रविवार, 27 अप्रैल 2014

हॉट लोकसभा सीट:वलसाड- केंद्र की सत्ता का पत्ता यहीं खुलेगा?

वलसाड ही चुनता रहा है देश का प्रधानमंत्री
ओ.पी.पाल

देश में शायद गुजरात की वलसाड लोकसभा सीट ऐसी सियासत में शुमार है जो केंद्र की सत्ता के पत्ते खोलती रही है। मसलन इस सीट पर आजादी से अब तक जिस दल का भी प्रत्याशी निर्वाचित हुआ है केंद्र में उसी राजनीतिक दल के नेता ने प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली है। अब सवाल उस इत्तेफाक पर अटका है कि क्या इस बार यह सीट अपने इतिहास को दोहराकर नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाएगी?
देश के पहली बार गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देशाई की जन्म स्थली जिले की वलसाड लोकसभा सीट के इस सियासी मिजाज के इतिहास को सुनकर भले ही आश्चर्य हो रहा हो, लेकिन आजादी से 15वीं लोकसभा तक तो यह सीट केंद्र की सत्ता का पत्ता खोलती आई है। गुजरात की इस लोकसभा सीट को यदि देश की सबसे भाग्यशाली सीटों में एक मान लिया जाए तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए। यह तो इस सीट का इतिहास गवाह है कि जिस दल का प्रत्याशी निर्वाचित हुआ उसी दल से प्रधानमंत्री पद पर विराजमान हुआ। इस लोकसभा सीट की भाग्यशाली सियासत के ही मायने हैं कि देश में 1951 से 2009 तक हुए 15 लोकसभा चुनाव के लिए हुए चुनाव में यही इतिहास दोहराया गया है। देश की सत्ता 1951 से 1971 तक लगातार कांग्रेस के हाथों में रही है और इन पांचों चुनाव में यहां कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। आपातकाल के बाद 1977 में जब पहली बार देश में गैर कांग्रेसी सरकार के रूप में जनता पार्टी की सरकार बनी तो वलसाड में जन्मे मोराजी देसाई प्रधानमंत्री को ही प्रधानमंत्री बनाया गया। इसके बाद 1980 व 1984 के चुनाव में इस सीट पर फिर कांग्रेस के प्रत्याशी जीते और देश में भी कांग्रेस की सरकार बनी और इंदिरा गांधी व राजीव गांधी ने पीएम की कुर्सी संभाली। वर्ष 1989 में यहां से मंडल-कमंडल की सियासत में जनता दल इस सीट जीती तो कांग्रेस सबसे ज्यादा सीटे जीतने वाली पार्टी थी, लेकिन भाजपा और जनता दल व अन्य दलों ने जनमोर्चा तैयार करे सरकार बनाई, लेकिन प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली जनता दल के नेता वीपी सिंह ने। वीपी सिंह सरकार में तोड़फोड होने से भंग लोकसभा के लिए फिर मध्यावधि चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस की सरकार बनी और सीट पर भी कांग्रेस ने कब्जा किया, तो पीवी नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री बनाया गया। इसके बाद लगातार तीन चुनाव में इस सीट पर भाजपा ने परचम लहराया और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने। चौदहवीं व पंद्रहवी लोकसभा में फिर कांग्रेस की सरकार बनी और इस सीट पर कांग्रेस की जीत हुई। इस सीट केसियासी मिजाज को देखते हुए यदि इसी इतिहास को दोहराती रही तो  क्या यह सीट नरेन्द्र मोदी के लिए भाग्यशाली साबित होगी? ऐसे सियासी मिजाज के इतिहास के बीच 2014 का चुनाव भी काफी रोचक है। खासकर तब जब गुजरात के सीएम के रुतबे से निकलकर नरेंद्र मोदी भाजपा के पीएम कैंडिडेट हैं। इसलिए सभी राजनीतिक दलों के साथ-साथ अब देश की जनता की निगाह भी वलसाड की सीट पर होगी।
लोकसभा सीट का सफर
गुजरात की अनूसचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित वलसाड़ लोकसभा सीट पर नानूभाई पटेल का 1957 से 1977 तक इस सीट पर कब्जा रहा, जिसमें पहले चार चुनाव में कांग्रेस और 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर निर्वाचित हुए। 1980 व 1984 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के उत्तमभाई एच.पटेल ने लगातार दो बार लोकसभा में दाखिल होने का सौभाग्य हासिल किया। जबकि 1989 के चुनाव में जनता दल के अर्जुनभाई पटेल और फिर 1991 में कांग्रेस के उत्तमभाई एच. पटेल ने इस सीट को कब्जाया। 1996, 1998 व 1999 के चुनाव में यहां भाजपा के मनीभाई रामजीभाई चौधरी ने तिकड़ी जमाई, तो पिछले दो चुनाव से इस सीट पर कांग्रेस के किशनभाई पटेल काबिज है, जिससे इस सीट पर कब्जा करने के लिए भाजपा के केसी पटेल कांग्रेस
के किशनभाई पटेल को पटखनी देने के लिए मोदी मैजिक का सहारा ले रहे हैं।
12 प्रत्याशियों की किस्मत दांव पर
वलसाड जिले की सात विधानसभाओं डांग्स, वनसाडा, धर्मपुर, वलसाड, पर्दी, कपराडा व उम्बेरगांव से मिलकर बनाई गई वलसाड लोकसभा सीट पर भाजपा के केसी पटेल व कांग्रेस के मौजूदा सांसद किशन पटेल के लिए आप के गोविंद पटेल, बसपा के रतिराम विजीरभाई ठकरिया तथा जदयू के शैलेश पटेल समेत कुल 12 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। दलित बाहुल्य सीट पर करीब 16 लाख मतदाताओं का चक्रव्यूह इन उम्मीदवारों के भेदने के लिए बना हुआ है।
27Apr-2014

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