शनिवार, 31 दिसंबर 2016

सपा का महासंग्राम-2: चुनावी दंगल में अखिलेश का पलटा भारी!

आर-पार में बदला सपा कुनबे का ‘दंगल’
 ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव द्वारा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में फिर से सपा की सत्ता हासिल करने के इरादे से अपने पुत्र व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को नजरअंदाज करते हुए महाभारत-2 पेश किया है। राजनीतिकारों के मुताबिक सिर पर खड़े राज्य विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण को लेकर सपा कुनबे के इस आर-पार के दंगल में पुत्र अखिलेश व भाई रामगोपाल को पार्टी से बाहर करने का फैसला मुलायम सिंह यादव और पार्टी के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। सपा के दो फाड़ होने से सूबे की सियासत को लेकर जारी इस सियासी दंगल में अखिलेश यादव का ही पलड़ा भारी माना जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसके लिए सभी सियासी दल एक साल से ज्यादा समय से अपनी रणनीतियों के साथ तैयारियां कर रहे हैं, जिसमें सपा सरकार में मुख्यमंत्री के रूप में अखिलेश यादव ने भी जनता के हित में अनेक योजनाओं को पटरी पर उतारने में पूरी ताकत झोंकी हुई है, लेकिन पिछले चार माह से समाजवादी पार्टी की परिवारिक कलह सड़कों पर आना शुरू हुई तो सपा कुनबे में झोल शुरू हो गये। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव द्वारा दागियों के दल का विलय करना, अमर सिंह को पार्टी में वापस लेकर राज्यसभा भेजना और फिर अखिलेश यादव को सपा के यूपी प्रदेश के अध्यक्ष पद से हटाकर भाई शिवपाल यादव को सौंपना और अखिलेश द्वारा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन करने की इच्छा जैसे ऐसे कई कारण सपा कुनबे के महाभारत को सड़क तक ले आए। किसी तरह से मुलायम सिंह ने अपना फार्मूला सामने रखकर महाभारत के पहले एपिसोड का अंत कर दिया था, जिसमें अखिलेश का समर्थन करने पर प्रो. रामगोपाल को निष्कासन जैसी कार्रवाई से दो-चार होना पड़ा।
मुलायम पर भारी दंगल
दरअसल समाजवादी पार्टी में सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन जब सपा प्रदेशाध्यक्ष शिवपाल यादव ने 176 प्रत्याशियों की सूची सपा प्रमुख मुलायम सिंह को सौंपी तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी 403 प्रत्याशियों की सूची नेताजी को सौंपी और सभी को इस बात का एतबार था कि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव इन प्रत्याशियों की सूची पर अंतिम मुहर लगाएंगे और इसमें समाजवादी नीतियों में विश्वास रखने वालों का ही ऐलान होगा। लेकिन जैसे ही सपा प्रमुख की 325 प्रत्याशियों की सूची बाहर आई तो उसमें अखिलेश के तीन मंत्रियों, विधायकों और ज्यादातर समर्थकों के टिकट काटे जा चुके थे, जबकि शिवपाल यादव के सभी नामों को मंजूरी दी गई। यहीं से सपा कुनबे के महाभारत के दूसरे एपिसोड ने नया मोड़ ले लिया। सपा कुनबे के इस आर-पार का दंगल में यहां तक नौबत आई कि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने बेटे और सीएम अखिलेश के साथ उसकी हिमायती माने जाने वाले प्रो.रामगोपाल यादव को छह साल के लिए पार्टी से ही निकालने का फरमान जारी कर दिया। माना जा रहा है कि यह फैसला खुद
मुलायम सिंह यादव पर भारी पड़ सकता है।
अखिलेश के पक्ष में माहौल
सपा प्रमुख मुलायम की अखिलेश यादव के खिलाफ की गई कार्रवाई के बाद सपा दो फाड़ होने की संभावना प्रबल हो गई है। इस कार्रवाई के बाद जिस प्रकार राज्य की राजधानी लखनऊ और यूपी के अन्य शहरों में सपा प्रमुख के इस फैसले के खिलाफ अखिलेश यादव के समर्थन में सपा कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए हैं उससे जाहिर है कि यदि मुलायम सिंह ने इस फैसले को बदलकर अखिलेश के पक्ष में चुनावी रणनीति नहीं बनाई तो अखिलेश यादव अपने समर्थकों को निर्दलीय चुनाव लड़ाकर सपा को गहरा झटका दे सकते हैं।
कांग्रेस से तालमेल संभव
यूपी विधानसभा चुनाव में सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पहले भी कांग्रेस के साथ तालमेल करके चुनाव लड़ने के संकेत देते रहे हैं, जिनका मानना था कि यदि सपा व कांग्रेस गठबंधन करके चुनाव लड़ेगी तो 300 से ज्यादा सीटों पर जीत होगी। इसके बावजूद सपा प्रमुख मुलायम सिंह अखिलेश के इस सुझाव को दरकिनार करके पार्टी स्तर पर उन्हें कई झटके दिये, लेकिन वे पिता और नेता के रूप में उनका सम्मान करते रहे हैं। अब यदि अखिलेश यादव का निष्कासन वापस नहीं होता, तो वह अपने मंत्रियों, विधायकों और समर्थकों को निर्दलीय रूप से चुनावी मैदान में उतारकर कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ सकते हैं।
