लोकसभा चुनाव में गुजरात की वडोदरा सीट पर भाजपा की ओर से पीएम के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के सामने चुनौती देने से पहले ही कांग्रेस शायद यह मान चुकी थी कि वहां पार्टी के लिए मोदी के सामने जीत आसान नहीं है। इसीलिए कांग्रेस ने मजबूत प्रत्याशी को खड़ा करने का बखेड़ा करके ऐसे प्रत्याशी को टिकट दिया है, जिसे कांग्रेस पहले ही राज्यसभा भेज चुकी है। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी मधुसूदन मिस्त्री को इस सीट पर हार-जीत का डर कैसा, जब वह राज्यसभा की सदस्यता की शपथ लेकर संसद में अपनी सीट तो पुख्ता कर ही चुके हैं। अब तो कांग्रेस को वडोदरा में कांग्रेस प्रत्याशी के लिए केवल मोदी के खिलाफ भोकाल मात्र ही मचाने का रह गया है। तभी तो वडोदरा से प्रत्याशी घोषित होते ही मधुसूदन मिस्त्री ने पोस्टर फाड़ने की सियासत करके मोदी को गीदड़ भभकी देने की कोशिश की थी।
इमोशनल अत्याचार
देश की राजनीति में इस लोकसभा चुनाव से पहले कभी ऐसे बेतुके बोल नहीं देखे, जिन्हें सुनकर जब बेतुके बोल अपनी तरफ मुड़े तो मां व भाई के चुनाव प्रचार में प्रियंका गांधी के अपने पति राबर्ट वाड्रा पर लगे आरोपों से ऐसा भावुकता का बयान आया कि विरोधी दल भाजपा भी नरम पड़ती नजर आई। लेकिन प्रियंका का यह बदजुबानी करने वालों को नसीहत थी या भावात्मक अत्याचार, क्योंकि उनको यह भी समझना चाहिए कि उनकी मां सोनिया गांधी ने ही मोदी को मौत का सौदागर कहकर इस बेतुके बोल की शुरुआत की थी, जिसे भाई राहुल ने जाने क्या-क्या मॉडल की संज्ञा देकर बुलंदियों तक पहुंचा रहे हैं। अब जब ये बेतुके बोल खुद पर भारी पड़ने लगे तो भावुकता का चोला सामने आ गया, लेकिन सियासत की गलियों में तो अब यही चर्चा आम हो रही है कि चरम पर पहुंची बदजुबानी के चलते प्रियंका मां व भाई के पक्ष में विरोधियों पर इमोशनल अत्याचार कर रही हैं।
जहर की राजनीति
कहते हैं काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती यहां तो फिर भी कई बार चढ़ चुकी है। देश के राजनेताओं ने देश की जनता को अपने हाल पर भी रहने लायक नहीं छोड़ा। 21वीं सदी की सियासत से तो साठ साल पहले की सियासत ही अच्छी है। फिलहाल की राजनीति तो ऐसी नजर आने लगी है कि सांप्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता की जंग में तो यह पहचानना ही मुश्किल हो गया है कि कौन धर्मनिरपेक्ष और कौन सांप्रदायिक है। हाल ही में तोगड़िया ने मुसलमानो की सम्पत्ति पर कब्जा करने का बयान दिया तो मोदी फोबिया ने इस तबके की नींद ही हराम कर दी। ऐसा ही एक बयान का दावा धर्मनिरपेक्ष और सांप्रदायिक से कोसो दूर होने का दावा करने वाली केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की शाजिया इल्मी ने मुस्लिमों को कम्युनल होने का पाठ पढ़ाने की कोशिक की है, जो ऐसे में तोगड़िया या इल्मी के बयानों में क्या फर्क रह गया और अलग तरह की राजनीति करने वाली आप कैसे कह पाएगी कि वह अन्य दलों से अलग है। सवाल यही है कि हमाम में सब नंगे हैं, क्योंकि लहर और जहर की राजनीति में जनता ही गेंहू के साथ घुन की तरह पिसती है।
नहीं गली दाल
देवरिया लोकसभा सीट से कलराज मिर्शा को टिकट मिलने के कारण बगावत की राह धरते धरते रह गए उत्तर प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही का हृदय परिवर्तन हो गया है। वह आजकल अपने साथियों से ज्यादा विरोधियों के घर जाकर कलराज मिर्शा के लिए वोट की अपील कर रहे हैं। उनका यह बदला रूख देख के कलराज की कोर टीम के सदस्य हैरान। कि कहां, कल तक तो शाही जी ने मुर्दाबाद के नारे लगवाए ,पुतला दहन कराए और यकायक इतना सर्मपण भाव क्यों। फिर क्या शुरु हो गई पड़ताल। जो बात सामने आई तो पता चला कि शाही जी भीतर ही भीतर सपा से टांका जोड़ रहे थे। किंतु बात नही बन पाई। शाही के कुछ व्यापारी सर्मथक भी हवा का रूख देखकर निकल लिए। उन्होंने अपने कुछ खासमखास सर्मथकों को घर बुला उनकी राय ली। क्या किया जाए। शाही को उनके सर्मथकों ने कुछ गंभीर सलाह दी, जो जंच गई। उसके बाद से ही शाही जी और उनके सर्मथक घूम घूमकर ‘अच्छे दिन आने वाले है’ नारा लगा रहे हैं। शाही को जानने वालों ने कलराज को सलाह दी है कि.. संभल कर चलने का असल वक्त आ गया है। चर्चा है कि कलराज ने भी मेहनत तेज कर दी है।
