रविवार, 18 मई 2014

यूपी: दलित बहुल सीटों पर भी भाजपा का परचम!

मायावती ने भाजपा के सिर फोड़ा ठींकरा
ओ.पी.पाल 
सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में उत्तर प्रदेश की सियासत ने जिस तरह की करवट बदली है उसमें कई अजीबों गरीब  परिस्थितियों ने जन्म लिया है। जात-पांत की सियासत करने वाली बसपा को इस बार मोदी मैजिक के सामने उत्तर प्रदेश की सियासत ने ठेंगा दिखा दिया है, जहां पार्टी की स्थापना के बाद पहली बार बसपा अपना खाता तक नहीं खोल पाई। मसलन इस पर सूबे में चिन्हित अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के लिये सभी सुरक्षित 17 सीटों पर भाजपा ने अपना परचम लहराया है।
देश की सबसे ज्यादा 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश जैसे विशाल सूबे में इस बार भाजपा ने जो इतिहास रचा है उससे पहले कभी कांग्रेस ने सभी 85 सीटे जीतकर रचा था। उस समय उत्तराखंड यूपी का ही हिस्सा था। भाजपा ने अपना दल की दो सीटों समेत 73 सीटों पर कब्जा जमाया है। जहां तक सुरक्षित 17 सीटों का सवाल है उ नमें 12 लोकसभा सीटें ही ऐसी रही, जहां दूसरे स्थान पर रही बसपा समेत सभी प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी भाजपा प्रत्याशियों को मीलों दूर नजर आये।राज्य की प्रमुख सुरक्षित सीटों में नगीना, बुलन्दशहर, हाथरस, आगरा, शाहजहांपुर, हरदोई, मिश्रिख, मोहनलालगंज, इटावा, जालौन, कौशाम्बी,बाराबंकी, बहराइच, बांसगांव, लालगंज, मछलीशहर और राबर्ट्सगंज शामिल हैं, सभी पर भाजपा का भगवा लहराया है। जबकि पिछले 15वीं लोकसभा के चुनाव में सपा ने इन 17 में से 10 सीटों पर कब्जा किया था। इस बार सोलहवीं लोकसभा में बसपा ने सिर्फ इन्हीं 17 सीटों पर दलितों को टिकट दिये थे और वे सभी मोदी की सुनामी का शिकार होकर परास्त हो गये। जाहिर है कि यूपी में जात-पांत की सीमाएं तोड़कर मतदाताओं ने भाजपा को जनादेश देने का साहस दिखाया।
12 सीटों पर मुकाबले में रही बसपा
यूपी में लोकसभा चुनाव नतीजों पर गौर करें तो इस बार राज्य की सुरक्षित सीटों में से 12 पर बसपा दूसरे नम्बर पर रही, लेकिन मतों के लिहाज से उसके प्रत्याशी भाजपा के उम्मीदवारों के कही तक भी करीब नहीं आ सके। मतों का सबसे कम अंतर लालगंज संसदीय सीट पर रहा, जहां भाजपा प्रत्याशी ने बसपा प्रत्याशी को 63 हजार 86 मतों से हराया। जबकि बुलन्दशहर सीट चार लाख 11 हजार 973, हाथरस सीट तीन लाख 26 हजार 386, आगरा सीट तीन लाख 263, बिजनौर जिले की नगीना सीट 92 हजार 390, शाहजहांपुर सीट दो लाख 35 हजार 529, मिश्रिख सीट 87 हजार 363, मोहनलालगंज सीट एक लाख 45 हजार 416, जालौन सीट दो लाख 87 हजार 202, बांसगांव सीट एक लाख 89 हजार 516, मछलीशहर सीट एक लाख 71 हजार 523, तथा राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट पर एक लाख 90 हजार 443 मतों के अंतर से भाजपा प्रत्याशियों ने भगवा झंडा लहराया। हालांकि इन सभी सीटों पर बसपा प्रत्याशी उप विजेता के रूप में सामने आये।
ऐसे बिफरी माया
उत्तर प्रदेश में मोदी की ऐसी लहर चली की बहुजन समाज पार्टी को एक भी सीट नसीब नहीं हुई। ये हश्र उस पार्टी के साथ हुआ जो खुद को दलितों और अल्पसंख्यकों की इकलौती हितैषी होने का दावा करती है। पार्टी के सफाए पर खींज उतारने के लिए मायावती ने इस हार का ठींकरा भाजपा के सिर फोड़ने का प्रयास किया और यहां तक कहा कि हथकंडों से भाजपा ने बसपा का सियासी खेल खराब किया है। मायावती शनिवार को लखनऊ में संवाददाता सम्मेलन करके यह कहने से भी परहेज करती नहीं दिखी कि देश की जनता राजग को केंद्र सत्ता देकर पछताएगी। हालांकि मायावती ने बसपा हार के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि कांग्रेस के खिलाफ जनता का गुस्सा उनके जैसे दलों को झेलना पड़ा है।
18May-2014

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें