गुरुवार, 22 मई 2014

महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों ने दबाया ईवीएम का बटन!



लोकसभा चुनाव विश्लेषण

ओ.पी.पाल
देश की बदले राजनीतिक और सामाजिक परिवेश में हुए सोलहवीं लोकसभा के चुनाव के नतीजे आने पर चुनावी इतिहास में कई नई तस्वीरों के साथ नए पन्ने जुड़े हैं, जिसमें केंद्रीय निर्वाचन आयोग भी चुनाव सुधार की कवायद में कहीं हद तक आगे बढ़ता दिखाई दिया। इस बार हालांकि महिलाओं से ज्यादा पुरुष मतदाताओं ने जोश-खरोश के साथ वोटिंग की है, वहीं चुनावी इतिहास में मतदान प्रतिशत को रिकार्ड के मुकाम पर ले जाने पर चुनाव आयोग की उम्मीद को भी पंख लगे हैं।
सोलहवीं लोकसभा के लिए हुए आम चुनावों में आजाद भारत में हुए लोकतंत्र के महासंग्राम में सर्वाधिक 66.40 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया, जिसमें महिलाओं के 65.30 प्रतिशत मतों के प्रयोग की अपेक्षा पुरुषों ने 67.09 प्रतिशत बटन दबाकर पिछले चुनाव के 50.97 प्रतिशत के जोश की अपेक्षा तेजी पकड़ी है, जबकि पिछले चुनावों में महिलाओं द्वारा डाले गये 65.96 प्रतिशत वोट की रफ्तार में इस बार 0.66 की कमी दर्ज की गई। आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इस बार देश की 543 सीटों के लिए 8251 उम्मीदवारों के सामने 83 करोड़ 41 लाख एक हजार 479 मतदाताओं का जाल था, जिसमें से 55 करोड़ 38 लाख एक हजार 801 वोटरों ने ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया। यदि 15वीं लोकसभा के लिए पिछले आम चुनाव पर नजर डाले तो 71 करोड़ 69 लाख 85 हजार 101 वोटरों में से 41 करोड़ 72 लाख 36 हजार 311 यानि 58.19 प्रतिशत ने मतदान में हिस्सेदारी की थी। चुनाव आयोग की उम्मीदों के मुताबिक इस बार मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई इससे पहले आठवीं लोकसभा के लिए 1984 में हुए आम चुनाव में 64.01 प्रतिशत का रिकार्ड था, जिसमें नया पन्ना जुड़ गया है।
नागालैंड इस बार भी अव्वल
देशभर में जहां रिकार्ड 66.40 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया, वहीं राज्यों में नागालैंड में 87.82 प्रतिशत मतदान हुआ, जो 15वीं लोकसभा में भी सर्वाधिक
89.99 प्रतिशत के साथ पहले पायदान पर था। सबसे कम मतदान जम्मू-कश्मीर में 49.52 प्रतिशत रहा, जबकि 50 और 60 प्रतिशत के बीच बिहार व उत्तर प्रदेश ही रहे, जिनमें क्रमश: 56.58 व 58.35 प्रतिशत ईवीएम के बटन दबे। शेष सभी राज्यों का मतदान प्रतिशत 60 प्रतिशत से अधिक हुआ है। अस्सी प्रतिशत से ज्यादा मतदान वाले राज्यों में नागालैंड के अलावा दार नागर हवेली में 84.06 प्रतिशत, लक्ष्यद्वीप में 86.61 प्रतिशत, पुडुचेरी में 82.10 प्रतिशत, सिक्किम में 83.37 प्रतिशत, त्रिपुरा में 84.72 प्रतिशत व पश्चिम बंगाल में 82.16 प्रतिशत मतदान हुआ। जहां तक 15वीं लोकसभा का सवाल है उनमें पिछले आम चुनाव में बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में मात्र 47.78 प्रतिशत और बिहार में 44.46 प्रतिशत मतदान दर्ज कर पाए थे। हालांकि न्यूनतम जम्मू एवं कश्मीर में 39.68 प्रतिशत मतदान था जिसमें इस बार कुछ बढ़ोतरी हुई है। बड़े राज्यों में गुजरात में इस बार पिछले चुनाव के 47.9 प्रतिशत से बढ़कर 63.60 प्रतिशत का मतदान दर्ज हुआ, जबकि भाजपा शासित राजस्थान ने भी पिछले चुनाव के 48.4 प्रतिशत से छलांग लगाकर इस बार 63.09 फिसदी पहुंचा। यदि लोकसभा सीटों के हिसाब से देखा जाए तो असम की धुबरी लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा 88.22 प्रतिशत मतदान हुआ, तो सबसे न्यूनतम 25.90 प्रतिशत मतदान जेएंडके की श्रीनगर सीट पर हुआ।
निर्दलीयों पर नहीं जताया भरोसा
सोलहवीं लोकसभा में मतदाताओं ने निर्दलीय प्रत्याशियों पर ज्यादा भरोसा नहीं जताया है। नतीजन इस बार 3234 आजाद उम्मीदवारों में से केवल तीन निर्दलीय सांसद निर्वाचित होकर लोकसभा में आए हैं, जो आजादी से अभी तक के चुनावों में सबसे कम होने का रिकार्ड है। पिछले चुनाव में 3831 निर्दलयों ने किस्मत आजमाई थी और नौ का सितारा बुलंद हुआ था। अभी तक के चुनावी इतिहास में सर्वाधिक 42 निर्दलीय सांसद दूसरी लोकसभा के लिए 1957 के चुनाव में जीतकर आए थे। दसवीं लोकसभा से अब तक निर्दलीय दहाई का अंक हासिल नहीं कर पाए हैं।
नहीं टूटा प्रत्याशियों का रिकार्ड
लोकसभा चुनावों में अपनी किस्मत आजमाने वाले उम्मीदवारों का हालांकि आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। इस बार चुनाव मैदान में 8251 प्रत्याशी थे, जबकि पिछले चुनाव में 8070 उम्मीदवार चुनाव लड़े थे। भारतीय चुनावी इतिहास में सर्वाधिक 13952 उम्मीदवारों ने ग्यारहवीं लोकसभा के लिए 1996 में हुए चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई थी, जो अभी एक रिकार्ड बना हुआ है। चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो 1952 में जहां 489 सीटों के लिए 1874 उम्मीदवार थे, वहीं 1971 में उम्मीदवारों की संख्या बढ़कर 2784 हो गई। 1980 के चुनावों में उम्मीदवारों की संख्या बढकर 4629 हो गयी। नवें आम चुनाव में 6160 उम्मीदवार मैदान में थे, वहीं 10वें आम चुनाव में 543 सीटों के लिए 8668 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। जबकि 12वीं लोकसभा में उम्मीदवारों की संख्या भारी तौर पर घटकर 4750 थी।
464 दलों ने लड़ा चुनाव, 36 जीते
सोलहवीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में इस बार छह राष्ट्रीय व 39 क्षेत्रीय समेत पंजीकृत 464 दलों के प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई, लेकिन 36 दलों के प्रत्याशी ही लोकसभा में दाखिल हुए हैं। जबकि चुनाव आयोग में छह राष्ट्रीय व 47 क्षेत्रीय दलों समेत पंजीकृत 1687 दल चुनाव लड़ने के लिए अधिकृत थे। पिछले चुनाव में सात राष्ट्रीय व 34 क्षेत्रीय दलों समेत 363 दलों ने चुनाव में हिस्सा लिया था।
22May-2014

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