
तीन सप्ताह के हंगामे के बादल छंटने के आसार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद
के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच नोटबंदी को लेकर चल
रहे गतिरोध के कारण पहले तीन सप्ताह की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ चुकी
है, जहां संसद की कार्यवाही को नोटबंदी पर लगातार अपने पैंतरे बदलते हुए
विपक्ष मोदी सरकार
को घेरे हुए है, जबकि सरकार लगातार विपक्ष के
साथ चल रहे गतिरोध को तोड़ने के प्रयास में है। ऐसे प्रयास में ही ऐसी
संभावना है कि सोमवार को इस मुद्दे पर सरकार की ओर से दोनों सदनों में बयान
दिया जा सकता है।
संसद के शीतकालीन सत्र में अभी तक दोनों सदनों
की कार्यवाही नोटबंदी के कारण होम होती आ रही है और विपक्ष के हंगामे के
कारण इस सत्र में भारी भरकम कामकाज लेकर आई सरकार एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा
सकी है। सूत्रों के अनुसार पिछले सप्ताह
राज्यसभा में पीएम मोदी
ने विभिन्न दलों से बातचीत भी की थी, वहीं सरकार के कई मंत्री अपने स्तर से
विपक्षी दलों के नेताओं से बातचीत करके संसद में जारी गतिरोध को खत्म करने
का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि संसद में नोटबंदी के विरोध में विपक्ष
खासकर कांग्रेस की ओर से बेतुकी शर्ते रखते हुए इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी से जवाब की मांग करते आ रहे हैं। नोटबंदी पर चूंकि विपक्षी
दलों के विरोध को संसद से बाहर जनसमर्थन नहीं मिल पा रहा है और सरकार की ओर
से जारी प्रयासों के बाद उम्मीद जताई गई है कि विपक्ष के इस अडियल रवैये
में कुछ नरमी आएगी और और संसद में जारी गतिरोध के बादल छंटने के आसार बने
हुए हैं। हालांकि विपक्षी दलों का दावा है कि नोटबंदी से जनता की परेशानी
के लिए जिम्मेदार पीएम मोदी द्वारा कालेधन पर विपक्ष पर की गई टिप्पणी पर
माफी मांगने पर ही संसद की कार्यवाही को आगे बढ़ाया जाएगा। इन सबके बावजूद
देश व जनहित के मामलों पर सोमवार से संसद में विपक्ष की नरमी के संकेत आ
रहे हैं।
कराधान विधि बिल की औपचारिकता
केंद्र
सरकार ने देश में कालाधन रखने वालों को एक और मौका देने वाले आयकर नियमों
में बदलाव से जुड़े कराधान विधि (संशोधन) विधेयक पिछले सप्ताह लोकसभा में
मनी बिल के रूप में पारित करा लिया था। इसलिए इस विधेयक को राज्यसभा में
पारित कराने की कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है। फिर भी एक औपचारिकता को
पूरा करने के लिए मोदी सरकार ने कल सोमवार से शुरू होने वाली कार्यवाही में
पेश करने और विचार करने के लिए पेश करने का निर्णय लिया है। वित्त मंत्री
अरुण जेटली लोकसभा द्वारा पारित रूप में इस विधेयक को लौटाए जाने का भी
प्रस्ताव रखेंगे। हालांकि आर्थिक जानकार मानते है कि यदि सरकार इस विधेयक
को मनी बिल के रूप में भी न लेकर आती तो शायद इसे विपक्ष भी स्वीकार कर
लेता। इसका कारण है कि सरकार की ओर से इस विधेयक को लेकर भले ही आम जनता
में नकारात्मक संदेश गया हो, लेकिन नोटबंदी का जिस स्वार्थवश राजनीतिक
नेताओं द्वारा विरोध किया जा रहा है उन्हें भी इस बदले नियम से मिलना तय
है। फिर भी सरकार ने बिना जोखिम लिये इस विधेयक को मनी बिल के रूप में पेश
किया है।
महत्वपूर्ण काम पर दबाव
संसद के
शीतकालीन सत्र में तीन सप्ताह की कार्यवाही हंगामे के भेंट चढ़ चुकी है और
