बुधवार, 14 मई 2014

लोकसभा चुनाव: दागियों व कुबेरों के सामने हाशिए पर महिलाएं!

महिलाओं के सम्मान व उत्थान पर खूब चली नेताओं की जुबां
ओ.पी.पाल

देश में सोलहवीं लोकसभा चुनाव के दौरान सभी राजनीतिक दल महिलाओं के सम्मान और उनके उत्थान की बात तो करते नजर आएं, लेकिन संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व देने से खूब परहेज किया, जबकि दागियों और करोड़पतियों को सभी दलों ने जमकर भरोसा जताया है। मसलन इस सियासी दंगल में जहां 17 प्रतिशत दागियों और 27 प्रतिशत करोड़पतियों ने दांव आजमाया है, वहीं महिला उम्मीदवारों की संख्या मात्र 8 फीसदी ही रही है।
लोकसभा की 543 सीटों के लिए हुए चुनाव में उतरे कुल 8230 उम्मीदवारों में जहां इंफोसिस के पूर्व सीईओ और विशिष्ट पहचान पत्र प्राधिकरण के अध्यक्ष, फिल्मी हस्तियों, क्रिकेटरों, ज्योतिषियों, कहानीकारों, क्रांतिकारी के अलावा भिखारियों व किन्नरों ने भी सियासी पारी खेली है, वहीं इस बार शिक्षा जगत, इंजीनियरों, रियल एस्टेट, वकीलों, चिकित्सकों, वैज्ञानिकों, सोशल वर्करों और मूल खेतीबाड़ी से जुड़े उम्मीदवारों की कमी देखी गई है। अब बात की जाए महिलाओं की, जिसके लिए संसद और विधानसभाओं में केंद्र सरकार पिछले कई दशकों से महिला आरक्षण बिल तक पारित नहीं कर सकी हैं,लेकिन महिलाओं को सामाजिक और राजनितिक के अलावा अन्य क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी देने की बात करने वाला कोई भी राजनीतिक दल पीछे नहीं है, लेकिन जब संसद में प्रतिनिधित्व की देने की बारी यानि चुनाव आते हैं तो उसमें महिलाओं को हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया जाता है। देश की इस सियासत की दिशा को देखा जाए तो 16वीं लोकसभा में मात्र आठ प्रतिशत यानि 631 महिलाओं को ही चुनाव लड़ाया गया है। जबकि सभी राजनीतिक दलों ने दागियों व करोड़पतियों पर बेतहाशा भरोसा किया है। भाजपा, कांग्रेस, सपा, बसपा, जदयू जैसे सभी प्रमुख दलों के नेताओं ने चुनावी सभाओं में महिलाओं, युवाओं, किसानों और कमजोर वर्गो के उत्थान की जुबान बोलने में कोई कमी नहीं छोड़ी, लेकिन चुनाव लड़ाने के लिए सभी दलों ने दागियों व करोड़पतियों पर पूरा भरोसा किया। यही कारण है कि इस बार दागी उम्मीदवारों के सियासी जंग में आने का पिछला सभी रिकार्ड ध्वस्त हो गया है। दागियों व करोड़पतियों को सियासी जंग में लाने में भाजपा, कांगे्रस, बसपा, सपा, आप, तृणमूल, वामदल, जदयू जैसे प्रमुख दलों ने ही ज्यादा दिलचस्पी दिखाई है।
2009 में जीती सर्वाधिक महिलाएं
वर्ष 2009 के आम चुनाव में 556 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था और 62 यानि11.41 प्रतिशत ही सदन में उनका प्रतिनिधित्व था। लोकसभा में महिला सांसदों की यह संख्या आजादी के बाद सर्वाधिक थी। जबकि महिला आरक्षण में 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है, लेकिन राजनीति में इससे ज्यादा महिलाओं को टिकट दिया जाए, तभी सदन में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ना संभव है। 15वीं लोकसभा में जीतकर आई 62 महिलाओं में से भाजपा व कांग्रेस की 13-13 सांसद थी, जिन्होंने क्रमश: 44 व 43 महिलाओं को टिकट थमाए थे। महिलाओं के अलावा 15वीं लोकसभा चुनाव में 29 उद्यमी, आठ मीडियाकर्मी, 20 चिकित्सक, आठ प्रोफेसर, 13 लेखक, 18 अध्यापक, सात खिलाड़ी, चार ट्रांसपोर्टर जैसे पेशे से जुड़े सांसद भी मौजूद रहे।
खेती-किसानी उम्मीदवार टॉप पर
सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में ऐसे उम्मीदवारों की भरमार है जिनके पास खेती की जमीन है और वे पेशे से किसान कहलाते हैं, लेकिन राजनीति करना उनकी वरीयता पर है। ऐसे सांसद पिछले चुनाव में भी सर्वाधिक 214 यानि 39.41 प्रतिशत जीतकर लोकसभा में पहुंचे थे, जबकि इस बार 23.25 प्रतिशत अपनी किस्मत ईवीएम में कैद करा चुके हैं। लेकिन खेती करने वाले जहां पिछले चुनाव में 25 सांसद बने थे, तो इस बार केवल 2.92 प्रतिशत ही अपनी किस्मत आजमाने आए हैं। जहां पेशेवर राजनीतिज्ञों की संख्या मात्र चार प्रतिशत ही है, तो इस चुनाव में महिला उम्मीदवारों की संख्या 8 प्रतिशत ही है। जबकि कृषक व राजनीति के इन सूरमाओं के बाद इस बार उद्यमी उम्मीदवारों की संख्या 18.3 प्रतिशत, जो पिछली लोकसभा में 16.39 यानि 89 सांसद के रूप में दाखिल हुए थे। इन चुनावों में सेवानिवृत्ति के बाद 7.15 नौकराशाहों ने भी दांव आजमाया है। पिछली लोकसभा में 73 वकील सांसद थे, लेकिन इस बार वकीलों ने सियासी जंग में 6.65 प्रतिशत की संख्या में ही नजर आए। इस बार सियासी दंगल में 9.35 सोशल वर्करों, 2.92 शिक्षाविदों, 1.21 रियल एस्टेट से जुड़े उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद है। प्राइवेट नौकरी करने वाले 5.27 प्रतिशत उम्मीदवारों क अलावा 1.27 प्रतिशत मीडियाकर्मी, 2.17 चिकित्सक, 1.05 बेरोजगार व 0.31 प्रतिशत छात्र भी इस बार सियासी जंग में किस्मत आजमा चुके हैं। दिलचस्प बात है कि इस बार जहां बड़े से बडेÞ उद्यमी सियासत के मैदान में हैं तो वहीं छोटे व्यापरी और यहां तक कि टायर पंचर की दुकानों और सब्जी बेचने वाले भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। ऐसे उम्मीदवारों की संख्यया 3.91 प्रतिशत है।
14May-2014

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