बुधवार, 21 मई 2014

मोदी की जादूगरी: नमो के सामने विपक्षी हो गए बेदम!

कम वोट पर बहुमत हासिल कर भाजपा ने रचा इतिहास
ओ.पी.पाल

सोलहवीं लोकसभा में देश के सियासी इतिहास में नए ऐतिहासिक पन्ने जोड़ती कई दिलचस्प तस्त्वीरें उभरकर सामने आई हैं। आजादी के इतिहास में कम वोट लेने के बावजूद बहुमत के साथ 282 सीटे हासिल करके भाजपा ने एक नया इतिहास रचा है, इससे पहले कभी 1967 में कांगे्रस ने महज 40.8 प्रतिशत वोट पर 283 सीटे लेकर बहुमत हासिल किया था।
देश की बदलती सियासत में इस बार के आम चुनाव में कई दिलचस्प तस्वीर देखने को मिल रही है, जिसमें सत्ता संभालने जा रही भाजपा ने 283 सीटों पर परचम लहराकर बहुमत हासिल किया है, लेकिन अब तक के चुनावी इतिहास में बहुमत हासिल करने वाली भाजपा ऐसी पार्टी बन गई है, जिसे वोट महज 31 प्रतिशत मिला है। इससे पहले इस फेहरिस्त में कांग्रेस भी जिसने 1967 के लोकसभा चुनाव में 40.8 प्रतिशत वोट लेकर बहुमत हासिल करते हुए 283 सीटों पर कब्जा किया था, लेकिन उस समय लोकसभा में 520 ही सीटें थी। मसलन इस बार वोट प्रतिशत का आंकड़ा इस बात का गवाह बन रहा है कि विभिन्न पार्टियों के बीच वोटों की बंदरबांट किस कदर हुई और ऐसे में भाजपा एक तिहाई से कम 31 फीसदी वोट पाने के बावजूद बहुमत के 272 के  आंकड़े को पार कर 282 सीटों पर जीतकर आई। इसके लिए भाजपा को कुल वैध मतों के 31 प्रतिशत वोट ही मिले। राजनीतिकारों इसे इस नजरिए से समझ रहे हैं कि 10 में से चार वोटरों ने भी भाजपा के पक्ष में वोट नहीं दिया। जबकि 2009 के चुनाव में भजापा को 18.5 प्रतिशत वोट मिला था और उसके हिस्से में 116 सीटों की जीत आई थी। यह कांग्रेस की खराब किस्मत का तकाजा ही रहा कि वह 19.3 फीसदी के बाद 44 सीट पर ही सिमट गई यानि कांग्रेस को वोट देने वाले वोटरों की तादात भाजपा से भी कम रही। वैसे भाजपा और कांग्रेस को इस बार मिले वोटों पर नजर डालें तो देश के आधे से कुछ ज्यादा वोटरों ने इन दोनों पार्टियों को वोट दिया और बाकी वैध वोट में अन्य सभी दल सिमट गये। वोट प्रतिशत के मामले में इस बार बसपा 4.1 प्रतिशत वोट हासिल करके तीसरे पायदान पर रही, लेकिन लोकसभा में उसे एक सीट पर भी जीत का स्वाद नहीं मिल सका। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस को 3.8, सपा को 3.4, अन्नाद्रमुक को 3.3, सीपीएम को 3.2 और निर्दलयों को तीन प्रतिशत वोट हासिल हुआ। बाकी सभी 29 दलों का वोट प्रतिशत तीन से कम ही रहा।
गठबंधन में भी राजग आगे
इस बार लोकसभा के चुनाव में यदि कांग्रेसनीत यूपीए और भाजपानीत राजग के वोटों को देखा जाए तो भी राजग को 38.5 और यूपीए को करीब 23 प्रतिशत वोट हासिल हुए। इन दोनों गठजोड़ को को मिला दिया जाए तो शेष करीब 39 प्रतिशत वोट यानि राजग को मिले मतों के बराबर में अन्य सभी पार्टियां सिमट कर रह गई हैं। सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में राजग को मिले 38.5 प्रतिशत वोट किसी सत्ताधारी पार्टी या गठबंधन को मिले सबसे कम वोट नहीं है इससे पहले कांग्रेसनीत यूपीए-1 को 2004 के चुनाव में 35.9 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे और केंद्र में सरकार बनाई थी। 2004 में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए गठबंधन को करीब 36 प्रतिशत से कुछ कम वोटों के साथ 220 सीटें मिली थीं, लेकिन यूपीए को सपा, वामदल और पीडीपी जैसे दलों का बाहर से समर्थन मिला था। इससे पहले 991 में पीवी नरसिम्हा राव की अल्पमत सरकार के लिए कांग्रेस को 38.2 प्रतिशत वोट मिले थे।
21May-2014

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