हाईप्रोफाइल उम्मीदवारों के बीच कांग्रेस ने खेला ग्लैमर का खेल
ओ.पी.पाल
भाजपा
के सियासी गढ़ को तोड़ने के लिए कांग्रेस ने इस बार गाजियाबाद लोकसभा सीट पर
स्थानीय कांग्रेसी नेता को दरकिनार करके पैराशूट से अभिनेता राजबब्बर को
उम्मीदवार बनाकर ग्लैमर का जादू बिखेरने का दावं खेला है। वहीं भाजपा के
सामने अपने गढ़ को बचाने की चुनौती होगी। हालांकि इस सीट पर भाजपा, कांग्रेस
और आप के तीन हाई प्रोफाइल माने जा रहे उम्मीदवारों के बीच सियासी जंग
दिलचस्प होने की संभावना है। जबकि सपा और बसपा ने अपने परंपरागत वोट बैंक
की सोसल इंजीनियरिंग की पटरी पर सियासी रेल उतारी है।
गाजियाबाद लोकसभा सीट जनपद के विभाजन के कारण हमेशा भूगोल बदलती रही हैं।
सर्वाधिक मतदाताओं के हिसाब से देश के दूसरे पायदान और उत्तर प्रदेश में
सबसे ज्यादा मतदाताओं के चक्रव्यूह से घिरी इस सीट पर करीब 9.83 लाख महिला
वोटरों समेत कुल 22.64 लाख मतदाता हैं, इस बार चुनाव के नतीजों की दिशा तय
करेंगे। राष्टÑीय राजधानी दिल्ली से सटी और एनसीआर में शामिल गाजियाबाद
लोकसभा सीट इसलिए भी आम चुनाव के फोकस पर है कि यहां से रोजाना बड़ी संख्या
में रोजी-रोटी के लिए जनता दिल्ली में आवागमन करती है। 15वीं लोकसभा के लिए
हुए पिछले चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र में रालोद के गठबंधन में राजनाथ
सिंह ने 43.34 प्रतिशत वोट लेकर कांग्रेस के सुरेन्द्र गोयल को पटखनी दी
थी, लेकिन वे इस बार लखनऊ सीट पर जा धमके हैं। भाजपा ने इस सीट पर सेना के
पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह को इस सीट पर उतारा है, जहां इस बार कांग्रेस
ने रालोद गठबंधन के बीच फिरोजाबाद से सांसद एवं अभिनेता राजबब्बर को उसी
रणनीति के साथ उतारा है जैसे पिछले चुनाव में गठजोड़ की रणनीति में राजनाथ
बाजी मार गये थे। दिल्ली विधानसभा में चुनावी चमत्कार करने वाली आप ने भी
इन दोनों हाईप्रोफाइल उम्मीदवारों को चुनौती देने के लिए शाजिया इलमी को
टिकट देकर ताल ठोकी है। हाईप्रोफाइल उम्मीदवारों के रूप में गिने जा रहे इन
तीनों दलों के बीच सपा ने सूदन रावत और बसपा ने मुकुल उपाध्याय पर अपनी
सोसल इंजीनियरी के सहारे दावं खेला है। इस सीट पर भाजपा को अपने गढ़ को
बचाने की चुनौती है दस अप्रैल को होने वाले चुनाव में इस सीट पर वैसे तो 16
प्रत्याशी सियासी जंग में हैं, लेकिन दिलचस्प मुकाबला हाईप्रोफाइल
उम्मीदवारों के बीच ही माना जा रहा है
भाजपा का रहा दबदबा
लोकसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में आई
गाजियाबाद सीट पर अभी तक हुए दस लोकसभा चुनावों में से पांच बार भाजपा के
के कब्जे में रही गाजियाबाद लोकसभा सीट पर दो बार कांग्रेस, एक-एक बार
बीएलडी, जेएनपी व जनता दल के प्रत्याशी को सफलता मिली है। मेरठ से अलग होने
के बाद इस सीट पहला चुनाव 1977 में हुआ, जिसमें बीएलडी के कुंवर महमूद अली
खान को लोकसभा में जाने का मौका मिला। 1980 में जेएनपी के अनवर अहमद,1984
में कांग्रेस के केदारनाथ 1989 में मंडल-कमंडल की लहर में जनता दल के केसी
त्यागी लोकसभा चुनाव जीते। इसके बाद इसी जिले की राजनीति में दखल रखने वाले
रमेश चन्द्र तोमर भाजपा के टिकट पर लगातार चार बार लोकसभा में दाखिल हुए,
लेकिन 2004 के चुनाव में कांग्रेस के सुरेन्द्र कुमार गोयल चुनाव जीते। पिछले 2009 के चुनाव में फिर कांग्रेस ने सुरेन्द्र गोयल
पर दावं खेला, लेकिन भाजपा-रालोद गठजोड़ में भाजपा ने फिर इस सीट को अपने
कब्जे में कर लिया।
विभाजन ने बदला इतिहास
राजनीतिक दृष्टि से
गाजियाबाद लोकसभा सीट का इतिहास विचित्र ही रहा है। मसलन गत 14 नवंबर 1976
को मेरठ से अलग कर बनाए गए गाजियाबाद जिले का करीब इन पैंतीस सालों में कई
बार विभाजन हुआ। गाजियाबाद से ही नोएडा-गौत्तमबुद्धनगर और हापुड़ जिलों का
सृजन हुआ। इन विभाजन के बाद जिले की आबादी भी कम हुई है। इस कारण यह सीट
में जिले को गाजियाबाद और मोदीनगर दो तहसीलों में ही सिमेट दिया गया। 2008
के परिसीमन के बाद गाजियाबाद लोकसभा सीट में गढ़मुक्तेवर, हापुड़, धौलाना,
मुरादनगर, मोदीनगर, गाजियाबाद, साहिबाबाद और लोनी जैसी आठ विधानसभाएं शामिल
करके इसे देश की सबसे बड़ी संसदीय सीट बना दिया गया, लेकिन फिर हुए दूसरे
विभाजन में हापुड़ को अलग जनपद बनाने के बाद इसे पांच विधानसभा सीटों तक
सीमित किया गया, जिसमें गाजियाबाद के अलावा लोनी, मुरादनगर, साहिबाबाद व
धौलाना विधानसभा रह गई, बाकी मोदीनगर को बागपत और हापुड़ व गढ़मुक्तेश्वर को
अमरोहा और हापुड को मेरठ लोकसभा सीट में शामिल कर दिया गया।
जातिगत समीकरण
गाजियाबाद लोकसभा सीट पर राजनीतिक दलों ने जातिगत समीकरण
के रूप में ब्राह्मण 4.6, त्यागी 8.22, वैश्य 9.6, राजपूत 8.6, पंजाबी 4.0,
जाट 7.2,गुर्ज्जर 11.2, यादव 2, दलित 11.8, बाल्मिकी 2.2 के अलावा मुस्लिम
वर्ग की सभी जातियों को मुस्लिम 22.4 प्रतिशत और अन्य जातियों को 8.18
प्रतिशत के रूप में संजोया हुआ है। ज्यादातर दल इसी सोशल इंजीनियरिंग को
राजनीतिक गणित में इस्तेमाल करके गोटियां फेंकने में जुटी रही हैं।
05Apr-2014
jatigat samikaran apne man se likh diye
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