संसद सत्र: चौथे सप्ताह भी हंगामे की भेंट
दोनों सदनों की कार्यवाही चार दिन के लिए स्थगित
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद
के शीतकालीन सत्र का चौथे सप्ताह की कार्यवाही भी नोटबंदी के मुद्दे पर
विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गई। हंगामे के कारण पिछले सौलह दिन से इस सत्र
में कोई भी सरकारी और विधायी कार्य नहीं हो सका है। संसद में हंगामा करने
वाले सांसदो को राष्टÑपति प्रणब मुखर्जी की नसीहत और आग्रह का भी विपक्षी
दलों पर कोई असर नहीं पड़ा। इस हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही को
आगामी बुधवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी के नोटबंदी के फैसले का संसद शीतकालीन सत्र के पहले दिन से
ही विपक्ष विरोध कर संसद के दोनों सत्रों की कार्यवाही को हंगामा और
नारेबाजी करके बाधित करता आ रहा है, जिसके कारण लोकसभा व राज्यसभा में
शून्यकाल और प्रश्नकाल तक नहीं चल सके और न ही कोई विधायी कार्य और अन्य
जरूरी सरकारी कामकाज हो सका है। एक दिन पहले राष्टÑपति प्रणब मुखर्जी ने
संसद में नोटबंदी को लेकर हंगामा करने वाले सांसदों को नसीहत दी थी और सदन
की कार्यवाही चलाने का आग्रह किया था, लेकिन विपक्ष खासकर कांग्रेस पर इसका
कोई असर नहीं दिखा और शुक्रवार को भी दोनों सदनों में हंगामा जारी रहा,
जिसके कारण संसद की कार्यवाही को सोमवार और मंगलवार को अवकाश होने के कारण
संसद की कार्रवाई बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
राज्यसभा से नदारद माननीय
संसद
के शीतकालीन सत्र में शुक्रवार को राज्यसभा में सांसदों की लापरवाही का एक
मामला सामने आया है। दरअसल हंगामे के चलते राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर
2:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई थी, लेकिन जब कार्यवाही शुरू होनी थी,
तो अधिकतर सांसद राज्यसभा में नहीं पहुंचे, जिसके कारण घंटी भी बजाई गई,
लेकिन इसके बावजूद सांसद सदन में दाखिल नहीं हुए। मसलन शुक्रवार को गैर
सरकारी कामाकाज होता है और सांसद निजी विधेयक पेश करते हैं, लेकिन 245
सदस्यीय राज्यसभा में कुल 18 ही सांसद ही बैठे नजर आए, बाकी सभी सीटें खाली
पड़ी थीं। सदन में कोरम पूरा नहीं होने के कारण उपसभापति प्रो. पीजे कुरियन
को राज्यसभा की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा।
विपक्ष से माफी की मांग
लोकसभा
और राज्यसभा में में शुक्रवार को सत्तारूढ़ भाजपा ने संसद में कामकाज में
व्यवधान पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तल्ख टिप्पणी का हवाला देते हुए
विपक्ष से कार्यवाही में बाधा डालने के लिए माफी मांगने की मांग की।
राष्ट्रपति की टिप्पणी का हवाला देते हुए संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार
ने कहा कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामदल सदन के कामकाज में व्यवधान
डाल रहे हैं। इस तरह से व्यवधान डालने के लिए विपक्ष देश की जनता से माफी
मांगे, क्योकि विपक्ष ने संसद के कामकाज को ठप करके देश की जनता का पैसा
बर्बाद किया है। राज्यसभा में संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास
नकवी ने भी राष्ट्रपति की नसीहत का हवाला देकर कांग्रेस पर निशाना साधते
हुए कहा कि हंगामा करने वालों को शर्म आनी चाहिए। राष्ट्रपति की हंगामा
करने वाले सांसदों के प्रति नाराजगी के बाद दी गई नसीहत के बाद हालांकि
राज्यसभा में हंगामा करने में कांग्रेस सांसद ही नारेबाजी करते नजर आए,
जबकि अन्य सांसद अपनी सीटों पर बैठे दिखे।
नोटबंदी
के मसले पर पिछले दो सप्ताह से लोकसभा के काम काज में हो रहे व्यवधान के
मुद्दे पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण
आडवाणी के बयान को लेकर शुक्रवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक दूसरे पर
निशाना साधा, जिसके कारण भारी शोर-शराबा हुआ। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के उस बयान को लेकर विपक्ष पर हमला बोल दिया
जिसमें उन्होंने संसद के कामकाज में लगातार व्यवधान पर नाराजगी जताते हुए
इसे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया था। दूसरी ओर विपक्षी सदस्यों ने भाजपा के
वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवानी के बयान का हवाला देकर सत्ता पक्ष के सदस्यों
पर निशाना साधते हुए नारेबाजी की।
सरकार चर्चा को तैयार
राज्यसभा
में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ-साफ कहा कि विपक्ष बहस चाहता ही नहीं
है। सरकार ने शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन साफ कर दिया था कि वो हर मुद्दे
पर बहस के लिए तैयार है। लेकिन विपक्ष की तरफ से हर रोज एक न एक बहाना कर
बहस में रोड़े अटकाए गए। वहीं लोकसभा में संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने
भी सरकार की इस बात को दोहराया। उन्होंने कहा कि विपक्ष की ओर से पिछले 16
दिनों से व्यवधान डाला जा रहा है, सदन में कामकाज को बाधित किया जा रहा
है।
अब बिना नियम चर्चा
संसद सत्र के लिए 15
दलों के विपक्षी गठबंधन ने मांग की है कि नोटबंदी पर चर्चा अब बिना किसी
नियम के हो। चर्चा की समाप्ति के बाद सदन की इच्छा के मुताबिक मतविभाजन
कराया जाए। राज्यसभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ-साफ कहा कि विपक्ष
बहस चाहता ही नहीं है। सरकार ने शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन साफ कर दिया
था कि वो हर मुद्दे पर बहस के लिए तैयार है। लेकिन विपक्ष की तरफ से हर
रोज एक न एक बहाना कर बहस में रोड़े अटकाए गए।
निर्णय देशद्राही?
राज्यसभा
में शुक्रवार को माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि नोटबंदी से सरकार
हमारे अन्नदाताओं (किसानों) को बर्बाद कर रही है और स्वीकार करना पड़ेगा कि
नोटबंदी का यह एक देशद्रोही निर्णय है। वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने
सीताराम येचुरी के इस कथन का समर्थन करते हुए कहा कि यह किसान विरोधी कदम
है। मायावाती ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार को नोटबंदी के फैसले पर एक
बार फिर विचार करना चाहिए, अन्यथा किसानों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा।
राहुल का मोदी पर निशाना
कांग्रेस
उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि वह इस मुद्दे पर बहस करना चाहते
हैं, लेकिन मुझे बोलने नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी बहस से डर रहे हैं। अगर इस मुद्दे पर चर्चा हो तो दूध का दूध
और पानी का पानी हो जाएगा कि ये फैसला सही था या गलत। राहुल ने कहा कि मुझे
संसद में बोलने का मौका मिले तो पीएम संसद में बैठ नहीं पाएंगे। राहुल ने
कहा कि इससे केवल उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए ये फैसला लिया
गया। प्रधानमंत्री पूरे देश में भाषण दे रहे हैं लेकिन लोकसभा में आने से
डर रहे हैं और अगर वह बोले तो भूकंप आ जाएगा।
10Dec-2016
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