इमोशनल अत्याचार
देश की राजनीति में इस लोकसभा चुनाव से पहले कभी ऐसे बेतुके बोल नहीं देखे, जिन्हें सुनकर जब बेतुके बोल अपनी तरफ मुड़े तो मां व भाई के चुनाव प्रचार में प्रियंका गांधी के अपने पति राबर्ट वाड्रा पर लगे आरोपों से ऐसा भावुकता का बयान आया कि विरोधी दल भाजपा भी नरम पड़ती नजर आई। लेकिन प्रियंका का यह बदजुबानी करने वालों को नसीहत थी या भावात्मक अत्याचार, क्योंकि उनको यह भी समझना चाहिए कि उनकी मां सोनिया गांधी ने ही मोदी को मौत का सौदागर कहकर इस बेतुके बोल की शुरुआत की थी, जिसे भाई राहुल ने जाने क्या-क्या मॉडल की संज्ञा देकर बुलंदियों तक पहुंचा रहे हैं। अब जब ये बेतुके बोल खुद पर भारी पड़ने लगे तो भावुकता का चोला सामने आ गया, लेकिन सियासत की गलियों में तो अब यही चर्चा आम हो रही है कि चरम पर पहुंची बदजुबानी के चलते प्रियंका मां व भाई के पक्ष में विरोधियों पर इमोशनल अत्याचार कर रही हैं।
जहर की राजनीति
कहते हैं काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती यहां तो फिर भी कई बार चढ़ चुकी है। देश के राजनेताओं ने देश की जनता को अपने हाल पर भी रहने लायक नहीं छोड़ा। 21वीं सदी की सियासत से तो साठ साल पहले की सियासत ही अच्छी है। फिलहाल की राजनीति तो ऐसी नजर आने लगी है कि सांप्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता की जंग में तो यह पहचानना ही मुश्किल हो गया है कि कौन धर्मनिरपेक्ष और कौन सांप्रदायिक है। हाल ही में तोगड़िया ने मुसलमानो की सम्पत्ति पर कब्जा करने का बयान दिया तो मोदी फोबिया ने इस तबके की नींद ही हराम कर दी। ऐसा ही एक बयान का दावा धर्मनिरपेक्ष और सांप्रदायिक से कोसो दूर होने का दावा करने वाली केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की शाजिया इल्मी ने मुस्लिमों को कम्युनल होने का पाठ पढ़ाने की कोशिक की है, जो ऐसे में तोगड़िया या इल्मी के बयानों में क्या फर्क रह गया और अलग तरह की राजनीति करने वाली आप कैसे कह पाएगी कि वह अन्य दलों से अलग है। सवाल यही है कि हमाम में सब नंगे हैं, क्योंकि लहर और जहर की राजनीति में जनता ही गेंहू के साथ घुन की तरह पिसती है।
नहीं गली दाल
देवरिया लोकसभा सीट से कलराज मिर्शा को टिकट मिलने के कारण बगावत की राह धरते धरते रह गए उत्तर प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही का हृदय परिवर्तन हो गया है। वह आजकल अपने साथियों से ज्यादा विरोधियों के घर जाकर कलराज मिर्शा के लिए वोट की अपील कर रहे हैं। उनका यह बदला रूख देख के कलराज की कोर टीम के सदस्य हैरान। कि कहां, कल तक तो शाही जी ने मुर्दाबाद के नारे लगवाए ,पुतला दहन कराए और यकायक इतना सर्मपण भाव क्यों। फिर क्या शुरु हो गई पड़ताल। जो बात सामने आई तो पता चला कि शाही जी भीतर ही भीतर सपा से टांका जोड़ रहे थे। किंतु बात नही बन पाई। शाही के कुछ व्यापारी सर्मथक भी हवा का रूख देखकर निकल लिए। उन्होंने अपने कुछ खासमखास सर्मथकों को घर बुला उनकी राय ली। क्या किया जाए। शाही को उनके सर्मथकों ने कुछ गंभीर सलाह दी, जो जंच गई। उसके बाद से ही शाही जी और उनके सर्मथक घूम घूमकर ‘अच्छे दिन आने वाले है’ नारा लगा रहे हैं। शाही को जानने वालों ने कलराज को सलाह दी है कि.. संभल कर चलने का असल वक्त आ गया है। चर्चा है कि कलराज ने भी मेहनत तेज कर दी है।
27Apr-2014
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