शनिवार, 19 अप्रैल 2014

हॉट सीट: फतेहपुर सीकरी- मोदी की हवा में अमर सिंह की पगड़ी का सवाल!

सीमा उपाध्याय की राह हुई कठिन
आगरा से लौटकर ओ.पी. पाल

मुगल सम्राट अकबर व राणा सांगा की कहानी व कृतियों व अपनी ऐतहासिक धरोहरों के इतिहास को समेटे फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट पर सियासी सूरमाओं की जंग में रालोद-कांग्रेस गठबंधन में अमर सिंह, भाजपा के बाबूलाल चौधरी, सपा की रानी पक्षलिका सिंह के सामने मौजूदा सांसद सीमा उपाध्याय को बसपा के टिकट पर इस बार कड़ी चुनौती मिल रही है। इस सीट पर रालोद प्रमुख अजित सिंह व फिल्म स्टार राजबब्बर की साख भी के कारणों से दांव पर है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आगरा जिले की जाट व राजपूत बाहुल्य फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट पर 18 साल से राज्यसभा सांसद अमर सिंह पहली बार वाया जनता दरबार लोकसभा में जाने की हसरत पाले आए हैं। जो इस ऐतिहासिक फतेहपुर सीकरी लोकसभा क्षेत्र से रालोद-कांग्रेस गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी हैं। उनके सामने बसपा से मौजूदा सांसद सीमा उपाध्याय, भाजपा से पूर्व मंत्री चौ. बाबूलाल हैं, तो सपा से कैबिनेट मंत्री अरिदमन सिंह की पत्नी पक्षालिका सिंह चुनावी मैदान में हैं। अपने बेजोड़ मैनेजमेंट के साथ मैदान में उतरे अमर सिंह का मुकाबला भाजपा की मोदी लहर और बसपा के वोट बैंक से है, तो उनके लिए सबसे रोचक एपीसोड उस सपा से शुरू होगा, जिसे कभी वह मुखिया मुलायम सिंह के साथ मिल कर चलाया करते थे। ऐसे में जगजाहिर है कि अमर सिंह के लिए रालोद प्रमुख अजित सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है, तो वहीं भले ही सपा में अमर सिंह के साथ मतभेद के चलते फिल्म स्टार राज बब्बर को 2007 में सपा त्यागकर कांग्रेस का हाथ थामना पड़ा और कांग्रेस को पिछले चुनाव में फिरोजाबाद सीट को सपा के जबड़े से निकालकर कांग्रेस की झोली में डाली है। इस बार चूंकि अमर सिंह रालोद-कांग्रेस के प्रत्याशी हैं तो सभी मतभेद भूलकर अमर सिंह की प्रतिष्ठा के लिए राज बब्बर के दमखम की भी अग्नि परीक्षा होनी है। दूसरा कारण यह भी है कि इसी सीट से पिछले चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर राजबब्बर बसपा की सीमा उपाध्याय से मामूली मतों के अंतर से मात खा गये थे तो इस बार उस हार के बदले को चूकता करने की भी फिराक में हैं। वैसे भी आगरा मंडल में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने स्टार प्रचारक के रूप में राज बब्बर को पूरी ताकत झोंकने का जिम्मा सौंपा हुआ है। दरअसल नए परिसीमन के बाद सृजित फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट पर चुनावी समीकरण को लेकर सभी राजनीतिक दलों के पसीने छूटे हुए हैं। सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के सामने चिंता इस बात की है कि बदले हालात में चुनावी मैदान में खडे प्रत्याशी जातीय गणित के हिसाब से अपना दांव लगाकर कैसे सीट हासिल करें। क्षेत्र का भूगोल बदलने से किस बिरादरी के कितने वोट किस सीट पर निर्णायक होंगे यह एक बड़ी दुविधा बनी हुई है। फतेहपुर सीकरी, बाह, खेरागढ़ विधानसभा सीट से रालोद प्रत्याशी कई बार जीत का परचम लहरा चुके हैं, इसलिए भी रालोद के अमर सिंह लोकसभा में दस्तक देने की उम्मीद से अपनी प्रतिष्ठा दांव
पर लगाए हुए हैं।
सियासी मिजाज
जाट बाहुल्य फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट में शामिल आगरा ग्रामीण, फतेहपुर सीकरी, खेरगढ़, फतेहाबाद व बाह विधानभाओं पर नजर डाले तो इनमें चार पर बसपा और एक पर सपा का विधायक है। फतेहपुर सीकरी सीट पर पिछले चुनाव में भाजपा तीसरे नंबर पर रही थी, जहां भाजपा के टिकट पर सपा सरकार में वर्तमान केबिनेट मंत्री अरिदमन सिंह चुनाव लड़े थे। इस बार भाजपा ने जाट, ठाकुर, ब्राह्मण और गुर्जर के जातिगत समीकरण को साधने की रणनीति के तहत बाबूलाल चौधरी पर दांव आजमाया है। सबसे ज्यादा जाट मतदाता फतेहपुर सीकरी और आगरा ग्रामीण के दयालबाग विधानसभा सीट पर ही हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक मोदी मौजिक में इस बार बसपा की सीमा उपाध्याय के लिए यहां जीत की राह आसान नहीं होगी। स्थानीय लोगो की माने तो इस बार सियासत की जंग भाजपा के बाबूलाल चौधरी और रालोद के अमर सिंह के बीच होगी, जिसमें भाजपा के प्रत्याशी को मोदी की लहर तो अमर सिंह को अपने कद और ठाकुरो और जाटों के परम्परागत वोटो का लाभ मिलने की संभावना है।
रणभूमि बनाने की होड़
फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट को अपनी रणभूमि बनाने में एक नहीं चौदह दल चुनावी मैदान में हैं। भाजपा, सपा, बसपा, रालोद-कांग्रेस के अलावा आप, लोकदल, गरीब आदमी पार्टी, राकांपा, रासद, पीस पार्टी जैसे छोटे-बड़े दल समेत इस सीट पर 28 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिनमें आधे यानि 14 निर्दलीय प्रत्यशी अपनी छवि व जातीय समीकरण की चौसर पर हैं। इनके सामने इस सीट पर 15.54 लाख मतदाताओं का जाल है, जिसमें 6.90 लाख से ज्यादा महिलाएं निर्णायक साबित होंगी।
बुलंद दरवाजा
मुगल बादशाह बाबर ने राणा सांगा को सीकरी नामक स्थान पर हराया था और फतेहपुर सीकरी का निर्माण महान मुगल सम्राट अकबर ने कराया था। एक सफल राजा होने के साथ-साथ वह कलाप्रेमी भी था। फतेहपुर सीकरी हिंदू और मुस्लिम वास्तुशिल्प के मिश्रण का सबसे अच्छा उदाहरण है। फतेहपुर सीकरी मस्जिद के बारे में कहा जाता है कि यह मक्का की मस्जिद की नकल है और इसके डिजाइन हिंदू और पारसी वास्तुशिल्प से लिए गए हैं। मस्जिद का प्रवेश द्वार 54 मीटर ऊँचा बुलंद दरवाजा है, जिसका निर्माण 1570 ई. में किया गया था। मस्जिद के उत्तर में शेख सलीम चिश्ती की दरगाह है जहाँ नि:संतान महिलाएं दुआ मांगने आती हैं।
19Apr-2014

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