1977 में इस सीट पर गैर कांग्रेसी दल यारिन जनता पार्टी की जीत हुई, लेकिन 1980 में फिर कांग्रेस ने वापसी की और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति की लहर में 1984 का चुनाव भी कांग्रेस की झोली में गया। इसके बाद मंडल-कमंडल के जोर में 1989 में जनता दल ने जीत हासिल की। भाजपा ने पहली बार 1991 में इस सीट पर जीत का स्वाद चखा और लगातार भाजपा ने यहां तिकड़ी बनाई। 1999 और 2004 के चुनाव में यहां बसपा का सिक्का चला। कांग्रेस ने 15वीं लोकसभा के चुनाव में संजय गांधी के बेहद नजदीकी दोस्त डा. संजय सिंह को मैदान में उतारा तो उन्होंने इस सीट पर 30 साल बाद कांग्रेस की वापसी कराई, लेकिन इस बार वरुण गांधी के सहारे 16 साल के सूखे को खत्म करने के प्रति भाजपा पूरी तरह से आश्वस्त नजर आ रही है। वरुण गांधी के पीलीभीत से यहां आकर चुनाव लड़ने के बाद राजनीतिक हलकों में इस बार यहां कमल खिलने की उम्मीद जतायी जा रही है। वरुण गांधी ने 15वीं लोकसभा का चुनाव पीलीभीत से 2.8 लाख मतों के अंतर से जीता था। जहां से इस बार उनकी मां मेनका गांधी चुनाव लड़ी हैं।
भाजपा के खिलाफ सभी की गोलबंदी
सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव वरुण गांधी, कांग्रेस की रानी साहिबा अमिता सिंह, बसपा के पवन पांडे, सपा के शकील अहमद, आप के शैलेन्द्र प्रताप सिंह समेत 12 राजनैतिक दलों समेत कुल 15 प्रत्याशियों ने सियासी जंग में हैं। तीन निर्दलीय प्रत्याशियों में हरियाणा के रेवाड़ी जिला निवासी एक और वरुण गांधी भी शामिल है जो भाजपा के प्रत्याशी के हमनाम का लाभ उठाने के लिए चुनाव मैदान में डटा हुआ है। जिले की असौली, सुल्तानपुर, कादीपुर, लम्भुआ व सदन विधानसभाओं से मिलाकर बनी सुल्तान लोकसभा सीट पर 16 लाख 29 हजार 558 मतदाताओं का चक्रव्यूह बना हुआ है। खास बात यह है कि इस लोकसभा सीट की सभी पांच विधानसभाओं पर सपा के विधायक काबिज है।
02May-2014

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