सोमवार, 28 अप्रैल 2014

हॉट सीट: वडोदरा- भाजपाई गढ़ में नमो को टक्कर देना बेमानी!

पहले ही राज्यसभा पहुंचे कांग्रेस प्रत्याशी मधुसूदन मिस्त्री
ओ.पी.पाल. वडोदरा।

सोलहवीं लोकसभा के लिए हो रही सियासी जंग में पूरे देश की नजरे बनारस की तरह संस्कार नगरी नामक शहर के रूप में पहचानी जाने वाली वडोदरा लोकसभा सीट पर इसलिए भी टिकी हुई है कि इन सीटों पर भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी चुनाव लड़ रहे हैं। मोदी के गृह राज्य और भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली वडोदरा सीट पर दिलचस्प चुनावी मुकाबले में कांग्रेस के राष्टीय महासचिव मधुसूदन मिस्त्री के लिए नमो को टक्कर देना इतना आसान नहीं है, जिसकी कांग्रेस उम्मीद पाले बैठी है।
मराठा वंश गायकवाड़ की रियासत रही वडोदरा लोकसभा सीट पर अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ रहे राज्य के मुख्यमंत्री भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की सियासी राह हालांकि उनके अपने गृहराज्य में बेहद आसान नजर आ रही है, लेकिन कांग्रेस ने मोदी को चुनौती देने के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव मधुसूदन मिस्त्री के आने से सियासी जंग दिलचस्प तो हो गई है, लेकिन नमो को सियासी टक्कर देना मिस्त्री या अन्य किसी दल के प्रत्याशी के लिए बेमाने नजर आ रही है। इसका कारण साफ है कि वडोदरा लोकसभा में शामिल सात विधानसभा सीटों पर कांग्रेस कहीं नहीं है, बल्कि छह सीटों पर भाजपा के ही विधायक काबिज हैं और एक सीट सावली पर भाजपा निर्दलीय विधायक ने जीत हासिल की थी। मोदी को चुनौती देने में शायद कांग्रेस भी पहले ही धरातल पर है, जिसने मोदी के सामने नरेन्द्र रावत की जगह मजबूत प्रत्याशी बताकर मधुसूदन मिस्त्री को रणभूमि में उतारा है, लेकिन लोकसभा चुनाव होने से पहले ही कांग्रेस मधुसूदन को गुजरात से ही राज्यसभा का टिकट देकर संसद में दाखिल करा चुकी है, जिन्होंने सदन की सदस्यता की शपथ भी ग्रहण कर ली है। ऐसे में इस सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी के लिए इस सीट पर कुछ खोने को नहीं है। इसलिए मोदी के बड़े कद तथा उनके भाजपा का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार होने के साथ-साथ् गुजराती मूल के कारण भी इस सीट पर उनके पक्ष में भावनात्मक कार्ड जैसी बातों ने उनकी राह और भी आसान बनाने का काम किया है।
सियासी मिजाज
गुजरात के अहमदाबाद व सूरत के बाद सबसे बड़ी जनसंख्या वाले वडोदरा शहर में चोतरफा नमो-नमो है। यह वही लोकसभा सीट है जहां 1991 के चुनाव में रामानंद सागर के धारावाहिक रामायण में सीता का किरदार निभाने वाली दीपिका चिखलिया ने जीत का स्वाद चखकर लोकसभा में दस्तक दी थी। वैसे भी पिछले करीब दो दशक से इस सीट पर भाजपा का ही कब्जा है। हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी मधूसूदन मिस्त्री की पृष्टभूमि भी मोदी की ही तरह आरएसएस की रही है। गुजरात में 1995 में जब भाजपा की सरकार बनी उस समय तक मिस्त्री भी शंकर सिंह वाघेला के साथ आरएसएस कार्यकर्ता ही थे,लेकिन शंकर सिंह वाघेला के भाजपा से बगावत करके राष्ट्रीय जनता पार्टी के नाम से पार्टी बनाई तो मधूसूदन मिस्त्री भी उसमें शामिल हो गए। बाद में इस पार्टी का 1999 में कांग्रेस में विलय हो गया। वैसे भी मिस्त्री गुजरात के आदिवादी नेताओं के रूप में शुमार है और दो बार साबरकांठा सीट से सांसद रह चुके हैं।
सियासी समीकरण
गुजरात की सात विधानसभाओं सावली, वाघोडिया, वडोदरा शहर, सयाजीगंज, अकोटा, रावपुरा व मंजालपुर से सृजित वडोदरा लोकसभा सीट पर 15.70 लाख से ज्यादा मतदाताओं का चक्रव्यूह बना हुआ है, जिसमें करीब 7.34 लाख महिलाएं भी निर्णायक भूमिका के लिए तैयार हैं। मतदाताओं के इस जाल में पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति के मिला कर लगभग 4. 47 लाख मतदाता हैं। इनके अलावा  क्षत्रिय करीब 2.33 लाख, ब्राह्मण 1.93 लाख, पटेल 1. 69 लाख तथा मुस्लिम करीब 1.58 लाख बताए जा रहे हैं। यहीं नहीं वडोदरा सीट पर गायकवाड़ राज होने के कारण गुजराती के अलावा मराठी और हिंदीभाषी भी अच्छी तादाद में है। इन मतदाताओं को भेदने के लिए भाजपा के नरेन्द्र मोदी व कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री, आप के सुनील कुलकर्णी के अलावा सपा व बसपा समेत कुल आठ प्रत्याशी सियासी रणभूमि में है।
लोकसभा का सफरनामा
15वीं लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा के बालकृष्ण खांडेकर शुक्ला ने 57.39 प्रतिशत मत लेकर कांग्रेस के सत्यजीत सिंह गायकवाड़ को पटखनी दी थी, जो इस सीट से 1996 में कांग्रेस के टिकट पर ही सांसद रह चुके हैं, लेकिन उसके बाद 1998, 1999 व 2004 में जयबेन ठक्कर ने लगातार जीत हासिल कर भाजपा की तिकड़ी बनाई थी। इस सीट पर पहले तीन चुनाव में कांग्रेस का बोलबाला रहा, जिसमें 1957,1962, 1971व 1977 में फतेहसिंह गायकवाड़ ने कांग्रेस का झंडा लहराया है। आपातकाल में भी कांग्रेस विरोधी लहर का यहां कोई असर नहीं था, लेकिन मंडल-कमंडल के दौर में 1989 में यहां जनता दल का परचम लहराया, तो उसके बाद भाजपा ने रामायण की सीता दीपिका चखलिया ने भाजपा को पहली जीत दिलाई थी। इस बार कांग्रेस मधूसूदन मिस्त्री के सहारे इस सीट पर वापसी की उम्मीद पाले हुए है, जो इतनी आसान नजर नहीं आ रही है।
28Apr-2014

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