शनिवार, 3 मई 2014

हॉट सीट: गढ़वाल-सियासी जंग में उलझी कांग्रेस !

सतपाल महाराज ने आसान बनाई खंडूरी की राह
अंतर्कलह बनी कांग्रेस के लिए अभिशाप
ओ.पी.पाल. देहरादून।

उत्तराखंड की गढ़वाल लोकसभा सीट को भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल भुवनचंद्र खंडूरी की पारंपरिक सीट मानी जाती है, जहां उनका मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी और पार्टी के सूबे में कद्दावर नेताओं में शुमार डा. हरक सिंह रावत से तय माना जा रहा है। इस सियासी जंग को यूं भी कहा जा सकता है कि पूर्व सैन्य अफसरों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। इस सीट से कांग्रेस के सांसद सतपाल महाराज के ऐनवक्त पर भाजपा में शामिल होने से भाजपा की राह आसान हो गई है और अंतर्कलह से जूझ रही कांग्रेस को मशक्कत करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
गढ़वाल लोकसभा सीट पर सतपाल महाराज का इतना असर है कि इस सीट में शामिल दस विधानसभा सीटों में से उनकी पत्नी अमृता रावत समेत कम से कम दस विधायक सीधेतौर पर महाराज यानि भाजपा के कैंप में माने जा रहे हैं, इस सियासी ताकत मिलने से भाजपा इतनी उत्साहित है कि मेजर जनरल बीसी खंडूरी की जीत पक्की मानकर चल रहे हैं। राजनीतिक जानकारों की माने तो अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री और उत्तराखंड में दो बार मुख्यमंत्री रहे मे. जनरल बीसी खंडूरी के सहारे भाजपा को इस सीट पर अब केवल जीत के अंतर को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। सतपाल महाराज के लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद अचानक भाजपा का दामन थामने से कांग्रेस की लाइन यहां कमजोर नजर आ रही है। वैसे तो गढ़वाल सीट पर दस प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, लेकिन यहां दो पूर्व अफसरों यानि भाजपा के सेवानिवृत्त मेजर जनरल भुवनचंद्र खंडूरी और सैनिक कल्याण मंत्री रहे कांग्रेस के डा. हरक सिंह रावत के बीच सीधी टक्कर है। दोनों ही राजनीतिक के मंझे हुए खिलाड़ी माने जाते हैं लेकिन इस सीट पर पांच बार सांसद बनकर अपनी कर्मभूमि बना चुके भुवनचंद खंडूरी का प्रभाव कुछ ज्यादा है, जिसमें सतपाल महाराज की ताकत भी इस बार जुड़ गई है। राजनीति के जानकारों की माने तो खंडूरी व रावत दोनों ही ठाकुर नेताओं में यह कसक अभी भी है कि गढ़वाल इलाके में वे एक क्षत्रप के तौर पर पहचाने जांए। यहीं कारण है कि इस सीट पर भाजपा के सांसद रह चुके ले. जनरल टीपीएस रावत कुछ माह पूर्व आम आदमी पार्टी में चले गये, लेकिन चुनावी मैदान में खंडूरी के खिलाफ उन्होंने कांग्रेस का दामन थामकर हरक सिंह रावत के चुनाव को अपना चुनाव मानकर दम भर रखा है। इसके अलावा खंडूरी के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी को एक और लेफ्टिनेंट जनरल गंभीर सिंह नेगी का साथ मिल रहा है। मसलन इस चुनावी समर में कांग्रेस किसी भी कीमत पर खंडूरी को वाक ओवर नहीं देना चाहती और इस मुकाबले को सैन्य अफसरों का मुकाबला बनाकर सियासी अखाड़े में उन्हें चित्त करने के प्रयास में हैं।
सीट का सियासी मिजाज
गढ़वाल लोकसभा सीट जब उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करती थी, तब भी भाजपा के मेजर जनरल बीसी खंडूरी तीन बार भाजपा को जीत दिला चुके हैं। वर्ष 2000 में अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आए उत्तराखंड की इस सीट पर पहला आम चुनाव वर्ष 2004 में हुआ, तो बीसी खंडूरी ने ही अपनी जीत की तिकड़ी लगाई थी। यूपी के हिस्से के दौरान इससे पहले खंडूरी ने 1991 में, 1998, 1999 में भी भाजपा का परचम लहराया था। 2008 में उत्तराखंड में बनी भाजपा की सरकार में बीसी खंडूरी को मुख्यमंत्री बनाया गया, तो उनके इस्तीफे के बाद इस सीट पर उप चुनाव में ले.जनरल टीपीएस भाजपा के टिकट से जीत कर लोकसभा में दाखिल हुए। 15वीं लोकसभा का चुनाव कांग्रेस के सतपाल महाराज ने जीता था। उत्तराखंड बनने से पहले सतपाल महाराज ने कांग्रेस (तिवारी) के टिकट पर 1996 का चुनाव जीता। यदि आजादी के बाद इस सीट के सियासी मिजाज को देखें तो यहां 1951 से लेकर 1967 तक हुए चार आम चुनाव में कांग्रेस के भक्त दर्शन ने अपना झंडा बुलंद किया। 1971 में कांग्रेस के प्रताप सिंह नेगी और आपात काल के बाद 1977 में जनता पार्टी के जगन्नाथ शर्मा तथा फिर 1980 में कांग्रेस के टिकट पर हेमवती नंदन बहुगुणा, 1984 में भी कांग्रेस के लिए चन्द्रमोहन नेगी ने जीत दर्ज की, जबकि मंडल-कमंडल की लहर में जनता दल से चंद्रमोहन नेगी फिर लोकसभा पहुंचे।
दांव पर 10 प्रत्याशी
गढ़वाल लोकसभा सीट में परिसीमन के बाद 14 विधानसभा सीटों बद्रीनाथ, थराली(अजा), कर्णप्रयाग, केदारनाथ, रूद्रप्रयाग, देवप्रयाग, नरेन्द्रनगर,यमकेश्वर, पौड़ी(अजा), श्रीनगर, चैबट्टाखाल,लैन्सडौन, कोटद्वार और रामनगर को मिलाकर सृजित की गई है। इस सीट पर 12 लाख चार हजार 558 मतदाताओं को एक सांसद का चुनाव करना है। मतदाताओं के इस चक्रव्यूह को भेदने के लिए भाजपा, कांग्रेस, बसपा, आप, सीपीआई(एम) जैसे छह दलों समेत दस उम्मीदवार सियासत की जंग में हैं। सूत्रों के अनुसार भाजपा के खंडूरी की घेराबंदी करने के लिए कांग्रेस प्रत्याशी ने भाजपा के उन तीन पूर्व विधायकों केदार सिंह फोनिया, अनिल नौटियाल और जीएल शाह को अपने खेमे में मिला लिया है, जिनका खंडूरी से छत्तीस का आंकड़ा रहा है।
03May-2014
 

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