सोमवार, 14 अप्रैल 2014

बंगलूरू दीक्षिण सीट: निलकेणी के आधार पर हावी अनंत की राजनीति!

अनंत कुमार  की जीत का छक्का रोकने की जुगत में कांग्रेस
ओ.पी.पाल
कर्नाटक की बंगलूरू दक्षिण लोकसभा सीट पर इस बार कांग्रेस ने भाजपा के तिस्मिल को तोड़ने के लिए कांग्रेस ने यूपीए सरकार की आधार कार्ड योजना की जिम्मेदारी निभाने वाले इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलकेणी को सियासत के मैदान में उतारा है, जहां आईटी के हब में कांग्रेस के कारपोरेट फार्मूले पर राजनीति के खिलाड़ी अनंत कुमार भाजपा के प्रत्याशी के रूप में अपनी सीट को बचाने के लिए पूरी तरह से हावी हैं।
सोलहवीं लोकसभा के लिए कर्नाटक की इस अहम् संसदीय सीट वैसे तो नब्बे के दशक से भाजपा के कब्जे में हैं, जहां भाजपा के उम्मीदवार अनंत कुमार मंजे और घुटे हुए राजनीज्ञों की फेहरिस्त में शामिल हैं और पांच बार जीत कर लोकसभा में बने रहते हुए जीत का छक्का मारने के इरादे से सियासत की जंग में हैं। कांग्रेस ने राजनीतिक मैदान की सीमा पर अनंत की सियासी बैटिंग में जीत के छक्के को रोकने के लिए कांग्रेस ने नये खिलाड़ी के रूप में इंफोसिस के मुख्यकार्यकारी अधिकरी रहे नंदन नीलेकणी पर दांव खेला। भाजपा प्रत्याशी अनंत कुमार के विजयी रथ को रोकने के लिए कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में राजनीति की नई पारी खेलने आए नंदन नीलकेणी की पहचान ‘आधार’ के रूप में सामने उस समय आई, जब कांग्रेसनीत यूपीए-2 ने उन्हें यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी आॅफ इंडिया के अध्यक्ष बनाकर अपनी पहचान पत्र आधार कार्ड बनाने वाली योजना की जिम्मेदारी सौंपी। भाजपा के वर्चस्व को खत्म करने की रणनीति के तहत कांग्रेस प्रत्याशी नंदन नीलेकणी के सामने यह एक बड़ी चुनौती होगी कि बंगलूरू में आईटी का चेहरा बनकर जिस तरह से उन्होंने कारपोरेट स्टाइल का प्रतीक बनकर शौहरत लूटी, क्या वह राजनीति के क्षेत्र में अपनी पहचान को सिर चढ़ा पाएंगे। हालांकि इसमें कोई संदेह नहीं है कि कारपोरेट में नीलकेणी मौजूदा वक्त में एक बड़ा नाम है। इसलिए बंगलुरु दक्षिण लोकसभा सीट पर भाजपा के अनंत कुमार और कांग्रेस के नंदन नीलकेणी के बीच कांटे का मुकाबला होने की संभावनाओं पर सबकी नजरें लगी हुई हैं। इनके अलावा इस सीट पर वैसे तो 23 उम्मीदवार लोकसभा में दस्तक देने के लिए सियासी जंग का हिस्सा हैं।
वर्चस्व की जंग में कांग्रेस
कर्नाटक की बंगलूरू दक्षिण लोकसभा सीट के इतिहास पर नजर डालें तो कांग्रेस का सियासी प्रदर्शन भी कम नहीं रहा है, जिसनें कभी बंगलौर लोकसभा और कभी बंगलूरू दक्षिण के रूप में परिसीमित होती रही इस लोकसभा सीट पर आजादी के बाद शुरूआती पांच लोकसभा के चुनाव में सफल रही है। मुख्य रूप से मध्य और निम्न मध्यवर्गीय आबादी वाली इस सीट पर आपातकाल के बाद कांग्रेस की जीत का मिथक टूटा। मसलन 1977 के चुनाव में केएस हेगडे, 1980 में टीआर शामन्ना तथा 1984 में वीएस कृष्णा अय्यर ने जनता पार्टी के टिकट पर लगातार जीत हासिल कर कांग्रेस के वर्चस्व का सफाया किया। हालांकि 1989 के चुनाव में फिर कांग्रेस के आर गुंडुराव ने वापसी की, लेकिन उसके बाद 1991 के चुनाव में के.वेन गौडा ने भाजपा की जमीन तैयार की, जिसे उसके बाद हुए पांच चुनावों में अनंत कुमार कायम रखे हुए हैं। अब कांग्रेस इस वर्चस्व की जंग में टेक्नोक्रेट और ब्यूरोक्रेट रहे नीलेकणी के सहारे वापसी करने की जुगत में हैं। पिछला चुनाव भाजपा के अनंत कुमार ने 48.20 प्रतिशत मत हासिल करके कांग्रेस के कृष्णा वयरा गौडा को परास्त किया था।
प्रत्याशियों की है भरमार
कर्नाटक की आठ विधानसभा सीटों चिकपेट, विजयनगर,गोविंदराजनगर,पद्यनाभ ननगर, बीटीएम लेआउट, जयनगर, बासवानगुडी व बोम्मानहल्ली से मिलकर सृजित की गई इस लोकसभा की इस सीट पर भले ही भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर हो, लेकिन यहां हो रही सियासी जंग में भाजपा और कांग्रेस के अलावा बसपा, जद-एस, आप, सपा, आलइंडिया फारवर्ड ब्लाक, जदयू, बीआर अंबेडकर जनता पार्टी, पैरामिड पार्टी समेत 23 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिनके सामने करीब 20.31 लाख मतदाताओं का चक्रव्यूह भेदने के लिए है, जिसमें करीब 9.50 महिला मतदाताओं के निर्णायक जनादेश को भी नकारा नहीं जा सकता। इस सीट पर 17 अप्रैल को मतदान होना है।
14Apr-2014

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