सोमवार, 5 मई 2014

राग दरबार-सुपरहिट फिल्म-सियासत/प्रियंका की ठसक

जोगी के मिल्खा
छत्तीसगढ़ की चाहे भाजपा की राजनीति हो या फिर कांग्रेस की, एक ही उभय-नाम सामने आता है- अजीत जोगी। सूबाई सियासत में उनसे डरे सहमे वोटरों को और डरा कर भाजपा अपनी रोटी सेंकती रहती है तो कांग्रेस पार्टी अब तक उनके छत्रछाया से उभर नहंी पाई है सो तमाम विपरीत परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाने की कला के महारथी जोगी चुनावी थकान दिल्ली में मिटा रहे हैं। सिनेमा देख रहे हैं। लोगों से मिल रहे हैं। हरियाणा के सोहना स्थित रिसॉर्ट में गए तो थे आराम फरमाने मगर वहां भी मिलने जुलने वालों का तांता लगा रहा। अपनी राजनीतिक पारी में लगातार कुलांचे भरते हुए महासमुंद से सांसद बनने की उम्मीद में हैं। ऐसा हुआ तो देश के शायद वे पहले ऐसे कांग्रेसी होंगे जिनकी पत्नी और बेटा विधायक और खुद सांसद की भूमिका में नमूदार होंगे। भाग मिल्खा भाग सिनेमा देख कर वे और तेजी से दौड़ने की कला सीख रहे हैं। एआईसीसी का फेरबदल होने वाला है। युवा राहुल गांधी अपनी टीम तकरीबन तय कर चुके हैं। उस टीम में जगह कैसे बने, इसकी ताक में भी हैं जांगी। व्हीलचेयर पर होने के बाद भी उनके जोश और जुनून के पार्टी के अंदर और बाहर सभी कायल हैं। दूसरा सिनेमा उन्होंने देखा भूतनाथ। अब कांग्रेस की बदलती राजनीति में अपने भूत की बदौलत जोगी अपना भविष्य कैसे सुरक्षित रखेंगे, लाख टके का सवाल अब ये है।
मोदी के मंत्री
वैसे तो भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की टीम में नौकरशाह, कलाकार, प्रोफेशनल्स और दिनरात काम करने वाले जूनूनी कार्यकर्ताओं का बेहतरीन कॉकटेल है। मगर, जिस तेजी से और पर्दे के पीछे युवा राज्यसभा सांसद पीयूष गोयल ने मोदी के लिए बिजनेस पेपर और बिजनेस चैनलों पर ब्रांड मोदी को स्थापित करने का काम किया है उससे उनका भी ग्राफ बढ़ा है। वित्त मामलों के विशेषज्ञ के तौर पर वे कई बार संभावित मोदी सरकार के वित्तमंत्री की हैसियत से बोलते हुए दिखाई देते हैं। राज्यसभा के अपने पहले ही कार्यकाल में उन्होंने वित्त मामलों में यूपीए सरकार को समय-समय पर घेरकर पार्टी के अंदर और बाहर अच्छी छवि बनाई है। यही कारण है कि अजय सिंह के साथ गोयल को टीम मोदी में चुनाव के दौरान महत्वपूर्ण काम सौंपा गया। मोदी आ रहे हैं- का नारा गढ़ने वाले सुशील गोस्वामी हों या फिर अबकी बार मोदी सरकार नारे के पीछे काम करने वाले सम्राट बेदी, अनुराग खंडेलवाल और सतीश देशा जैसे प्रोफेशनल्स हों सभी को एक सूत्र में पिरोने की जिम्मेदारी मशहूर गीतकार प्रसून जोशी की रही। सभी को एक बात का इत्मीनान है, ब्रांड मोदी की धमक कश्मीर से कन्याकुमारी तक ही नहीं विदेशों में सुनाई देने लगी।
प्रियंका की ठसक
यह तो पूरा देश जानता है कि प्रियंका राजीव गांधी की बेटी हैं, यह बताने की प्रियंका गांधी को क्या जरूरत पड़ी। मतलब इस सभ्यता और संस्कारों के देश में कोई भी किसी को रिश्तों से जोड़कर अपनापन जाहिर करता है और इसे एक सम्मानजनक विचार कहा जाता है। शायद यह बदलते परिवेश की कलयुगी राजनीति हो रही है, जब सत्ता की दौड़ के लिए चल रही सियासत में एक-दूसरे नेता या दलों के बीच तनातनी चल रही है। यहीं नहीं व्यक्तिगत और निजता तक भी हमले करने में कोई परहेज करता नहीं दिखता। फिर भी भाजपा नेता नरेन्द्र मोदी ने जब हाल ही में एक चुनावी सभा में कांग्रेस प्रमुख
