मंगलवार, 6 मई 2014

हॉट सीट: नैनीताल-कोशियारी की होशियारी से भाजपा की राह आसान!


हैट्रिक बनाने की जुगत में केसी सिंह बाबा
ओ.पी. पाल. नैनीताल।
उत्तराखंड की वादियों की राजनीति में नैनीताल-उधमसिंह नगर लोकसभा सीट पर जहां कांग्रेस के केसी सिंह बाबा को हैट्रिक लगाने की दरकार होगी। वहीं सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा के प्रत्याशी भगत सिंह कोशियारी को कांग्रेस के दिग्गज नारायण दत्त तिवारी के मिले आशीर्वाद से पूरी उम्मीद है कि वे सियासी जंग की वैतरणी को पार कर लेंगे।
उत्तराखंड के कुमाऊॅ क्षेत्र में एक प्रमुख पर्यटन नगर के नाम से प्रसिद्ध नैनीताल जिले की लोकसभा सीट पर कांग्रेस के दिग्गज रहे वृयोवृद्ध नेता नारायण दत्त तिवारी की राजनीति का बेहद प्रभाव माना जाता रहा है। वैसे भी नैनीताल सीट देश की राजनीति के दो धुरंधर नारायण दत्त तिवारी और केसी पंत की परम्परागत सीट रही है। यहां हुए सभी चुनाव में हमेशा ऐसा कुछ न कुछ समीकरण बनकर उभरते हैं कि इस सीट पर बड़े राजनीतिक शूरमाओं की प्रतिष्ठा दांव पर लग ही जाती है। इस बार लोकसभा की जंग में यहां मुख्य मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा प्रत्याशी भगत सिंह कोश्यारी और मौजूदा सांसद केसी सिंह बाबा के बीच ही माना जा रहा है, लेकिन आम आदमी पार्टी ने भी यहां जनकवि के रूप में पहचाने जाने वाले बल्ली सिंह चीमा को लोकसभा में भेजने की ठानी हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी बाबा अपनी हैट्रिक बनाने की जुगत में है, लेकिन कांग्रेस की अंतर्कलह और भाजपा प्रत्याशी भगत सिंह कोशियारी को पहले ही आशीवार्द दे चुके कांग्रेस के दिग्गज व वृयोवृद्ध नेता नारायण दत्त तिवारी ने उनके सामने कांटे बिछा दिये हैं। कारण इस सीट से परिवारिक विवाद की सुलह के बाद तिवारी खुद चुनाव लड़ने के मूड में थे, लेकिन कांग्रेस हाईकमान द्वारा अनदेखी करने का यहां कांग्रेस के लिए विपरीत असर पड़ने की संभावना बनी हुई है। वहीं आम आदमी पार्टी के चीमा आने से इस लोकसभा सीट पर इस बार और भी अधिक रोचक सियासी मुकाबला देखने को मिलेगा। इस सीट को यदि भाजपा फतेह करती जीतती है तो यह भाजपा हैट्रिक होगी और यदि कांग्रेस को जीत मिलती है तो यह केसी बाबा की लगातार तीसरी जीत होगी। राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो उत्तराखंड में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष को लेकर हुए तमाशे ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को अनुशसन में रहने की सीख को तार-तार कर दिया, लेकिन कोशियारी की होशियारी ने ही दो दावेदार नेताओं के पीछे खडे भाजपा के क्षत्रपों को भी एक कदम आगे बढ़ाने के साथ दो कदम पीछे चलने को मजबूर कर दिया था। इसी चाणक्य नीति की बदौलत कोशियारी इन चुनावों में प्रदेश अध्यक्ष पद का सेहरा बांधकर नैनीताल लोकसभा सीट की वैतरणी पार करने की जुगत में हैं।
भाजपा-कांग्रेस के दिग्गजों की जंग
नैनीताल-उधमपुर लोकसभा सीट में 14 विधानसभाएं भीमताल, नैनीताल, हल्द्वानी, कालागढ़, जसपुर, काशीपुर, बीजापुर, गदरपुर, रूद्रपुर, किच्छा,सितारगंज, नानक मट्टा व खटीमा शाामिल हैं। इस संसदीय क्षेत्र इन 14 विधानसभा सीटों में से आठ पर भाजपा के विधायक काबिज हैं, जबकि छह पर कांग्रेस का कब्जा हैं, जिनमें कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष, तीन कैबिनेट मंत्रियों और एक पूर्व सीएम भी इसी लोकसभा सीट में श्ुामार है। भाजपा, कांग्रेस, आप के अलावा यहां बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी के रूप लईक अहमद को चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि सपा के अवतार सिंह मुकाबले में शामिल होने की जुगत लगा रहे हैं। 11 दलों समेत इस सीट पर 15 प्रत्याशियों ने अपनी प्रतिष्ठा को दांव पर लगाया है, जिनके सामने 15 लाख 37 हजार 795 मतदाताओं का चक्रव्यूह बना हुआ है। संपूर्ण नैनीताल, ऊधमसिंह नगर और पौड़ी जिले के कुछ हिस्सों को जोड़कर बनी यह लोकसभा सीट फिलहाल कांग्रेस के पास है। कांग्रेस के केसी सिंह बाबा वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी बची सिंह रावत को हराकर लगातार दूसरी बार लोकसभा पहुंचे थे, जिन्होंने पहली बार 2004 के चुनाव मेें भाजपा प्रत्याशी विजय बसंल को हराया था।
सीट का सियासी इतिहास
नए परिसीमन से पहले नैनीताली लोकसभा सीट के नाम से जानी जाती रही इस सीट पर पहले पांच चुनाव लगातार कांग्रेस ने जीते हैं, जिनमें पहले दो चुनाव में सीडी पांडे ने परचम लहराया तो उसके बाद लगातार तीन जीत हासिल कर कांग्रेस के दिग्गज रहे केसी पंत ने जीत की तिकड़ी बनाई थी। आपातकाल के बाद ही कांग्रेस की जीत का क्रम टूटा, जब 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के ब्रजभूषण ने जीत हासिल की, लेकिन अगले ही 1980 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे नारायण दत्त तिवारी ने कांग्रेस की वापसी कराई। इसके बाद 1984 में सत्येन्द्र चन्द्रग घुरिया व 1989 में महेन्द्र सिंह पाल ने जीत हासिल कर कांग्रेस का विजय अभियान जारी रखा। 1991 के चुनाव यहां पहली बार भाजपा के बलराज पासी जीते, लेकिन फिर 1996 में नारायण दत्त तिवारी यहां से सांसद बने। भाजपा को दूसरी जीत 1998 में इला पंत ने दिलाई, जबकि 1999 में नारायण दत्त तिवारी फिर जीतकर लोकसभा पहुंचे। उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के बाद पहले लोकसभा चुनाव से लगातार कांग्रेस के केसी बाबा ही लोकसभा में पहुंचे हैं।
06May-2014

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