सोमवार, 7 अप्रैल 2014

स्टेट रिपोर्ट:-दिल्ली में दिग्गजों के बीच कांटे की जंग

सियासी लड़ाई में निर्णायक रहेगी युवा वोटरों की भूमिका
हरिभूमि ब्यूरो 
केंद में किस दल की सरकार बनेगी, इसका फैसला कुछ सालों से दिल्ली करती रही है। पिछले तीन लोकसभा चुनाव इसके गवाह हैं। लेकिन क्या इस बार वह अपना इतिहास दुहराएगी? यहां आम आदमी पार्टी का राजनीतिक भविष्य दांव पर है, तो भाजपा को वापसी का इंतजार है। कांग्रेस की चुनौती साख बचाने की है।
रा ष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सात लोकसभा सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना बनी हुई है, जिसमें दिल्ली के मतदाताओं का 35 प्रतिशत वोटर 18 से 30 वर्ष आयु के हैं, जो लोकसभा चुनावों के इस सियासी जंग में निर्णायक भूमिका की स्थिति में हैं। इनमें करीब 3.37 लाख युवा तो पहली बार वोट की चोट मारने को आतुर है। दिल्ली में इस बार आम आदमी पार्टी भी भाजपा और कांग्रेस के मुकाबले को त्रिकोणीय बनाती दिख रही है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि लोस चुनाव में आप की लोकप्रियता में गिरावट आई है जिसके कारण पिछले साल दिल्ली विधानसभा के चुनावों में सबको चौंका देने वाले प्रदर्शन को दोहराना आप के लिए आसान नहीं रह गया है। इसके लिए जिम्मेदार स्वयं आप के दिल्ली सरकार छोड़कर भागना माना जा रहा है। लेकिन दिल्ली में आप की सियासी जमीन कुछ कमजोर ही सही, लेकिन इसके चुनावी मुकाबले में बने रहने की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता। आप की 49 दिन की दिल्ली सरकार ने बिजली व पानी को लेकर जो फैसले किये थे उनका कुछ इलाकों में प्रभाव सामने आया है, जिसके कारण दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी इस प्रभाव को निष्प्रभावी करने की रणनीति में सियासत करने में पीछे नहीं हैं।
दिल्ली की सभी सीटों पर भाजपा, कांग्रेस, आप व बसपा ने अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारें हैं। दिल्ली में 12 महिला प्रत्याशियों समेत कुल 150 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। विश्लेषकों की मानें तो दिल्ली में 56.58 लाख महिला वोटरों समेत 1.27 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं का चक्रव्यूह बना हुआ है, जिसमें करीब 35 प्रतिशत यानि 43.68 लाख से ज्यादा वोटर 18 से 30 साल की आयु वर्ग का है, जिसमें 39 प्रतिशत युवा महिला शामिल हैं। इन युवा वोटरों में 18 से 25 साल तक के 23.12 लाख वोटर हैं। दिल्ली में 3.37 लाख से ज्यादा ऐसे युवा वोटर हैं जो पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। माना जा रहा है कि इस सियासत की जंग में नेताओं की तकदीर लिखने में युवा वोटरों की भूमिका को कहीं तक भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। राजधानी में किन्नर मतदाताओं की संख्या 839 व 4989 सर्विस मतदाताओं के अलावा 13 प्रवासी भारतीयों को वोट करने का अधिकार होगा।
इनकी प्रतिष्ठा दांव पर
दिल्ली में चांदनी चौक लोस सीट पर केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, दिल्ली के पूर्व मंत्री डा. हर्षवर्धन के साथ ही टीवी पत्रकार रहे आशुतोष की प्रतिष्ठा दांव पर है। नई दिल्ली सीट केंद्रीय मंत्री अजय माकन और पत्रकार आशीष खेतान के लिए नाक का सवाल बन गई है, जहां से आप के केजरीवाल ने दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हराकर विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। उत्तर पश्चिम सुरक्षित सीट पर केंद्रीय मंत्री कृष्णा तीरथ और आप की अल्पकालीन सरकार में मंत्री रही राखी बिड़लान ने प्रतिष्ठा को दांव पर लगा रखा है। नई दिल्ली सीट पर अजय माकन अपनी छवि के बल पर चुनाव वोट मांग रहे हैं तो चांदनी चौक में कपिल सिब्बल और उत्तर पश्चिम में कृष्णा तीरथ को विरोध का सामना करना पड़ रहा है जिन पर पिछला चुनाव जीत कर क्षेत्र को नजरअंदाज करने का आरोप प्रतिद्वंद्वी मुद्दा बनाने से नहीं चूक रहे हैं।
इनके बीच मुकाबला
चांदनी चौक : कांग्रेस के कपिल सिब्बल, भाजपा के डा. हर्षवर्धन, आप के आशुतोष तथा बसपा के नरेन्द्र पांडे।
उत्तर पूर्वी दिल्ली : कांग्रेस के जेपी अग्रवाल, भाजपा के मनोज तिवारी और आप के प्रो. आनंद कुमार।
पूर्वी दिल्ली : कांग्रेस के संदीप दीक्षित, भाजपा के महेश गिरी, आप के राजमोहन गांधी और बसपा के शकील सैफी।
नई दिल्ली : कांग्रेस के अजय माकन, भाजपा की मीनाक्षी लेखी, आप के आशीष खेतान। 
उत्तर पश्चिम दिल्ली : कांग्रेस की केंद्रीय मंत्री कृष्णा तीरथ, भाजपा के उदित राज, आप की राखी बिड़लान व बसपा के बसंत पंवार।
पश्चिम दिल्ली : कांग्रेस के महाबल मिर्श, भाजपा के प्रवेश वर्मा और आप के जरनैल सिंह।
दक्षिणी दिल्ली: कांग्रेस के रमेश कुमार, भाजपा के रमेश विधूड़ी और आप के कर्नल देवेन्द्र सहरावत।
अहम मुद्दे -भ्रष्टाचार, बिजली बिल, पेयजल आपूर्ति, कानून व्यवस्था, विकास, पर्यावरण, महंगाई, पूर्ण राज्य का दर्जा, पुलिस पर नियंत्रण, सर्वसुलभ शिक्षा और स्वास्थ्य ।
07Apr-2014
 

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