मंगलवार, 29 अप्रैल 2014

हॉट सीट: अहमदाबाद पूर्व-सियासी पर्दे पर अदाकारी में दांव पर परेश की किस्मत!

हरिन पाठक ने सात बार जीत हासिल कर बनाई भाजपा की रणभूमि
ओ.पी.पाल

गुजरात की राजधानी की अहमदबाद पूर्व लोकसभा सीट पर इस बार भाजपा ने पिछले लगातार सात बार के विजेता सांसद हरिन पाठक को दरकिनार करके फिल्म अभिनेता पेरश रावल को सियासी पर्दे पर अदाकारी के लिए उतारा है, लेकिन हरिन पाठक की अनदेखी से बढ़ती दिख रही अंदरूनी खींचतान में यहां कांग्रेस के हिम्मत सिंह पटेल को चुनौती देने के लिए परेश रावल के पसीने छूटते दिख रहे हैं, हालांकि इस सीट पर मोदी मैजिक में रावल की सियासी राह कोई कठिन भी नहीं है।
भाजपा की रणभूमि बनाने वाले हरिन पाठक यहां से लगातार सात बार सांसद निर्वाचित हो चुके हैं, लेकिन इस बार भाजपा ने अहमदाबाद पूर्व लोकसभा सीट से बॉलीवुड अभिनेता परेश रावल पर दांव खेला है। परेश रावल को प्रत्याशी बनाने के बाद भाजपा में यहां अंतर्कलह भी नजर आई और हरिन पाठक के समर्थकों ने विरोध भी किया, लेकिन भाजपा शायद इस बार हरिन पाठक को राज्यसभा भेजने का मन बना चुकी है? लेकिन इसके बावजूद रावल के लिए मौजूदा सांसद हरिन पाठक के चहेते भाजपाई ही खतरा बने हुए हैं, भले ही इस हल्के-फुल्के विरोध के बावजूद पाठक पार्टी के साथ होने का दावा कर रहे हैं। परेश रावल के लिए इस सियासी पर्दे पर कांग्रेस प्रत्याशी एवं पूर्व मेयर हिम्मत सिंह पटेल कड़ी चुनौती देते दिखाई दे रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं इस बात की भी हैं कि अहमदाबाद पूर्व में भाजपा में चल रहे अंतर्विरोध का लाभ कांग्रेस प्रत्याशी हिम्मत सिंह पटेल को मिलेगा। हालांकि इसके बावजूद परेश रावल ने जनसंपर्क पर फोकस ज्यादा रखते हुए इस सीट में शामिल सभी सातों विधानसभाओं की खाक छानने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसलिए फिल्म जगत की हस्तियों में शुमार परेश रावल को नामी होने का फायदा भी मिलने की संभावना है। दूसरे देशभर में मोदी मैजिक के चलते भी रावल के हौंसले बुलंद हैं। इसलिए भी परेश रावल की राह मुश्किल नहीं लगती, क्योंकि इस संसदीय क्षेत्र की सात विधानसभाओं में से छह में भाजपा के विधायक काबिज हैं।
दस दलों की प्रतिष्ठा
अहमदाबाद पूर्व लोकसभा सीट पर 14.07 लाख से ज्यादा मतदाताओं के चक्रव्यूह को भेदने के लिए भाजपा, कांग्रेस, बसपा, आप, जदयू, विश्व हिंदुस्तानी संगठन, अखिल भारतीय कांग्रेस दल, बहुजन शक्तिदल व प्रजातंत्र आधार पार्टी समेत दस दलों के प्रत्याशियों समेत कुल 14 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इस सीट पर निर्दलीयों की किस्मत भी चमकी है इसलिए निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनाव के मैदान में हैं।
भाजपा का ज्यादा चला सिक्का 
15वीं लोकसभा चुनाव से पहले नए परिसीमन में सात विधानसभाओं से सृजित इस अहमदाबाद पूर्व लोकसभा सीट पर वर्ष 1989 से 2009 तक के लगातार सात चुनाव जीतकर भाजपा की रणभूमि बनाने वाले हरिन पाठक से पहले 1984 में यहां कांग्रेस के हरोभाई मेहता और 1980 में मगनभाई बारोट जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। उससे पहले 1967 से 1977 तक इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। जबकि 1957 व 1962 के चुनाव में यहां नूतन महागुजरात जनता परिषद के टिकट पर आईके याज्ञनिक लोकसभा में जा चुके हैं। पहला चुनाव कांग्रेस के नाम ही रहा है। परिसीमन से पहले यह सीट अहमदाबाद लोकसभा के नाम से ही जानी जाती थी।
सियासी लहर का नहीं होता असर
सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में हालांकि मोदी की लहर का जिक्र आता है, लेकिन अहमदाबाद पूर्व संसदीय क्षेत्र के लोग लहरों और हवाओं के प्रभाव से अछूते ही माने गये हैं। मसलन यह ऐसी सीट है जिसके मतदाता व्यक्ति को तवज्जो देते हैं। यही कारण है कि आजादी के बाद सिर्फ पहले चुनाव में कांग्रेस को सफलता मिली। इसके बाद आईके याज्ञनिक क्षेत्रीय पार्टी और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चार बार चुने गए। 1977 में जनता पार्टी के लहर के बावजूद यहां से कांग्रेस जीतकर आई, लेकिन उसके बाद 1989 से लगातार हरिन पाठक ने जीत हासिल करके भाजपा का परचम लहराया है।
29Apr-2014

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