रविवार, 13 अप्रैल 2014

हॉट सीट: पीलीभीत- मेनका की कर्मभूमि पर कांग्रेस की नजरें !



मेनका के खिलाफ युवा विधायक संजय कपूर
ओ.पी.पाल
उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र की पीलीभीत संसदीय सीट का इतिहास चाहें जो रहा हो, लेकिन केंद्र की सियासत में इसकी पहचान मेनका गांधी से है। मसलन इस सीट पर सियासी जंग में जिसका भी मुकाबला होना है वह कमल के फूल से ही होना तय है। कांग्रेस के विजयी रथ को लगातार रोकती आ रही मेनका गांधी के लिए यह सीट दूसरे गांधी परिवार के रूप में कर्मभूमि बनना इसका बड़ा कारण है। हालांकि यहां अपनी सियासी जमीन को हासिल करने के लिए कांग्रेस की नजरें इस बार कुछ तिरछी देखी जा रही हैं।
देश के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू गांधी परिवार की बहू मेनका गांधी ने ससुराल से अलगाव के बाद वर्ष 1984 में अमेठी से अपने ज्येष्ठ राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव हारने के कारण अपना संसदीय क्षेत्र पीलीभीत को चुना और वर्ष 1989 में जनता दल के टिकट से चुनाव लड़कर कांग्रेस के विजय रथ को तो मंडल कमीशन की लहर में रोकने में सफल रही। लेकिन वर्ष 1991 के उप चुनाव में भाजपा के मुकाबले वह अपनी सीट नहीं बचा सकी। मेनका ने इस सीट पर इरादा पक्का करते हुए 1996 के चुनाव में जनता दल के टिकट पर भाजपा को रिकार्ड मत हासिल करके पटखनी देने में कामयाब रही। उसके बाद इस सीट पर निरंतर दो जीत तो निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ही हासिल की। बाद में भाजपा ने इसी सीट पर मेनका गांधी को प्रत्याशी बनाया और दो लगातार चुनाव जिताए। पिछले चुनाव में मेनका गांधी ने अपने बेटे वरूण गांधी को पीलीभीत सीट से लड़ाया, जिसने मां से भी ज्यादा वोट हासिल कर लोकसभा का दरवाजा खटखटाया। जबकि स्वयं आंवला लोकसभा सीट से निर्वाचित होकर लोकसभा दाखिल हुई। भाजपा ने इस बार वरूण गांधी को सुल्तानपुर से प्रत्याशी बनाया है जबकि मेनका गांधी ने वापसी अपनी कर्मभूमि पर सियासत की जंग लड़ने का निर्णय लिया। कांग्रेस अपनी जमीन वापसी करने के लिए इस बार मेनका के खिलाफ युवा विधायक संजय कपूर को लाई है, लेकिन अपनी कर्मभूमि बना चुकी मेनका पीलीभीत की जनता के बीच लोकप्रिय हैं और राजनीतिक जानकारों की माने तो जिसका भी मुकाबला होना है वह भाजपा की मेनका गांधी से ही होगा। इस सीट पर सपा और बसपा भी जोर आजमाइश कर अपना खाता खोलने की जुगत में है।
तैयार हुआ राग-द्वेष का मिश्रण
सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में बतौर भाजपा प्रत्याशी अपने पुराने संसदीय क्षेत्र में वापस आई मेनका गांधी इस सीट पर पांच बार तथा एक बार उनका सुपुत्र वरूण गांधी ने क्षेत्र के मतदाताओं के प्रति मतदाताओं के राग-द्वेष का जो मिश्रण तैयार किया है व मेनका की वापसी पर साफ दिखता है। जहां तक पीलीभीत के राजनीतिक इतिहास का सवाल है उसमें पीलीभीत संसदीय सीट का इतिहास काफी रोचक रहा है। आजाद भारत में संविधान लागू होने के बाद सन 1952 में हुए प्रथम लोकसभा चुनाव में कांग्रेस जीत गई, लेकिन इसके बाद लगातार तीन चुनावों पर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का कब्जा रहा। जिन्हें बाद में 1971 का चुनाव जिताकर कांग्रेस ने उनके लिए जीत का चौका लगवाने में अपनी भूमिका निभाई। आपातकाल के बाद वर्ष 1977 के८ चुनाव में कांग्रेस विरोधी लहर में भारतीय लोकदल के टिकट पर मो. शम्सुल हसन खान ने परचम लहराया, लेकिन उसके बाद 1980 और 1984 के चुनाव हरीश गंगवार व भानुप्रताप सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर जीते। कांग्रेस के इस तिस्लिम को तोड़ने वाली एक मेनका गांधी ही थी, जिसने 1991 के चुनाव को छोड़कर अभी तक इस सीट पर भाजपा समेत कांग्रेस, सपा व बसपा को परास्त किया है।
मतदाताओं का जाल
बरेली मंडल की बेहड़ी, पीलीभीत, बरखेडा, पूरनपुर व बीसलपुर विधानसभओं को मिलाकर सूजित की गई पीलीभीत लोकसभा सीट पर 16.38 लाख मतदाताओं का जाल है, जिसमें 7.51 लाख से ज्यादा महिला वोटर हैं। इस चक्रव्यूह को भेदने के लिए इस सीट पर भाजपा, कांग्रेस, सपा, बसपा, आप,सीपीएम समेत 12 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। परिसीमन के बाद अपनी सीट पर वापस लौटी मेनका के लिए हालांकि राजनीतिक व भौगोलिक परिस्थिति बदली हुई मिली हैं। मेनका की कर्मभूमि मानी जा रही इस सीट पर जातीय समीकरण कोई मायने नहीं रखता है।
यह भी है इतिहास
हिमालय के बिलकुल समीप स्थित होने के बावजूद इसकी भूमि समतल है। पीलीभीत की अर्थ व्यवस्था कृषि पर आधारित है। यहां के उद्योगों में चीनी, कागज, चावल और आटा मिलों की प्रमुखता है। कुटीर उद्योग में बांस और जरदोजी का काम प्रसिद्ध है। यह नगर ज्ञान एवं साहित्य की अनेक विभूतियों का कर्मस्थल रहा है। नारायणानंद स्वामी 'अख्तर' संगीतज्ञ, कवि, साहित्यकार तथा इतिहासकार के रुप में प्रसिद्ध रहे हैं। चंडी प्रसाद 'हृदयेश' कहानीकार,एकांकीकार, उपन्यासकार, गीतकार एवं कवि थे। कविवर राधेश्याम पाठक 'श्याम' ने गद्य एवं पद्य दोनों साहित्य का सृजन किया और प्रसिद्ध फिल्मी गीतकार अंजुम पीलीभीती ने 'रतन','अनमोलघड़ी,'जीनत,'छोटी बहन'एवं'अनोखी अदा' आदि फिल्मों के प्रसिद्ध गीत लिखकर पीलीभीत जिले को गौरवान्ति किया है।
13Aprail-2014

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