सोनिया गांधी की सुपुत्री प्रियंका वाड्रा को बेटी जैसा बताकर एक सम्मान देने का प्रयास किया, लेकिन इस छिछली राजनीति में प्रियंका को यह सम्मान भी अपमान जैसा लगा और मोदी पर पलटवार करते हुए कहा कि वह बता देना चाहती है कि वह राजीव गांधी की बेटी है। राजनीति गलियारों में प्रियंका को मोदी के इस सम्मान को अपमान नजर आने पर यही चर्चा है कि किसी ने उनके पिता का नाम तो नहीं पूछा और न ही यह कहा कि वह राजीव गांधी की बेटी नहीं है, यह तो देश अच्छी तरह जानता है कि वह राजीव की बेटी, इंदिरा की पोती और जवाहर लाल नेहरू की परपोती हैं।
सुपरहिट फिल्म-सियासत
लोकतांत्रिक मेले में कम से कम बनारस की धार्मिक भूमि पर तो लोकसभा चुनाव की तस्वीर को सुपरहिट फिल्म ‘सियासत’ के रूप में देखा जा सकता है, जहां हीरो भी हैं और विलेन के साथ सहायक सियासत के कलाकार और दर्शकों की भी कमी नहीं है। दरअसल इस सुपरहिट फिल्म की स्क्रिप्ट तो यहां के जुझारू मतदताओं को ही ईवीएम मशीन के बटन दबाकर लिखनी है, लेकिन इस फिल्म के नायक बनने के लिए खलनायकों की भी कमी नहीं है। मसलन बनारस लोकसभा सीट पर भाजपा के नरेन्द्र मोदी के सियासी जंग में आने के बाद यहां की सियासत किसी सुपरहिट फिल्मसे कम नहीं है। वाकई इस फिल्म की स्क्रिप्ट इसलिए भी शानदार लगती है कि मोदी को हीरो बनने से रोकने के लिए विपरीत धुरी वाले अजय राय और मुख्तार अंसारी एक दूसरे से बचपन के बिछड़े भाईयों की तर्ज पर ऐसे गले मिलकर रोने की भूमिका निभा सकते हैं जिससे बनारस की जनता मूर्ख बन सके और ईवीएम मशीन के जरिए उन्हें हीरो बनाकर इस फिल्म का अंत कर दे। मसलन इस सियासत में किसी तरह से मोदी को रोकना है भले ही आप के केजरीवाल को ही हीरो की भूमिका में क्यों ने बलि का बकरा बना दिया जाए।
जिम्मेदारी बाल गिनने की
भाजपा के एक राष्ट्रीय महासचिव इन दिनों बड़ी जिम्मेदारी का निवार्ह कर रहे हैं। देश में कहीं भी पार्टी के किसी नेता पर चाहे चुनाव आयोग का सोंटा चले या फिर वह नेता किसी तरह की कानूनी अड़चन में घिरता दिखे, दिल्ली भाजपा मुख्यालय में ये बैठे नेताजी सक्रिय हो जाते हैं। मामला अगर मोदी या राजनाथ सिंह से जुड़ा हो फिर तो इनकी सक्रियता देखते ही बनती है। कुछ ऐसा ही दायित्व एक राष्ट्रीय प्रवक्ता को भी दिया गया है। विरोधियों के किसी भी जुबानी हमले पर वह प्रतिक्रिया देने के लिए ही केंद्रीय कार्यालय में बैठाए गए हैं। एक दिन कुछ पत्रकारों ने इन महोदय को फुर्सत में देखकर हंसी ठिठोली शुरु कर दी। कहा कि आपको और राष्ट्रीय महासचिव महोदय पर बड़ा भारी जिम्मेदारी डाली गई है। प्रवक्ता महोदय चुप रहे। फिर एक पत्रकार ने तोड़ा कुरेदा तो भी वह चुप रहे। जब इस तरह की कई व्यंग्य बाण पत्रकारों की ओर से उछले तो प्रवक्ता महोदय को रहा नही गया। उन्होंने भी पत्रकारों के व्यंग्य का जवाब भी उसी अंदाज में दिया। कहा कि एक प्रेत होता है जो काम न होने पर दूसरे के काम में अड़ंगा लगाता है। सो नेतृत्व को शायद ऐसा ही हमारे बारे में लगा हो। सो, हमें भी बाल गिनने का काम दिया गया है। उनके इतना कहते ही सभी ठठाकर हंस पड़े।
04May-2014

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