सरकार के पास इस सत्र के लिए जीएसटी जैसे कई महत्वपूर्ण विधेयक के अलावा
अन्य सरकारी कामकाज का बोझ है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कालेधन
के खिलाफ मुहिम चलाने की दिशा में 500 और एक हजार के बड़े नोट अमान्य करने
का विरोध कर रहे विपक्षी दल ऐसी लामबंदी कर चुके हैं, कि अभी तक संसद की
कार्यवाही पटरी पर नहीं चढ़ सकी। जबकि संसद की कार्यवाही को चलवाने के लिए
सरकार विपक्षी दलों के विरोध को बिना किसी दबाव के खत्म करके जरूरी कामकाज
को अंजाम देने के प्रयास में हैं। सरकार का प्रयास है कि सोमवार को नोटबंदी
पर दोनों सदनों में बयान देकर विपक्ष को इस फैसले के तर्क देकर शांत करने
की दिशा में अपनी ओर से कोई कदम आगे बढ़ाया जाए। इसीलिए अटकले लगाई जा रही
हैं कि सोमवार को इस मुद्दे पर सरकार बयान देने की रणनीति के साथ संसद में
आएगी।
संसद में आज
संसद के शीतकालीन सत्र की
सोमवार को चौथे सप्ताह की शुरू होने वाली कार्यवाही के लिए सरकार ने लोकसभा
और राज्यसभा में छह विधेयकों को पेश करने के लिए कार्यसूची में शामिल किया
है। लोकसभा में नौवाहन विभाग (क्षेत्राधिकार और का समझौता समुद्री
दावा)विधेयक-2016, मानसिक स्वास्थ्य विधेयक-2016 और मातृत्व लाभ (संशोधन)
विधेयक-2016 को पेश करने का निर्णय लिया है। जबकि राज्यसभा में मानव
रोगक्षम अल्पता विषाणु और अर्जित रोगक्षम अल्पता सरंक्षण निवारण और नि:शक्त
व्यक्ति अधिकार विधेयक के अलावा पिछले सप्ताह लोकसभा में मनी बिल के रूप
में पारित हो चुके काराधान विधि (दूसरा)संशोधन) विधेयक-2016 नियंत्रण
विधेयक को पेश किया जाएगा।

संसद: नोटबंदी पर बयान दे सकती है सरकार!
तीन सप्ताह के हंगामे के बादल छंटने के आसार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद
के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच नोटबंदी को लेकर चल
रहे गतिरोध के कारण पहले तीन सप्ताह की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ चुकी
है, जहां संसद की कार्यवाही को नोटबंदी पर लगातार अपने पैंतरे बदलते हुए
विपक्ष मोदी सरकार
को घेरे हुए है, जबकि सरकार लगातार विपक्ष के
साथ चल रहे गतिरोध को तोड़ने के प्रयास में है। ऐसे प्रयास में ही ऐसी
संभावना है कि सोमवार को इस मुद्दे पर सरकार की ओर से दोनों सदनों में बयान
दिया जा सकता है।
संसद के शीतकालीन सत्र में अभी तक दोनों सदनों
की कार्यवाही नोटबंदी के कारण होम होती आ रही है और विपक्ष के हंगामे के
कारण इस सत्र में भारी भरकम कामकाज लेकर आई सरकार एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा
सकी है। सूत्रों के अनुसार पिछले सप्ताह
राज्यसभा में पीएम मोदी
ने विभिन्न दलों से बातचीत भी की थी, वहीं सरकार के कई मंत्री अपने स्तर से
विपक्षी दलों के नेताओं से बातचीत करके संसद में जारी गतिरोध को खत्म करने
का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि संसद में नोटबंदी के विरोध में विपक्ष
खासकर कांग्रेस की ओर से बेतुकी शर्ते रखते हुए इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी से जवाब की मांग करते आ रहे हैं। नोटबंदी पर चूंकि विपक्षी
दलों के विरोध को संसद से बाहर जनसमर्थन नहीं मिल पा रहा है और सरकार की ओर
से जारी प्रयासों के बाद उम्मीद जताई गई है कि विपक्ष के इस अडियल रवैये
में कुछ नरमी आएगी और और संसद में जारी गतिरोध के बादल छंटने के आसार बने