इसलिए की निष्कासन की कार्यवाही
सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश व रामगोपाल के निष्कासन करने के बारे में कहा कि रामगोपाल ने कुछ समय पहले भी रामगोपाल को पार्टी से छह साल के लिए निकाल दिया था. इस पर मुलायम ने कहा कि उसके बाद रामगोपाल ने माफी मांग ली थी और अपनी गलती स्वीकार कर ली थी। इसलिए उनको माफ कर दिया था, लेकिन अब पार्टी में वापस आने के बाद रामगोपाल ने सीधा मुझ पर हमला किया है, इसको बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इसलिए रामगोपाल को पार्टी से निकाला जाता है। उन्होंने कहा कि रामगोपाल ने मुझे बिना बताए पार्टी का अधिवेशन बुलाने का फैसला लिया। जबकि इस तरह का फैसला लेने का अधिकार केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष को है। उन्होंने अखिलेश पर तंज कसते हुए कहा कि वह भी मुख्यमंत्री रहे हैं, लेकिन कभी इस तरह का मामला कभी नहीं रहा और नही उनके समय ऐसी कोई बात नहीं हुई। उन्होंने रामगोपाल पर अखिलेश का भविष्य खराब करने तक का आरोप लगाया। तो वहीं यह भी कहा कि ऐसे में यदि अखिलेश अपना भविष्य खुद खराब करने पर तुले हैं तो उसमें कोई क्या कर सकता है? मेरा लक्ष्य तो समाजवादी पार्टी को बचाना है।
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अखिलेश व रामगोपाल पार्टी से निष्कासितओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
यूपी के विधानसभा चुनाव के लिए सपा प्रमुख मुलायम सिह यादव की सूची के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा जारी की गई
प्रत्याशियों की समानांतर सूची के बाद सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी का महासंग्राम इस कदर आर-पार के दंगल में बदल गया, जब सपा प्रमुख ने नोटिस देकर अखिलेश यादव को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। अखिलेश का समर्थन करने वाले राष्टÑीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव को भी कारण बताओं नोटिस जारी कर दिया गया है।
समाजवादी पार्टी के कुनबे में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के टिकट वितरण को लेकर फिर शुरू हुए महासंग्राम आर-पार की लड़ाई में तब्दील होने लगा है। दो दिन पहले मुलायम सिंह यादव द्वारा जारी की गई 325 प्रत्याशियों की सूची में अपने समर्थकों के अलावा मंत्रियों व विधायकों के टिकट कटने से नाराज मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक दिन पहले गुरुवार की रात को अपनी अलग से सूची जारी करके ऐलान कर दिया था कि वे अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव लड़ने की तैयारी करें। सपा कुनबे में चुनाव मैदान में जाने के लिए जारी हुई सपा की समानांतर सूचियों पर सपा प्रमुख मुलायम सिंह ने सख्ती करते हुए पहले शुक्रवार को अखिलेश यादव और उनका समर्थन कर रहे सपा राष्टÑीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव को अनुशासन तोड़ने के लिए कारण बताओं नोटिस जारी किया और शाम होते होते मुलायम सिंह यादव ने पार्टी प्रमुख होने के नाते अपने पुत्र और सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया।
रामगोपाल दूसरी बार निष्कासित
गौरतलब है कि सपा कुनबे के महाभारत-एक के दौरान भी सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने राज्यसभा सांसद और राष्टÑीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव को अखिलेश यादव का समर्थन करने के कारण पार्टी से छह साल के लिए निष्कासन कर दिया था। किसी तरह से चुनावी तैयारियों के मद्देनजर प्रो. रामगोपाल यादव के निष्कासन को वापस लिया गया था, लेकिन सपा के महाभारत-दो में भी शुक्रवार को जब प्रो. रामगोपाल ने दलील दी कि अखिलेश यादव का विरोध करने वाले विधानसभा का मुहं तक नहीं देख पाएंगे तो इसी बयान से खफा सपा मुखिया ने अखिलेश के साथ-साथ उनके खिलाफ फिर से निष्कासन की कार्रवाही को अंजाम दिया।
31DEc-2016

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