सोमवार, 7 अप्रैल 2014

हॉट सीट-मेरठ: नगमा के ग्लैमर में उलझे सियासी समीकरण!

भाजपा को सीट बचाने और कांग्रेस वापसी करने को बेकरार
ओ.पी.पाल

देश की आजादी की क्रांति के खास इतिहास को समेटे मेरठ जिले की मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत की धुरी मानी जाती है, जहां इस बार लोकसभा चुनाव की पटरी पर दौड़ रही सियासत कांग्रेस की प्रत्याशी फिल्म अभिनेत्री नगमा के ग्लैमर में उलझी हुई है। कांग्रेस के इस दावं को उलटने के लिए भाजपा कांग्रेस विरोधी लहर में इस ग्लैमर के तड़के के बावजूद मोदी मौजिक के सहारे इस सीट पर अपने कब्जे को बरकरार करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। यह भी सच है कि दंगों के कारण बिगड़ा सियासी समीकरण सभी राजनीतिक दलों के लिए इस सीट पर किसी अबूझ पहेली से कम नहीं हैं।
मेरठ की धरती से 1857 में अंग्रेजों की हकूमत के खिलाफ उठी क्रांति के निशां आज भी इतिहास के गवाह हैं जहां धर्म और जातिवाद की सियासत में बुनियादी मुद्दों को हाशिए पर पहुंचा दिया गया। 16वीं लोकसभा सीट पर दस अप्रैल को होने वाले चुनाव में भाजपा ने राजेन्द्र अग्रवाल को फिर से सीट पर कब्जा बरकरार रखने के लिए सियासी महासंग्राम में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट को भाजपा के कब्जे से मुक्त कराने की रणनीति में पैराशूट प्रत्याशी के रूप में फिल्म अभिनेत्री नगमा पर एक ग्लैमर का दांव खेला है। 16वीं लोकसभा के लिए हो रही सियासत की इस जंग में वैसे तो 17 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, लेकिन रालोद वोट बैंक के भरोसे कांग्रेस नगमा के नाम पर भाजपा को पटखनी देने के प्रयास में है। कांग्रेस की नजरे वर्ष 1999 के चुनाव के इतिहास को दोहराने पर है जब पैराशूट प्रत्याशी अवतार भड़ाना को इस सीट से जीताकर भाजपा के विजय रथ को रोका था। जबकि सत्तारूढ़ दल सपा ने इस मुकाबले में मेरठ के विधायक एवं राज्य में मंत्री शाहिद मंजूर की प्रतिष्ठा को दावं पर लगाया है। जबकि बसपा प्रत्याशी के रूप में शाहिद अखलाख भी बिगड़े सियासी समीकरणों के कारण अपनी ताल ठोक रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी नगमा के ग्लैमर ने इस सीट की सियासी जंग को दिलचस्प बना दिया है, लेकिन मुजफ्फरनगर व आसपास के दंगों के कारण बिगड़े राजनीतिक समीकरणों ने सभी दलों की नींद हराम कर रखी है। जैसा कि इस बार मतदाताओं की बढ़ती संख्या और रूझान से सर्वाधिक मतदान के कयास लगाए जा रहे हैं, तो उसमें भाजपा को राजनीतिक लाभ नजर आ रहा है। इस वजह की पृष्ठभूमि में झांके तो मुजफ्फरनगर और आसपास के जनपदों में हुई दंगे और भाजपा के पीएम उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के फैक्टर से यह संसदीय क्षेत्र भी अछूता नहीं है। कमाबेश इस बार सभी प्रत्याशी मतदाताओं से मुद्दों के आधार पर वोट किये जाने को प्रोरित करने का दम तो भर रहे हैं, लेकिन सियासी तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि मतदाताओं का रुझान अपने पक्ष में करने की राह पर जातिवाद को सियासी हथियार बनाने से को परहेज करता नजर नहीं आ रहा है।
कांग्रेस वर्चस्व की लड़ाई
मेरठ लोकसभा सीट पर अभी तक हुए संसदीय चुनाव में सबसे ज्यादा कब्जा कांग्रेस का रहा है, जिनमें दो बार कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री श्रीमती मोहसिना किदवई लगातार वर्ष 1980 और 1984 में निर्वाचित हो चुकी हैं। आजादी के बाद पहले तीन चुनावों में शाहनवाज खान लोकसभा चुनाव जीतने के बाद 1971 में भी लोकसभा पहुंचे थे। आपातकाल के बाद 1977 के चुनाव में कांग्रेस के वर्चस्व को चोट पहुंची थी, जब यहां जनता पार्टी के कैलाश प्रकाश ने परचम लहराया था। इस दल से हरीश पाल ने1989 और बाद में ठाकुर अमर पाल ने लगातार 1991, 1996 व 1998 में भाजपा की जीत के लिए तिकड़ी बनाने का इतिहास बनाया। 2004 के चुनाव में हाजी शाहिद अखलाख ने बसपा का खाता खोला, लेकिन पिछले यानि वर्ष 2009 के चुनाव में भाजपा के राजेन्द्र गोयल ने भाजपा की जमीन को वापस लौटाया, जिसके सामने इसे बरकरार रखने की चुनौती है।
किसी ने नहीं किये वादे पूरे
भौगोलिक दृष्टि से भी मेरठ की धरती खाद्य उत्पादन में एक पहचान है, जहां स्पोर्ट्स गुड्स, कैंची और बैंड बाजा उद्योग ने भी मेरठ को एक नई पहचान दी है। लेकिन चुनावी महासंग्राम में हर सियासी दल मतदाताओं को इलाके के विकास कराने के वादे करते रहे हैं, लेकिन ज्यादातर वादें कोसो दूर ही नजर आए। राजनीतिक जानकारों की माने तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की बैंच, मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे, किसानों का बकाया गन्ना भुगतान, बिजली संकट सहित अन्य मुद्दों के अलावा देश के पूर्व प्रधानमंत्री के पैतृक गांव नूरपुर-मढैया गांव में खाद्य प्रसंस्करण केन्द्र व मेगा फूड पार्क जैसे वादे भी अभी तक मंजिल तक नहीं पहुंच पाए हैं। इस सीट पर तीन प्रत्याशी भाजपा के राजेन्द्र अग्रवाल, सपा शाहिद मंजूर व बसपा के शाहिद अखलाक पिछले चुनाव में सियासत की जंग में थे, जो फिर वादों की दुहाई देकर ताल ठोक रहे हैं।
07Apr-2014

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