हुए हैं। हालांकि विपक्षी दलों का दावा है कि नोटबंदी से जनता की परेशानी
के लिए जिम्मेदार पीएम मोदी द्वारा कालेधन पर विपक्ष पर की गई टिप्पणी पर
माफी मांगने पर ही संसद की कार्यवाही को आगे बढ़ाया जाएगा। इन सबके बावजूद
देश व जनहित के मामलों पर सोमवार से संसद में विपक्ष की नरमी के संकेत आ
रहे हैं।
कराधान विधि बिल की औपचारिकता
केंद्र
सरकार ने देश में कालाधन रखने वालों को एक और मौका देने वाले आयकर नियमों
में बदलाव से जुड़े कराधान विधि (संशोधन) विधेयक पिछले सप्ताह लोकसभा में
मनी बिल के रूप में पारित करा लिया था। इसलिए इस विधेयक को राज्यसभा में
पारित कराने की कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है। फिर भी एक औपचारिकता को
पूरा करने के लिए मोदी सरकार ने कल सोमवार से शुरू होने वाली कार्यवाही में
पेश करने और विचार करने के लिए पेश करने का निर्णय लिया है। वित्त मंत्री
अरुण जेटली लोकसभा द्वारा पारित रूप में इस विधेयक को लौटाए जाने का भी
प्रस्ताव रखेंगे। हालांकि आर्थिक जानकार मानते है कि यदि सरकार इस विधेयक
को मनी बिल के रूप में भी न लेकर आती तो शायद इसे विपक्ष भी स्वीकार कर
लेता। इसका कारण है कि सरकार की ओर से इस विधेयक को लेकर भले ही आम जनता
में नकारात्मक संदेश गया हो, लेकिन नोटबंदी का जिस स्वार्थवश राजनीतिक
नेताओं द्वारा विरोध किया जा रहा है उन्हें भी इस बदले नियम से मिलना तय
है। फिर भी सरकार ने बिना जोखिम लिये इस विधेयक को मनी बिल के रूप में पेश
किया है।
महत्वपूर्ण काम पर दबाव
संसद के
शीतकालीन सत्र में तीन सप्ताह की कार्यवाही हंगामे के भेंट चढ़ चुकी है और
सरकार के पास इस सत्र के लिए जीएसटी जैसे कई महत्वपूर्ण विधेयक के अलावा
अन्य सरकारी कामकाज का बोझ है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कालेधन
के खिलाफ मुहिम चलाने की दिशा में 500 और एक हजार के बड़े नोट अमान्य करने
का विरोध कर रहे विपक्षी दल ऐसी लामबंदी कर चुके हैं, कि अभी तक संसद की
कार्यवाही पटरी पर नहीं चढ़ सकी। जबकि संसद की कार्यवाही को चलवाने के लिए
सरकार विपक्षी दलों के विरोध को बिना किसी दबाव के खत्म करके जरूरी कामकाज
को अंजाम देने के प्रयास में हैं। सरकार का प्रयास है कि सोमवार को नोटबंदी
पर दोनों सदनों में बयान देकर विपक्ष को इस फैसले के तर्क देकर शांत करने
की दिशा में अपनी ओर से कोई कदम आगे बढ़ाया जाए। इसीलिए अटकले लगाई जा रही
हैं कि सोमवार को इस मुद्दे पर सरकार बयान देने की रणनीति के साथ संसद में
आएगी।
संसद में आज
संसद के शीतकालीन सत्र की
सोमवार को चौथे सप्ताह की शुरू होने वाली कार्यवाही के लिए सरकार ने लोकसभा
और राज्यसभा में छह विधेयकों को पेश करने के लिए कार्यसूची में शामिल किया
है। लोकसभा में नौवाहन विभाग (क्षेत्राधिकार और का समझौता समुद्री
दावा)विधेयक-2016, मानसिक स्वास्थ्य विधेयक-2016 और मातृत्व लाभ (संशोधन)
विधेयक-2016 को पेश करने का निर्णय लिया है। जबकि राज्यसभा में मानव
रोगक्षम अल्पता विषाणु और अर्जित रोगक्षम अल्पता सरंक्षण निवारण और नि:शक्त
व्यक्ति अधिकार विधेयक के अलावा पिछले सप्ताह लोकसभा में मनी बिल के रूप
में पारित हो चुके काराधान विधि (दूसरा)संशोधन) विधेयक-2016 नियंत्रण
विधेयक को पेश किया जाएगा।
05क्मब;2016

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