सोमवार, 21 अप्रैल 2014

हॉट सीट: आगरा सीट पर नमो मैजिक करेगा कमाल!

ओ.पी. पाल. आगरा से 
विश्वप्रसिद्ध ताजनगरी के रूप में पहचाने जाने वाले शहर की आगरा लोकसभा सीट पर मोदी मैजिक के चलते भाजपा के लिए अपनी सीट को बचाने की दरकार होगी।   इस सीट पर कांग्रेस पिछले 34 साल से जीत का स्वाद नहीं चख पाई है, जिसने इस बार दलित वोट बैंक के भरोसे उपेन्द्र जाटव को भाजपा को चुनौती देने के लिए सियासत की जंग में उतारा है, जबकि बसपा अपने परंपरागत वोट बैंक को बचाने के प्रयास में है। सपा ने ऐनमौके पर महिला उम्मीदवार को जंग से हटाकर उसी बिरादरी के महाराज सिंह धनगर पर दांव खेला है। अब देखना है कि इस चतुष्कोणीय सियासी जंग में किसके सिर जीत का ताज बंधता है। आगरा लोकसभा सीट पर पिछला चुनाव भाजपा प्रत्याशी डा. रामशंकर कठेरिया ने बसपा के कुंवर चंद को पराजित करके जीता था और सपा के रामजीलाल 

ये है दलों की चिंता
इस सीट पर कांग्रेस पिछले 34 साल से जीत का स्वाद नहीं चख पाई है, जिसने इस बार दलित वोट बैंक के भरोसे उपेन्द्र जाटव को भाजपा को चुनौती देने के लिए सियासत की जंग में उतारा है, जबकि बसपा अपने परंपरागत वोट बैंक को बचाने के प्रयास में है। सपा ने ऐनमौके पर महिला उम्मीदवार को जंग से हटाकर उसी बिरादरी के महाराज सिंह धनगर पर दांव खेला है। अब देखना है कि इस चतुष्कोणीय सियासी जंग में किसके सिर जीत का ताज बंधता है। आगरा लोकसभा सीट पर पिछला चुनाव भाजपा प्रत्याशी डा. रामशंकर कठेरिया ने बसपा के कुंवर चंद को पराजित करके जीता था और सपा के रामजीलाल सुमन को तीसरे पायदान पर धकेल दिया था। यह सीट 1999 व 2004 के चुनाव में फिल्म अभिनेता राज निर्वाचन आयोग से लेकर राजनीतिक दलों की एक ही चिंता है कि मतदान प्रतिशत कैसे बढ़ाया जाए। आगरा लोकसभा सीट पर जनता पार्टी की लहर में कांग्रेस के प्रति आपातकाल के गुस्से वाले 1977 के चुनाव में 65.75 प्रतिशत मतदान का रिकार्ड अभी भी कायम है। इस चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ विरोधी लहर है, तो जिसे चुनाव आयोग के अभियान में इस बार इस रिकार्ड को ध्वस्त करने की दरकार होगी। उस समय बीएलडी के शम्भूनाथ चतुर्वेदी ने रिकार्ड 70 प्रतिशत वोट हासिल कर कांग्रेस के विजयी रथ को रोका था। 
प्रत्याशी व मतदाताओं का भ्रम
आगरा लोकसभा सीट नए परिसीमन के बाद जिस तरह से सृजित की गई है उसमें एटा जिले के निधौली कलां विकास खंड तमाम वोटरों व आगारा व एटा लोकसभा सीट के प्रत्याशियों के लिए भ्रमजाल बना हुआ है। यह सिर्फ इसलिए कि विकास खंड एक होने के बावजूद भी यहां के मतदाता दो सांसदों का चुनाव अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों के लिए करते हैं। ऐसे में प्रत्याशियों के प्रचार वाहन एक-दूसरे की सीमाओं में पहुंचकर अशिक्षित ग्रामीणों के लिए भ्रम पैदा कर देते हैं। 

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